Jharkhand Former Governor Ramesh Bais And Cm Hemant Soren Office Of Profit Case
राज्यपाल रमेश बैस झारखंड के राजभवन में छोड़ गए एक ऐसा लिफाफा, जो कभी भी मचा सकता है सियासी हलचल
Jharkhand Politics : झारखंड के 10वें राज्यपाल रमेश बैस तो महाराष्ट्र चले गए लेकिन अपने पीछे एक ऐसा लिफाफा छोड़ गए जो झारखंड की राजनीति में बवंडर ला सकता है। हालांकि इस बंद लिफाफे में क्या है, ये किसी को नहीं पता। इस लिफाफे में सीएम हेमंत सोरेन की किस्मत का फैसला छिपा है।
रांची: झारखंड के दसवें राज्यपाल रमेश बैस भले महाराष्ट्र के लिए विदा हो गए हों, लेकिन वे राजभवन में एक बंद लिफाफा छोड़ गए हैं। ये लिफाफाराज्य की सियासत में कभी भी हलचल पैदा कर सकता है। लिफाफा पिछले साल 25 अगस्त को केंद्रीय चुनाव आयोग से राजभवन में पहुंचा था। दरअसल इस लिफाफे के अंदर जो चिट्ठी है, उसके आधार पर यह तय हो सकता है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता खारिज हो जाएगी या बनी रहेगी। रमेश बैस ने चुनाव आयोग की इस चिट्ठी को बंद लिफाफे से बाहर नहीं आने दिया और इसके चलते हेमंत सोरेन सरकार कई महीनों तक अनिश्चितताओं के भंवर में फंसी रही।
क्या है बंद लिफाफे का राज
अब झारखंड से जाते-जाते उन्होंने कहा कि आने वाले राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन चाहें तो चुनाव के आई चिट्ठी के आधार पर फैसला कर सकते हैं। उन्होंने इसपर फैसला इसलिए नहीं किया कि क्योंकि इससे राज्य की सरकार अस्थिर हो सकती थी। जाहिर है, जब तक चिट्ठी का रहस्य नहीं खुलता तब तक हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर खतरे की तलवार लटकी रहेगी। मसला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम पर पत्थर खदान की लीज आवंटन पर खड़ा हुए विवाद से जुड़ा है। सीएम रहते हुए खदान की लीज लेने पर इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बताते हुए हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग लेकर बीते साल फरवरी में भाजपा राज्यपाल रमेश बैस के पास पहुंची थी। राज्यपाल ने भाजपा की इस शिकायत पर केंद्रीय चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा। इस पर आयोग ने शिकायतकर्ता भाजपा और हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर इस मामले में उनसे जवाब मांगा। दोनों के पक्ष सुनने के बाद चुनाव आयोग ने बीते साल 25 अगस्त को राजभवन को सीलबंद लिफाफे में अपना मंतव्य भेजा था। ‘Hemant Soren बहुत अच्छे नेता’, महाराष्ट्र जाने के पहले Ramesh Bais ने बंद लिफाफे के राज पर कही बड़ी बात... जानें
क्या लिखा है चिट्ठी में
अनऑफिशियली ऐसी खबरें तैरती रहीं कि चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को दोषी मानते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है। इस वजह से उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी जानी तय है। राज्यपाल रमेश बैस ने चुनाव आयोग से आए सीलबंद लिफाफे आई चिट्ठी पर चुप्पी साधे रखी और इससे राज्य में सियासी सस्पेंस और भ्रम की ऐसी स्थिति बनी कि सत्तारूढ़ गठबंधन को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति एकजुटता जताने के लिए डिनर डिप्लोमेसी, रिजॉर्ट प्रवास और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर विश्वास मत का प्रस्ताव पारित करने तक के उपक्रमों से गुजरना पड़ा था।
नवभारत टाइम्स डिजिटल के बिहार-झारखंड प्रभारी। पत्रकारिता में जनमत टीवी, आईबीएन 7, ईटीवी बिहार-झारखंड, न्यूज18 बिहार-झारखंड से होते हुए टाइम्स इंटरनेट तक 17 साल का सफर। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से शुरुआत के बाद अब बिहार कर्मस्थल। देश, विदेश, अपराध और राजनीति की खबरों में गहरी रुचि। डिजिटल पत्रकारिता की हर विधा को सीखने की लगन।... और पढ़ें
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