ऐपशहर

MLA भतीजा का टिकट कटने का डर या कुछ और, उमा भारती ने लोध वोटरों से क्यों की ये अपील?

उमा भारती ने लोध समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे उनके कहने पर बीजेपी के लिए वोट न करें। इतना ही नहीं, उमा ने यह भी कह दिया है कि वे अब पार्टी के लिए वोट नहीं मांगेंगी। बीजेपी में लगातार अलग-थलग हो रहीं उमा ने जाति कार्ड खेलकर अपना राजनीतिक करियर बचाने के लिए आखिरी दांव चल दिया है। फिर भी यह गारंटी नहीं है कि बीजेपी नेतृत्व उनकी हसरत पूरी करेगा।

Edited byआदित्य पूजन | नवभारतटाइम्स.कॉम 29 Dec 2022, 2:06 pm

हाइलाइट्स

  • उमा भारती की लोध वोटर्स से अपील, उनके नाम पर बीजेपी को वोट न दें
  • उमा ने पार्टी के लिए वोट नहीं मांगने का भी कर दिया ऐलान
  • उमा को सता रहा एमएलए भतीजे के टिकट कटने का डर
  • पार्टी में अलग-थलग पड़ी उमा को एमपी की राजनीति में सक्रिय नहीं होने दे रहे विरोधी
सारी खबरें हाइलाइट्स में पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें
नवभारतटाइम्स.कॉम Uma-Bharti (2)
भोपालः मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रह चुकी उमा भारती इन दिनों बेहद गुस्से में हैं। अब तक सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ बयान देने वाली उमा अब अपनी पार्टी के खिलाफ भी खुलेआम बोलने लगी हैं। तीन दिन पहले लोध समाज के सम्मेलन में उन्होंने खुलेआम कह दिया कि वे अब बीजेपी के लिए वोट नहीं मांगेंगी। इतना ही नहीं, उमा ने अपने समाज के लोगों से यह अपील भी की कि वे अपना हित देखकर ही वोटिंग करें। केंद्र की राजनीति से दूर होने के बाद उमा लंबे समय से एमपी की राजनीति में सक्रिय होने की कोशिश में लगी हैं। शराबबंदी के खिलाफ अपने अभियान के जरिए वे समय-समय पर बीजेपी को अपनी अहमियत जताने की कोशिश भी करती रही हैं, लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि वे पार्टी के खिलाफ ही बयान देने लगीं।

गुस्से के कई कारण


उमा के गुस्से का एक कारण नहीं है। पार्टी में उनके विरोधी एमपी में उनकी सक्रियता के रास्ते में पहले से अड़ंगा लगाते रहे हैं। कुछ दिन पहले उमा के करीबी प्रीतम सिंह लोधी को बीजेपी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इस बीच उनके भतीजे राहुल सिंह लोधी की विधायकी पर खतरा मंडराने लगा है। हालांकि, अदालत से राहुल को फिलहाल राहत मिल गई है, लेकिन उमा को अंदेशा है कि अगले चुनाव में उनका टिकट कट सकता है। उमा खुद को पारिवारिक बंधनों से अलग करने का पहले ही ऐलान कर चुकी हैं। इसलिए वे राहुल के लिए खुलकर टिकट की मांग नहीं कर सकती हैं। 2018 में भी बीजेपी राहुल को उम्मीदवार बनाने को तैयार नहीं थी। तब उमा के अड़ियल रुख के आगे पार्टी को झुकना पड़ा था।

शिव के आगे बौनी पड़ गईं उमा


उमा भारती लोध समुदाय की प्रभावशाली नेता हैं। 2003 में उनके नेतृत्व में ही बीजेपी ने दिग्विजय सिंह की दस साल से चल रही सरकार को सत्ता से बाहर किया था। इसके बाद उमा मुख्यमंत्री भी बनीं, लेकिन एक साल बाद ही उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। उन्होंने सीएम की कुर्सी वापस हासिल करने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए, अपनी अलग पार्टी तक बनाई, लेकिन तब तक शिवराज सिंह चौहान जम चुके थे। शिवराज की लोकप्रियता का जादू ऐसा चला कि उमा क्या, कई अन्य नेता भी बैकग्राउंड में जाने को मजबूर हो गए।

2019 के बाद से लगातार साइडलाइन


उमा की अहमियत से वाकिफ बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में शामिल कर लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली कैबिनेट में उन्हें जलशक्ति मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन 2019 के आते-आते उनका ग्राफ नीचे आने लगा। उमा को लोकसभा का टिकट पार्टी ने नहीं दिया। उन्होंने राज्यसभा सीट के लिए जोर लगाया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। फिर उन्होंने एमपी की राजनीति में सक्रिय होने की कोशिश की, लेकिन विरोधी उनके रास्ते में अड़ंगा लगाते रहे।

सम्मानजनक डील की उम्मीद में आखिरी दांव

अब जबकि अगले साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, उमा ने अपना तुरूप का इक्का इस्तेमाल कर लिया है। उन्होंने जाति कार्ड खेलकर बीजेपी को स्पष्ट मैसेज दे दिया है कि वे उसके लिए वोट नहीं मांगेंगी। यानी उनको नाराज कर बीजेपी लोध वोट को अपने पाले में करने की उम्मीद नहीं कर सकती। अपने डूबते करियर को बचाने के लिए उमा ने इसके जरिए अपना सबसे बड़ा दांव खेल दिया है। उन्हें उम्मीद है कि इसके बाद पार्टी उनके साथ सम्मानजनक डील करने को मजबूर होगी। उन्हें पार्टी में फिर से तवज्जो मिलेगी और उनके समर्थकों को भी परेशान नहीं किया जाएगा। अब देखना यह है कि वे इसमें कामयाब हो पाती हैं या नहीं।
लेखक के बारे में
आदित्य पूजन
आदित्य पूजन नवभारत टाइम्स में असिस्टेंट न्यूज एडिटर पर कार्यरत हैं। दैनिक जागरण, दैनिक भारस्कर और जी ग्रुप में काम कर चुके हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के बाद अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहे हैं। राजनीति और खेल जगत की खबरों से काफी लगाव है।... और पढ़ें

अगला लेख

Stateकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग