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अस्पताल, रेलवे लाइन और डीजल इंजन... तीन क्लू से पाकिस्तान से लौटी गीता को मिल गया परिवार, असली नाम है राधा वाघमारे

Pakistan Return Geeta Family : पाकिस्तान से लौटी गीता को परिवार मिल गया है। वह महाराष्ट्र के परभणी की रहने वाली है। उसके परिवार को ढूंढने में रेल पुलिस ने बड़ी भूमिका निभाई है। परिवार से मिलने के बाद गीता रेल पुलिस को धन्यवाद कहने आई थी।

Edited byमुनेश्वर कुमार | Lipi 29 Jun 2022, 10:19 am
भोपाल : सात साल पहले पाकिस्तान से लौटी गीता (Pakistan Return Geeta Family Updates) को परिवार मिल गया है। वह महाराष्ट्र के परभणी की रहने वाली है। मंगलवार को गीता अपनी मां और बहन के साथ भोपाल में रेल पुलिस को आभार जताने आई थी। रेल पुलिस ने ही उसे परिवार से मिलाया है। गीता का असली नाम राधा वाघमारे हैं। वह अपने परिवार से 20 सालों तक दूर रही है। वतन वापसी के बाद से ही पूरे देश में गीता के परिवार को ढूंढा जा रहा था। कई लोगों ने दावा भी किया लेकिन डीएनए मैच नहीं किया। गीता साइन लैंग्वेज सीख रही है और वह टीचर बनना चाहती है।
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गीता के परिवार को ढूंढने में जीआरपी ने अहम भूमिका निभाई है। पूरे हिंदुस्तान में जीआरपी का अपना स्वयं का एक बड़ा नेटवर्क है और ट्रेन में मिसिंग बच्चों को ढूंढने में इस नेटवर्क का बहुत बड़ा योगदान है। गीता के घर वालों को ढूंढने का काम शुरू हुआ, तब सबसे बड़ी समस्या यह थी कि गीता पूरी तरह से साइन लैंग्वेज को भी नहीं समझती थी। गीता ने इशारे में बताया कि वह जहां रहती थी, वहां पास में रेलवे पटरी थी और वहां एक अस्पताल भी था।

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दो निशानियों से परिवार तक पहुंची पुलिस
केवल इन दो निशानियां के आधार पर पूरे हिंदुस्तान में गीता के परिजनों को ढूंढने का सिलसिला शुरू हुआ। देश के विभिन्न विभिन्न हिस्सों में विशाखापट्टनम से लेकर साउथ तक इस तरह की जगहों की खोज की गई। उसके बाद इंदौर कलेक्टर ने फाउंडेशन के सदस्यों के साथ गीता को उन स्थानों पर भेजा, जहां गीता का घरवालों के मिलने की उम्मीद थी। इसी बीच जीआरपी की तरफ से गीता के पोस्टर छपवा कर गीता के परिजनों को ढूंढने का काम शुरू किया गया। लगभग डेढ़ से दो साल लगे।

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ऐसे हुई गीता की पहचान
जीआरपी ने दो साल में गीता का घर ढूंढ लिया था। इसमें भी एक बड़ी समस्या यह थी कि गीता की पहचान कैसे की जाए क्योंकि जब गीता घर से गई थी तो वह बहुत छोटी थी। गीता की दादी ने बताया कि गीता के पेट पर एक चोट का निशान है और उसका बचपन का नाम गीता नहीं राधा था। वह काफी धार्मिक प्रवृत्ति की बच्ची थी और बचपन से ही मूक बधिर थी।

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सचखंड एक्सप्रेस एक बड़ा क्लू
दरअसल, साल दो हजार में गीता बहुत छोटी थी और जब वह घर से गायब हुई, तब उसे सिर्फ इतना याद है कि वह जिस ट्रेन में बैठ कर गई थी, उसमें डीजल इंजन लगता था। जीआरपी के लिए यह काफी काम आया तो आज भी सचखंड एक्सप्रेस में डीजल इंजन का प्रयोग किया जाता है। इसी गाड़ी से गीता अमृतसर पहुंची थी और वहां से समझौता एक्सप्रेस में बैठकर वह पाकिस्तान पहुंच गई थी।

पाकिस्तान में गीता का रखा गया बहुत ख्याल
पाकिस्तान में गीता का बहुत ध्यान रखा गया। वहां वह जिस संस्था में रहती थी, उसके पूजा के लिए वहां मंदिर बनवाया गया था। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद गीता की घर वापसी हो गई है। यहां लौटने के बाद उसके परिजनों को ढूंढना काफी मुश्किल था। जीआरपी ने गीता को ढूंढने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

साइन लैंग्वेज टीचर बनना चाहती है गीता
वहीं, गीता साइन लैंग्वेज टीचर बनना चाहती हैं। गीता का असली नाम राधा है। वह साइन लैंग्वेज सीखकर अपने जैसे मूक बधिर बच्चों को पढ़ाना चाहती है। गीता ने इशारों में बताया कि वह टीचर बनकर आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं। साइन लैंग्वेज के माध्यम से गीता ने बताया कि कराची में उसने लोगों को बताया कि वह हिंदू है और भारत की रहने वाली है और वह पूजा-पाठ करती है। इसके बाद उस संस्था ने कैंपस में ही मंदिर बनवा दिया।
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वहीं, गीता से पूछा गया कि पाकिस्तान अच्छा लगता है कि भारत तो उसने कहा कि भारत ही पसंद है। हालांकि पाकिस्तान में जिस एनजीओ में वह रही थी, उस एनजीओ की संचालिका ने गीता को अपनी बेटी की तरह रखा और गीता भी उन्हें अपनी मां का दर्जा देती है। गीता ने बताया कि पाकिस्तान में उन्हें बहुत अच्छे से रखा गया लेकिन वहां के लोग नॉनवेज बहुत खाते थे। उसकी दादी ने उसे बताया था कि हम पूजा पाठ करने वाले लोग हैं और हमें नॉनवेज नहीं खाना है। गीता को यह बात बचपन से याद है और गीता श्री कृष्ण भगवान और हनुमान जी की भक्ति करती है। इसके चलते गीता को वहां भी शाकाहारी खाना दिया जाता था। गीता की मां को केवल मराठी भाषा ही आती है।
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गीता की मां अपनी बेटी से मिलकर बहुत खुश है और उसकी एक बड़ी बहन भी है, जिसकी शादी हो चुकी है। गीता परिवार में भी सभी लोगों से मिलकर आई है। गीता की मां और गीता एक दूसरे से मिलकर काफी खुश हैं। गीता की मां और गीता ने मध्य प्रदेश पुलिस और जीआरपी पुलिस की काफी तारीफ की। साथ ही धन्यवाद पत्र भी दिया है।

भोपाल से दीपक द्विवेदी की रिपोर्ट
लेखक के बारे में
मुनेश्वर कुमार
नवभारत टाइम्स डिजिटल में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के लिए काम करता हूं। पत्रकारिता में महुआ टीवी, कशिश न्यूज, इंडिया न्यूज, ईनाडु इंडिया, ईटीवी भारत और राजस्थान पत्रिका से होते हुए टाइम्स इंटरनेट तक 11 साल का सफर। बिहार की राजधानी पटना से शुरुआत के बाद अब भोपाल कर्मस्थल। राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों में गहरी रुचि। पिछले सात सालों से डिजिटल मीडिया में...... और पढ़ें

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