ग्वालियर
बीजेपी ज्वाइन करने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर नहीं गए हैं। ग्वालियर सिंधिया का घर और गढ़ भी हैं। 2 दिन पहले जब वह इंदौर आए थे, तो कांग्रेस ने यहीं सवाल उठाया था कि वह जनसेवा के लिए ग्वालियर क्यों नहीं जाते हैं। अब पार्टी ने बीजेपी नेता के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया की ग्वालियर में लॉन्चिंग के लिए मेगा तैयारी की है। महाराज और शिवराज की जोड़ी पहली बार ग्वालियर में एक-साथ उतरने जा रही है।
महाराज बीजेपी नेता के रूप में मेगा तरीके से लॉन्च करने के लिए बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे। इसे लेकर ग्वालियर में तैयारी शुरू हो गई है। 22- 24 अगस्त तक ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर-चंबल के दौरे पर रहेंगे। 22 को ग्वालियर पहुंचने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया का भव्य तरीके से स्वागत होगा। कहा जा रहा है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में उस दिन कांग्रेस के 10 हजार कार्यकर्ता बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। बीजेपी नेताओं के अनुसार इस कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मौजूद रहेंगे।
ग्वालियर-चंबल में हैं 16 सीट
दरअसल, एमपी में 27 सीटों पर उपचुनाव हैं। 27 में से 16 सीट ग्वालियर-चंबल संभाग से आते हैं। ये सारी सीटें ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद खाली हुई हैं। ऐसे में इन सीटों को जीतना ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए जरूरी है। पार्टी ने इन सीटों पर प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी अनुभवी नेता प्रभात झा को सौंपी है।
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बीजेपी के लिए क्यों है ये जरूरी
दरअसल, कांग्रेस आरोप लगाती है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान में तालमेल नहीं है। कांग्रेस के इन आरोपों की हवा निकालने के लिए बीजेपी सिंधिया और शिवराज की जोड़ी को एक साथ उतारने का फैसला किया है। चौहान के साथ जाने से सिंधिया का प्रभाव भी उन इलाकों में बढ़ेगा।
इसके साथ कांग्रेस यह आरोपी लगाती रही है कि प्रेशर पॉलिटिक्स की वजह से शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया में नहीं बनती है। इसलिए बीजेपी दोनों नेताओं के एक साथ 25 सीटों पर कार्यक्रम तैयार कर रहा है। वहीं, महिलाओं, किसानों, श्रमिकों, गरीब और मध्यम वर्ग में शिवराज का तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का युवाओं में प्रभाव है। दोनों जब एक साथ आएंगे तो कांग्रेस की चुनौती बढ़ेगी।
टिकट को लेकर भी गतिरोध खत्म होगा
चर्चा यह भी है कि टिकट वितरण को लेकर बीजेपी के दावेदारों और ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे में गतिरोध है। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान जब साथ आएंगे, तो दोनों के करीबी स्थानीय नेता, दावेदार और प्रत्याशी साथ आएंगे। इससे बिखराव वाली बातों में कोई दम नहीं रहेगा।
कांग्रेस की बढ़ी चुनौती
वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान के एक साथ उतरने से ग्वालियर-चंबल इलाके में कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है। साथ ही बीएसपी ने भी मुश्किलें बढ़ा दी है। बीएसपी ने साफ कर दिया है कि वह 27 सीटों पर उपचुनाव लड़ेगी। ऐसे में इसका नुकसान कांग्रेस को ही होगा। क्योंकि बीएसपी कांग्रेस के वोटों में ही सेंधमारी करती है।
बीजेपी ज्वाइन करने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर नहीं गए हैं। ग्वालियर सिंधिया का घर और गढ़ भी हैं। 2 दिन पहले जब वह इंदौर आए थे, तो कांग्रेस ने यहीं सवाल उठाया था कि वह जनसेवा के लिए ग्वालियर क्यों नहीं जाते हैं। अब पार्टी ने बीजेपी नेता के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया की ग्वालियर में लॉन्चिंग के लिए मेगा तैयारी की है। महाराज और शिवराज की जोड़ी पहली बार ग्वालियर में एक-साथ उतरने जा रही है।
महाराज बीजेपी नेता के रूप में मेगा तरीके से लॉन्च करने के लिए बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे। इसे लेकर ग्वालियर में तैयारी शुरू हो गई है। 22- 24 अगस्त तक ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर-चंबल के दौरे पर रहेंगे। 22 को ग्वालियर पहुंचने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया का भव्य तरीके से स्वागत होगा। कहा जा रहा है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में उस दिन कांग्रेस के 10 हजार कार्यकर्ता बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। बीजेपी नेताओं के अनुसार इस कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मौजूद रहेंगे।
ग्वालियर-चंबल में हैं 16 सीट
दरअसल, एमपी में 27 सीटों पर उपचुनाव हैं। 27 में से 16 सीट ग्वालियर-चंबल संभाग से आते हैं। ये सारी सीटें ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद खाली हुई हैं। ऐसे में इन सीटों को जीतना ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए जरूरी है। पार्टी ने इन सीटों पर प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी अनुभवी नेता प्रभात झा को सौंपी है।
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बीजेपी के लिए क्यों है ये जरूरी
दरअसल, कांग्रेस आरोप लगाती है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान में तालमेल नहीं है। कांग्रेस के इन आरोपों की हवा निकालने के लिए बीजेपी सिंधिया और शिवराज की जोड़ी को एक साथ उतारने का फैसला किया है। चौहान के साथ जाने से सिंधिया का प्रभाव भी उन इलाकों में बढ़ेगा।
इसके साथ कांग्रेस यह आरोपी लगाती रही है कि प्रेशर पॉलिटिक्स की वजह से शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया में नहीं बनती है। इसलिए बीजेपी दोनों नेताओं के एक साथ 25 सीटों पर कार्यक्रम तैयार कर रहा है। वहीं, महिलाओं, किसानों, श्रमिकों, गरीब और मध्यम वर्ग में शिवराज का तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का युवाओं में प्रभाव है। दोनों जब एक साथ आएंगे तो कांग्रेस की चुनौती बढ़ेगी।
टिकट को लेकर भी गतिरोध खत्म होगा
चर्चा यह भी है कि टिकट वितरण को लेकर बीजेपी के दावेदारों और ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे में गतिरोध है। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान जब साथ आएंगे, तो दोनों के करीबी स्थानीय नेता, दावेदार और प्रत्याशी साथ आएंगे। इससे बिखराव वाली बातों में कोई दम नहीं रहेगा।
कांग्रेस की बढ़ी चुनौती
वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान के एक साथ उतरने से ग्वालियर-चंबल इलाके में कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है। साथ ही बीएसपी ने भी मुश्किलें बढ़ा दी है। बीएसपी ने साफ कर दिया है कि वह 27 सीटों पर उपचुनाव लड़ेगी। ऐसे में इसका नुकसान कांग्रेस को ही होगा। क्योंकि बीएसपी कांग्रेस के वोटों में ही सेंधमारी करती है।