भोपाल
मध्य प्रदेश में छात्रों द्वारा तनाव के चलते आत्महत्या किये जाने के कारणों का पता लगाने के लिए गठित की गई विधानसभा की समिति ने प्रदेश की शिक्षा नीति की समीक्षा का सुझाव दिया है और साथ ही छात्रों को अनिवार्य योग शिक्षा दिए जाने का सुझाव भी दिया गया है। समिति ने स्कूल और कालेजों के शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा दूसरे काम न करवाने, छात्र-शिक्षक अनुपात बढ़ाने और स्कूल-कालेजों में काउंसलर नियुक्त करने की भी बात कही है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल छात्र-छात्राओं द्वारा लगातार आत्महत्या किए जाने के बाद राज्य सरकार ने विधानसभा की एक समिति गठित की थी। इस समिति को इस मुद्दे पर विस्तार से जांच करने और सुझाव देने का जिम्मा सौंपा गया था। शिवराज मंत्रिमंडल की सदस्य अर्चना चिटनिस की अगुवाई वाली समिति ने हाल में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। 68 पेज की इस रिपोर्ट में समिति ने छात्र-छात्राओं की आत्महत्या से जुड़े तमाम पहलुओं का गहराई से अध्ययन किया है। समिति ने सरकार, समाज, परिवार और मीडिया के लिये अलग-अलग सुझाव दिए हैं।
समिति ने स्कूल-कालेजों में योग और ध्यान से संबंधित विषय की पढ़ाई अनिवार्य किए जाने का सुझाव दिया है। साथ ही कहा है कि प्रदेश की शिक्षा नीति को देश और दुनिया की शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में भारतीय परिवेश के अनुरूप बदला जाना चाहिए। शिक्षकों को पढ़ाई और उससे जुड़ी अन्य गतिविधियों के अलावा किसी तरह की कोई जिम्मेदारी नही दी जानी चाहिए। समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी स्कूल-कालेजों में स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। समिति का मानना है कि अस्थाई तौर पर नियुक्त किए गए शिक्षक अपने काम को गंभीरता से नहीं लेते।
समिति के मुताबिक अवसाद, अकेलेपन, निराशा, खुद को नाकाबिल समझना, खुद को हारा हुआ मानना, नया वातावरण और ड्रग की लत आदि ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से अधिकांश छात्र-छात्राएं अपनी जान दे देते हैं। समिति ने इस संबंध में सरकार को कुल 31 सुझाव दिए हैं।
मध्य प्रदेश में छात्रों द्वारा तनाव के चलते आत्महत्या किये जाने के कारणों का पता लगाने के लिए गठित की गई विधानसभा की समिति ने प्रदेश की शिक्षा नीति की समीक्षा का सुझाव दिया है और साथ ही छात्रों को अनिवार्य योग शिक्षा दिए जाने का सुझाव भी दिया गया है। समिति ने स्कूल और कालेजों के शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा दूसरे काम न करवाने, छात्र-शिक्षक अनुपात बढ़ाने और स्कूल-कालेजों में काउंसलर नियुक्त करने की भी बात कही है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल छात्र-छात्राओं द्वारा लगातार आत्महत्या किए जाने के बाद राज्य सरकार ने विधानसभा की एक समिति गठित की थी। इस समिति को इस मुद्दे पर विस्तार से जांच करने और सुझाव देने का जिम्मा सौंपा गया था। शिवराज मंत्रिमंडल की सदस्य अर्चना चिटनिस की अगुवाई वाली समिति ने हाल में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। 68 पेज की इस रिपोर्ट में समिति ने छात्र-छात्राओं की आत्महत्या से जुड़े तमाम पहलुओं का गहराई से अध्ययन किया है। समिति ने सरकार, समाज, परिवार और मीडिया के लिये अलग-अलग सुझाव दिए हैं।
समिति ने स्कूल-कालेजों में योग और ध्यान से संबंधित विषय की पढ़ाई अनिवार्य किए जाने का सुझाव दिया है। साथ ही कहा है कि प्रदेश की शिक्षा नीति को देश और दुनिया की शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में भारतीय परिवेश के अनुरूप बदला जाना चाहिए। शिक्षकों को पढ़ाई और उससे जुड़ी अन्य गतिविधियों के अलावा किसी तरह की कोई जिम्मेदारी नही दी जानी चाहिए। समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी स्कूल-कालेजों में स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। समिति का मानना है कि अस्थाई तौर पर नियुक्त किए गए शिक्षक अपने काम को गंभीरता से नहीं लेते।
समिति के मुताबिक अवसाद, अकेलेपन, निराशा, खुद को नाकाबिल समझना, खुद को हारा हुआ मानना, नया वातावरण और ड्रग की लत आदि ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से अधिकांश छात्र-छात्राएं अपनी जान दे देते हैं। समिति ने इस संबंध में सरकार को कुल 31 सुझाव दिए हैं।