ऐपशहर

चंबल में मुन्नीबाई का नाम ही काफी था... अब पूर्व दस्यु सुंदरी के आंखों से क्यों निकल रहे आंसू

पूर्व दस्यु सुंदरी मुन्नीबाई (Bandit Beauty Munnibai) की जमीन पर दंबगों ने कब्जा कर लिया है। मुन्नीबाई को यह जमीन (Munnibai Land News) सरकार की तरफ से आत्मसमर्पण के बाद मिली थी। जेल से छूटने के बाद मुन्नीबाई उसे पाने के लिए संघर्ष कर रही है। अधिकारियों के पास गुहार लगाने के बाद भी जमीन पर कब्जा नहीं मिल रहा है।

Lipi 6 Dec 2021, 1:23 pm

हाइलाइट्स

हाइलाइट्स
  • पूर्व दस्यु सुंदरी मुन्नीबाई की जमीन पर दबंगों का कब्जा
  • यह जमीन सरकार की तरफ से पुनर्वास के लिए मिला था
  • दबंगों से कब्जा छुड़वाने के लिए मुन्नीबाई कर रही है संघर्ष
  • अधिकारियों के दफ्तर में चक्कर काटते-काटते परेशान
सारी खबरें हाइलाइट्स में पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें
भिंड
मुन्नीबाई (Munnibai News Update) का नाम ही एक समय में काफी था। चंबल की बीहड़ों 80 के दशक में लोग इस नाम से खौफ खाते थे। मजाल नहीं कोई आंख उठाकर देख ले। हम बात कर रहे हैं कि पूर्व दस्यु सुंदरी मुन्नीबाई की, जो इन दिनों अपने हक के लिए संघर्ष कर रही है।1983 में दस्यु जीवन के बाद सुधार की ओर कदम रखते हुए मुन्नीबाई ने गिरोह के 25 सदस्यों के साथ आत्मसमर्पण किया था।

शासन की ओर से जीवन को नए ढंग से जीने के लिए चार बिस्वा जमीन दी गई थी। 10 साल जेल काटने के बाद वो बाहर आई तब से अब तक शासन की तरफ से दी गई जमीन पर मकान नहीं बना सकी। इस जमीन पर कुछ दबंगों ने कब्जा कर लिया है जो कि मकान नहीं बनाने दे रहे हैं। 17 साल की उम्र में इंदुर्खी गांव के बाबू खां से मुन्नीबाई का निकाह हुआ था। बाबू खां भी आगे चलकर डकैत बन गया था और घनसा बाबा गिरोह में शामिल हो गया था।

NCB ने इंदौर में छापेमारी कर एक किलो चरस जब्त किया, कैब चालक गिरफ्तार
वहीं, डकैत गिरोह के सफाए को लेकर मुन्नीबाई पर पुलिस ने दबाव बनाना शुरू कर दिया। इसी बात से मुन्नीबाई तंग आ गई और वो चंबल की बीहड़ में बंदूक का सहारा लेने को मजबूर हुई थी। इस तरह से वो भी घनसा बाबा गिरोह की सदस्य बनी थी। करीब सात साल तक मुन्नीबाई ने गिरोह में रहकर कई वारदातों में हिस्सेदारी निभाई। कई लोगों की पकड़ कर फिरौती मांगी।

करोड़ों का आसामी निकला एमपी एग्रो का जिला प्रबंधक, ईमानदारी का बोर्ड टांग कर जमा की अकूत संपत्ति
मुन्नीबाई के गिरोह में थे 25 लोग
मुन्नीबाई ने कहा कि उसके गिरोह में 25 लोग थे। सबके अपने-अपने काम बंटे हुए थे। डकैती डालने के दौरान पुरूष डकैत महिलाओं पर हाथ नहीं डालते थे। घर में घुसकर महिलाओं के साथ मारपीट करना और जेवर लूटने का जिम्मा हुआ करता था। सन् 1983 में गिरोह के सदस्यों ने रौन में आत्मसमर्पण किया। इस दौरान शासन की ओर से लहार के चिरौली के पास मुझे 4 बिस्वा जमीन पुनर्वास के लिए दी गई थी।

कांग्रेस में मुस्लिमों की उपेक्षा, सभी पदों से इस्तीफा दे रही हूं... एक घंटे में ही पलटी मारने वाली नूरी खान कौन
पूर्व दस्यु सुंदरी मुन्नीबाई ने कहा कि दस साल तक ग्वालियर-इटावा और भिंड की जेल में रही। जेल से वापस आने के बाद इतने पैसे नहीं थे, इसलिए स्वयं का मकान बनवा सकूं। इंदुर्खी गांव का पैतृक मकान को बेचकर बेटी की शादी मछंड कस्बे में की और बेटी के घर ही जीवन यापन करने लगी। इकलौती बेटी के घर में रहकर मकान बनवाने का विचार बनाया तो दबंगों ने दस साल से मकान नहीं बनने दिया। मुन्नीबाई का कहना है कि अब 60 साल से ज्यादा उम्र हो चुकी है। जमीन के टुकड़े को पाने के लिए कई बार कलेक्ट्रेट और लहार एसडीएम दफ्तर गई हूं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

अगला लेख

Stateकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग