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Narendra Tomar-Narottam Mishra Meeting: सिंधिया के धुर विरोधियों की बंद कमरे में मुलाकात, कहीं यह महाराज के खिलाफ खेमेबंदी तो नहीं!

पंचायत चुनाव की घोषणा के अगले दिन ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की मुलाकात चर्चा का विषय बन गई है। सिंधिया के दो धुर विरोधियों की बंद कमरे में बातचीत को उनके खिलाफ खेमेबंदी के रूप में देखा जा रहा है।

Edited byआदित्य पूजन | नवभारतटाइम्स.कॉम 29 May 2022, 5:30 am
ग्वालियरः मध्य प्रदेश में पंचायत चुनावों के ऐलान के साथ राजनीतिक बिसात बिछने लगी है। चुनावों की घोषणा के एक दिन बाद ग्वालियर में बीजेपी के दो बड़े नेताओं की मुलाकात चर्चा जोर-शोर से हो रही है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गृह नगर ग्वालियर में हुई मुलाकात के बाद कयास लग रहे हैं कि दोनों के बीच क्या बातचीत हुई। चर्चा इसलिए ज्यादा हो रही है क्योंकि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की राजनीति में दोनों सिंधिया के धुर विरोधी माने जाते हैं।
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शनिवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलने मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा पहुंचे। तोमर के ग्वालियर स्थित बंगले पर दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में करीब आधा घंटा बातचीत हुई। तोमर और नरोत्तम मिश्रा की केवल मुलाकात ही नहीं हुई, बल्कि बाद में दोनों एक साथ ही मुरैना के लिए रवाना हुए। उन्होंने वहां अस्पतालों और आवासों के लोकार्पण कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। बातचीत का विषय क्या था, इसको लेकर खास जानकारी अब तक सामने नहीं आई है।

सिंधिया-तोमर की पुरानी प्रतिद्वंद्विता
चुनावी माहौल में दोनों के बीच नजदीकियों के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। दोनों ग्वालियर के महाराज केंद्रीय मंत्री सिंधिया के विरोधी माने जाते हैं। ग्वालियर से चुनाव लड़ने वाले तोमर और सिंधिया की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता तभी से चली आ रही है, जब महाराज कांग्रेस में थे। उनके बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद भी दोनों के बीच रिश्तों में खास बदलाव नहीं आया है।

नरोत्तम के लिए खतरा हो सकते हैं महाराज
वहीं, प्रदेश कैबिनेट में नंबर दो की हैसियत रखने वाले नरोत्तम मिश्रा बीजेपी में अगली पीढ़ी के अग्रणी नेता माने जाते हैं। सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद से उन्हें अपनी इस हैसियत पर खतरा मंडराता दिख रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले दो साल में ही पार्टी में सिंधिया का कद तेजी से बढ़ा है और शिवराज के बाद कौन के विकल्पों में उनका नाम भी प्रमुखता से लिया जाने लगा है।

खेमेबंदी का इशारा कर रही जुगलबंदी
ऐसे में तोमर और मिश्रा की इस जुगलबंदी को यह पार्टी और खासकर चंबल क्षेत्र में सिंधिया के खिलाफ बीजेपी के पुराने नेताओं की खेमेबंदी के रूप में देखा जा रहा है। सिंधिया को पंचायत चुनावों के लिए बीजेपी की कोर कमेटी में भी शामिल किया गया है। यह तय है कि पंचायत चुनावों में सिंधिया के समर्थक भी अपने लिए टिकट की मांग करेंगे। टिकट के लिए जोर-आजमाइश में तोमर या मिश्रा अकेले सिंधिया के मुकाबले कमजोर पड़ सकते हैं। दूसरी ओर, उनकी यह जुगलबंदी सिंधिया-समर्थकों को किनारे करने में मददगार हो सकती है। खासकर इसलिए भी क्योंकि तोमर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी करीबी माने जाते हैं।

बातचीत क्या हुई, इस पर चुप्पी
हालांकि, मुलाकात के बाद तोमर और मिश्रा ने किसी खेमेबंदी का कोई इशारा नहीं दिया। तोमर ने पत्रकारों से चर्चा में पंचायत चुनाव पर जीत का दावा किया। उन्होंने कहा कि बीजेपी की तैयारियां शुरू हो गई हैं और पार्टी अधिकांश सीटों पर जीतेगी। कांग्रेस की ओर से द्वारा विवेक तन्खा को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने पर भी उन्होंने कुछ कहने से इनकार कर दिया। तोमर ने कहा कि कांग्रेस को आगे बढ़ना है या अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना है, ये फैसला उसे खुद करना है।
लेखक के बारे में
आदित्य पूजन
आदित्य पूजन नवभारत टाइम्स में असिस्टेंट न्यूज एडिटर पर कार्यरत हैं। दैनिक जागरण, दैनिक भारस्कर और जी ग्रुप में काम कर चुके हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के बाद अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहे हैं। राजनीति और खेल जगत की खबरों से काफी लगाव है।... और पढ़ें

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