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रहस्यमयी ढंग से लापता हुआ किशोर, फिर Brain Mapping से खुला समलैंगिकों के यौन शोषण और हत्या करने का राज

कर्नाटक के बेंगलुरु में एक हैरान कर देने वाली वारदात हुई। एक वकील से मिलने गया किशोर अचानक लापता हो गया। उसकी मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच शुरू की तो चौंकाने वाली बात पता चली। एक वकील और उसके समलैंगिक सहयोगी ने किशोर का यौन शोषण करके उसकी हत्या की थी।

Written byशशि मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम 23 Jan 2023, 9:27 am
बेंगलुरु: मई 2022 में एक 17 साल का लड़का रहस्यमयी ढंग से लापता हो गया। पुलिस ने उसकी तलाश की लेकिन वह नहीं मिला। जांच में पता चला कि एक वकील और उसके सहयोगी ने उसका यौन शोषण किया। हालांकि उसके बाद लड़के का क्या हुआ, यह पता नहीं चल सका। न तो पलिस पता लगा पाई न ही आरोपियों ने बताया कि लड़का रहस्यमयी ढंग से कहां चला गया। आखिरकार पुलिस ने इस मामले में ब्रेन इलेक्ट्रिकल ऑसिलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग (बीईओएस) टेस्ट का यूज किया गया। ब्रेन मैपिंग हुई और केस ने एक नया मोड़ ले लिया है। पॉलीग्राफ टेस्ट से पुष्टि हुई कि दोनों ने ही सबूत मिटाने के लिए लड़के की हत्या की थी। इसके बाद पुलिस ने 45 साल के शंकरगौड़ा जीपी और कनकपुरा निवासी अरुणा एन (24) को गिरफ्तार किया।
नवभारतटाइम्स.कॉम Brain Mapping
सांकेतिक चित्र


पुलिस के अनुसार बेंगलुरु का रहने वाला किशोर 19 मई की रात करीब 11 बजे अपने घर से निकला था। उसने मां को बताया कि वह कनकपुरा शहर में पुराने कार्यालय से फाइलों को नए स्थान पर स्थानांतरित करने में मदद करने के लिए शंकरेगौड़ा के कार्यालय जा रहा है। हालांकि वह घर नहीं लौटा। उसकी मां ने 24 मई को कनकपुरा टाउन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

समलैंगिक था वकील और उसका सहयोगी

प्रारंभिक जांच में पता चला है कि शंकरगौड़ा और उसकी सहयोगी अरुणा समलैंगिक थे और उन्होंने किशोरी का यौन शोषण किया और फिर उसकी हत्या कर दी। आरोपियों ने अपने अपराध के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। पुलिस को उनके मोबाइल फोन की जांच के बाद यौन उत्पीड़न के सबूत मिले। यौन उत्पीड़न के दौरान की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड किए गए। पुलिस ने दोनों को अप्राकृतिक दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया।

उनके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया। आरोपी ने यह नहीं बताया कि दुष्कर्म के बाद किशोरी के साथ क्या हुआ। उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया और एक अदालत ने 17 नवंबर, 2022 को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।

पुलिस ने ली ब्रेन मैपिंग की इजाजत

इस बीच, पुलिस ने दोनों के वैज्ञानिक परीक्षण, विशेष रूप से ब्रेन-मैपिंग टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए अदालत से अनुमति मांगी। 8 दिसंबर, 2022 को अदालत ने पुलिस के अनुरोध को विभिन्न शर्तों के साथ स्वीकार कर लिया, जिसमें संदिग्धों को इसके लिए अपनी सहमति देनी होगी। कर्नाटक फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी ने नवंबर में बीईओएस परीक्षण शुरू किया।
लेखक के बारे में
शशि मिश्रा
"शशि पांडेय ने 2007 में पत्रकारिता की शुरुआत अमर उजाला से की। फिर दैनिक जागरण कानपुर से घिसाई। सहारा में पॉलिशिंग और नवभारत टाइम्स में मिली ऐसी चमक जो अभी तक बरकरार है। शौक़: लिखना, घूमना और नये लोगों से नई- नई जानकारियां लेना. फ़ंडा: जीवन में हर किसी के पास दो रास्ते होते हैं, भाग लो (Run) या भाग लो (Part). मेरी लाइफ का फ़ंडा, भागने की जगह भाग लेना है."... और पढ़ें

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