ऐपशहर

इंटरव्यू: इंदौर में क्यों फैला कोरोना, कैबिनेट गठन में क्यों हुई देरी...? CM शिवराज ने बेबाकी से दिए सारे सवालों के जवाब

कोरोना काल में ही मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सरकार बनाई। शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने, लेकिन वे चार हफ्ते तक बगैर कैबिनेट के काम करते रहे। किसी तरह कैबिनेट गठित हुई, तो उसमें पांच मंत्रियों को ही जगह मिल पाई। इस बीच वहां कोरोना ने भी अपने पांव पसार लिए। नवभारत टाइम्स.कॉम को दिए इंटरव्यू में शिवराज चौहान ने इस उठापटक और कोरोना वायरस से निपटने के इंतजाम के बारे में बताया।

नवभारतटाइम्स.कॉम 28 Apr 2020, 3:35 pm
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम shivraj-singh-chauhan
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवभारत टाइम्स.कॉम से बात की।

मध्य प्रदेश इन दिनों कई वजहों से चर्चा में है। शिवराज चौहान (shivraj singh chauhan) मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कोई चार हफ्ते तक बगैर कैबिनेट के रहे। कहा गया कि मंत्रियों के नाम पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ सहमति नहीं बन पाने की वजह से यह देरी हुई। किसी तरह कैबिनेट गठित हुई, तो उसमें पांच मंत्रियों को ही जगह मिल पाई। इस बीच वहां कोरोना ने भी अपने पांव पसार लिए। नवभारत टाइम्स.कॉम की विशेष संवाददाता पूनम पाण्डे को दिए इंटरव्यू में शिवराज चौहान (shivraj singh chauhan) ने इस उठापटक और कोरोना वायरस से निपटने के इंतजाम के बारे में बताया-:


  1. अब जाकर मध्य प्रदेश को पांच मंत्री मिले हैं, इसमें इतनी देरी क्यों हुई?
    कार्य भार संभालने के बाद हमारी पहली प्राथमिकता कोरोना संकट से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम करने की थी। पहली जिम्मेदारी प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा की थी। हमें मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को और अधिक मजबूत बनाना था, पर्याप्त चिकित्सीय सुविधाओं का प्रदेश में प्रबंध कर, सभी जिलों में हमें मेडिकल सेवाओं की उपलब्धता बढ़ानी थी। मैं सभी विधायकों, सांसदों और वरिष्ठ नेताओं के लगातार संपर्क में था और कई निर्णय हमने आपसी संपर्क और समन्वय से लिए। प्रदेश में पूरा प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग आदि इस संकट से निपटने में लगे हैं। कोरोना संकट की स्थिति को संभालना हमारी पहली प्राथमिकता है, उचित समय देखते हुए हमने कैबिनेट का गठन किया और जिम्मेदारियां बांटी।
  2. जब आपने चीफ मिनिस्टर पद की शपथ ली उसी वक्त मंत्रियों को शपथ दिलाने में क्या दिक्कत थी? कहा जा रहा है कि कांग्रेस से आए विधायकों और बीजेपी के मौजूदा विधायकों में से कितनों को मंत्री बनाया जाए, इस पर बात अटकी हुई थी?
    यह कहना सही नहीं है। इस समय हमें प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य, उनकी सेहत और प्रदेश को कोरोना से बचाने के बारे में ध्यान देना चाहिये। ऐसे में राजनीतिक बातों का प्रश्न ही नहीं उठता। किसी के कहने पर हम रोक तो नहीं लगा सकते, जो इस महामारी के दौर में भी राजनैतिक दृष्टि से बातें बना रहे हैं, उनकी अपनी सोच और अपना नजरिया है। मंत्रिमंडल के गठन का निर्णय राष्ट्रीय संगठन और राज्य संगठन के आपसी विमर्श के बाद लिया गया है। हम सभी की प्राथमिकता राज्य की बेहतरी के लिए काम करना और कोरोना संकट से निपटना है।
  3. जब प्रधानमंत्री की तरफ से अपील की गई थी कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, उसके बाद आपकी विधायक दल की मीटिंग हुई, फिर सरकार बनी। विपक्ष ने आरोप लगाया कि बीजेपी को कोरोना वायरस से निपटने की नहीं कांग्रेस की सरकार गिराने की चिंता थी, कितनी सचाई है?
    हमारी मीटिंग्स में प्रधानमंत्री जी के आह्वान के अनुसार सभी मापदंडों को ध्यान रखते हुए, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ही काम किया गया। विपक्ष अपने अंतर्द्वंद से उपजी अपनी असफलता को पचा नहीं पा रहा है, इसीलिए ऐसे समय में भी बार–बार इस तरह की बातें सामने आ रही हैं। मेरा विचार है कि उन्हें इस संकट काल से निपटने में सहयोग देने पर ध्यान लगाना चाहिए, प्रदेशवासियों की सुरक्षा के लिए और क्या काम किए जा सकते हैं इस विषय पर सोचना चाहिए और प्रदेश की सेवा के लिए जुट जाना चाहिए।
  4. क्या मध्य प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल की वजह से कोरोना से निपटने के प्रयासों में देरी हुई?
    कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इस संबंध में समय रहते उचित प्रबंध नहीं किए गए। कमलनाथ जी कह रहे हैं कि राहुल गांधी ने फरवरी में अपने ट्वीट के जरिए ही इस महामारी को लेकर संकेत दिए थे, तब उन्होंने क्यों नहीं उचित कदम उठाए, तब सरकार क्यों इस विषय को लेकर गंभीर नहीं हुई। मैंने कार्यभार संभालने के तुरंत बाद ही अपना पूरा ध्यान इस गंभीर बीमारी से निपटने पर लगाया।
  5. इंदौर में हालात इतने खराब कैसे हुए?
    इंदौर प्रदेश का घनी आबादी वाला क्षेत्र और मध्य-भारत का एक प्रमुख व्यावसायिक केंद्र है। विदेश यात्रा करने वाले लोगों की संख्या यहां सबसे अधिक थी। शुरू में विदेश यात्रा से लौटकर आने वाले लोगों ने असुरक्षा, डर और जागरूकता के अभाव में संक्रमण की जानकारी छुपाई और यह लोग जाने-अनजाने अन्य लोगों के संपर्क में आए और संक्रमण फैलता गया। इंदौर से जुड़े अन्य क्षेत्रों जैसे खरगौन, खंडवा के लोग भी संक्रमित पाए गए। समय रहते ही हमें केंद्र से विदेश यात्रा कर आए ऐसे 55,000 लोगों की जानकारी मिली, जिस पर तुरंत संज्ञान लिया गया। सीमाएं सील की गईं और संक्रमित व्यक्तियों को क्वारंटीन किया गया। प्रदेश में तब्लीगी जमात में शामिल हुए लोगों की जानकारी भी हमें मिली, जिनमें से कुछ लोग इंदौर के भी थे, यह लोग भी वहां से आकर प्रदेश के अंदरूनी इलाकों और प्रमुख शहरों में गए। वे सामने नहीं आए और दुर्भाग्य से यह संक्रमण ज्यादा फैल गया। इंदौर के हालातों को देखते हुए वहां बेहतर से बेहतर प्रबंध किए गए। इंदौर में मरीजों की हालत में सुधार भी आ रहा है 82 से अधिक मरीज स्वस्थ हुए हैं।
  6. हर रोज कोविड-19 के कितने टेस्ट राज्य में हो पा रहे हैं?
    प्रदेश की 11 लैबों में हरदिन औसतन 1800 से अधिक टेस्ट हो रहे हैं। प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में सैंपल लिए जा रहे हैं और उनकी जांच कराई जा रही है। सैंपल अधिक एकत्र होने पर उन्हें दिल्ली भेजा जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा जांच हो सके।
7. कोरोना से निपटने का मध्य प्रदेश का क्या मॉडल है, सरकार क्या-क्या कर रही है?
हर जिले में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में बना क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप हर रोज बैठक कर आगे की रणनीति तैयार कर उसे लागू करवा रहा है । हमने पूरी निगरानी की व्यवस्था की है। राज्य के वरिष्ठ अधिकारी हर क्षेत्र में व्यवस्था देख रहे हैं। नर्सिंग होम असोसिएशन के साथ बैठक के बाद निजी अस्पतालों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया। कई निजी अस्पताल इस महामारी से निपटने के लिए अपना पूरा अस्पताल देने का प्रस्ताव दे रहे हैं, उन्हें आवश्यक निर्देश भी दिए गए हैं। सभी डिस्टिलरीज को पर्याप्त रूप से सेनेटाइजर बनाने का आदेश दिया है। कोरोना प्रभावित लोगों से सीधे संवाद करने के लिए सभी जिलों में टेलीमेडिसिन केंद्र बनाए गए हैं। संक्रमित व्यक्तियों की निगरानी के लिए एक सार्थक ऐप बनाया है। लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

8. कोरोना वॉरियर्स पर अटैक को कैसे देखते हैं आप, कौन जिम्मेदार है इसके लिए?
कुछ असामाजिक तत्त्व लोगों को भड़काने का काम कर, इस तरह की स्थिति उत्पन्न करते हैं। हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि इस बीमारी के बारे में भ्रम ना फैले लोग डरें नहीं। इंदौर में ऐसी ही घटना हुई, हाल ही में ऐसी घटना उत्तर प्रदेश में भी हुई थी। मेरा मानना है ऐसे समय में जो कोई भी कानून के खिलाफ जाता हुआ पाया जाए या राहत और बचाव कार्य में सहयोग ना करे वह समाज का दुश्मन है, उसे कानून के अधीन किया जाना चाहिए। मैं यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि ऐसा करने वाले किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा।

9. लॉकडाउन एक्जिट प्लान क्या है, किस तरह सामान्य स्थिति की तरफ बढ़ेंगे?जनता जितना प्रशासन का सहयोग करेगी लॉक-डाउन हटने के उतने ही अधिक अवसर बनेंगे। जैसे ही स्थिति नियंत्रण में आती है, लॉकडाउन हटा दिया जाएगा,चीजें जल्द ही पटरी पर लौट आएंगी। मध्य प्रदेश के ऐसे जिले जो ग्रीन जोन के श्रेणी में आते हैं वहां छोटी –छोटी आर्थिक गतिविधियों की अनुमति दी गई है ताकि स्थिति फिर से सामान्य हो सके।

अगला लेख

Stateकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग