भोपाल
राजधानी भोपाल (Bhopal News Update) के कमला नेहरू अस्पताल में लगी आग ने कई घरों की खुशियां छीन ली हैं। कई मां तो ऐसी हैं कि अपने बच्चे को प्यार भी नहीं कर पाई थीं, बेरहम आग ने उनकी खुशियां खाक कर दी हैं। उन्हीं में से एक भोपाल की रहने वाली इरफाना है। इरफाना शादी के 12 साल बाद दो नवंबर को मां बनी थी। आग ने सात दिन बाद ही उसकी गोद उजाड़ दी है।
भोपाल के गौतम नगर की रहने वाली इरफाना ने 12 साल बाद दो नवंबर को एक बच्चे को जन्म दिया था। सामान्य डिलीवरी हुई थी। जन्म के बाद बच्चे को सांस लेने में दिक्कत थी। इसके बाद उसे कमला नेहरू चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोमवार की रात बच्चे के साथ अस्पताल में इरफाना भी थी। आग लगते ही बच्चे के वार्ड में उसे घुसने नहीं दिया गया।
पुलिस के जवानों ने उसे परिसर में ही रोक दिया। इसके बाद इरफाना अपने परिवार के लोगों के साथ कैंपस में तड़पती रही। पूरी रात वह लोगों से गुहार लगाती रही के मेरे बच्चे को दिखा दो। मगर कोई सुनने वाला नहीं था। इरफाना के साथ ही कैंपस में दर्जनों परिजनों अपने मासूम का हाल जानने के लिए बेताब थे। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से उन्हें कोई सही जानकारी नहीं देने वाला था।
सुबह में मिली मौत की खबर
आग लगने के बाद से ही परिजनों को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था। स्थिति सामान्य होने के बाद सुबह करीब चार बजे अस्पताल का गेट खुला। इसके बाद वहां खड़े लोगों को चार बच्चे का शव दिखाया गया। इनमें से एक शव इरफाना के बच्चे का था। बच्चे का शव देखकर इरफाना वहां बेसुध हो गई। उसके परिजन उसे संभालने में लगे थे। बाद में परिजन अस्पातल से इरफान को घर ले गए।
सात दिन में सुनी हो गई गोद
इरफाना दो नवंबर को मां बनी थी। सात दिन बाद ही उसकी गोद सुनी हो गई है। पूरी रात जिगर के टुकड़े के लिए इरफाना अस्पताल में दुआ करती रही। किसी ने मदद नहीं की। इरफाना के साथ-साथ अस्पताल की आग ने तीन और घरों के चिराग बुझा दिए हैं।
राजधानी भोपाल (Bhopal News Update) के कमला नेहरू अस्पताल में लगी आग ने कई घरों की खुशियां छीन ली हैं। कई मां तो ऐसी हैं कि अपने बच्चे को प्यार भी नहीं कर पाई थीं, बेरहम आग ने उनकी खुशियां खाक कर दी हैं। उन्हीं में से एक भोपाल की रहने वाली इरफाना है। इरफाना शादी के 12 साल बाद दो नवंबर को मां बनी थी। आग ने सात दिन बाद ही उसकी गोद उजाड़ दी है।
भोपाल के गौतम नगर की रहने वाली इरफाना ने 12 साल बाद दो नवंबर को एक बच्चे को जन्म दिया था। सामान्य डिलीवरी हुई थी। जन्म के बाद बच्चे को सांस लेने में दिक्कत थी। इसके बाद उसे कमला नेहरू चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोमवार की रात बच्चे के साथ अस्पताल में इरफाना भी थी। आग लगते ही बच्चे के वार्ड में उसे घुसने नहीं दिया गया।
पुलिस के जवानों ने उसे परिसर में ही रोक दिया। इसके बाद इरफाना अपने परिवार के लोगों के साथ कैंपस में तड़पती रही। पूरी रात वह लोगों से गुहार लगाती रही के मेरे बच्चे को दिखा दो। मगर कोई सुनने वाला नहीं था। इरफाना के साथ ही कैंपस में दर्जनों परिजनों अपने मासूम का हाल जानने के लिए बेताब थे। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से उन्हें कोई सही जानकारी नहीं देने वाला था।
सुबह में मिली मौत की खबर
आग लगने के बाद से ही परिजनों को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था। स्थिति सामान्य होने के बाद सुबह करीब चार बजे अस्पताल का गेट खुला। इसके बाद वहां खड़े लोगों को चार बच्चे का शव दिखाया गया। इनमें से एक शव इरफाना के बच्चे का था। बच्चे का शव देखकर इरफाना वहां बेसुध हो गई। उसके परिजन उसे संभालने में लगे थे। बाद में परिजन अस्पातल से इरफान को घर ले गए।
सात दिन में सुनी हो गई गोद
इरफाना दो नवंबर को मां बनी थी। सात दिन बाद ही उसकी गोद सुनी हो गई है। पूरी रात जिगर के टुकड़े के लिए इरफाना अस्पताल में दुआ करती रही। किसी ने मदद नहीं की। इरफाना के साथ-साथ अस्पताल की आग ने तीन और घरों के चिराग बुझा दिए हैं।