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मैकेनिक बन नई इबारत लिख रहीं इंदौर की महिलाएं, गैराज ऑन व्हील्स चलाकर बन रहीं आत्मनिर्भर

एमपी में इंदौर की महिलाएं नई इबारत लिख रही हैं। एक एनजीओ की मदद से वे ऐसे व्यवसाय में उतर रही हैं जो आम तौर पर पुरुषों का माना जाता है। समाम सोसायटी के सहयोग से महिलाएं बाइक मैकेनिक की ट्रेनिंग लेकर सर्विस सेंटर में काम कर रही हैं। कुछ ऐसे सर्विस सेंटर भी शुरू हुए हैं जिनमें केवल महिलाएं ही काम करती हैं। वहीं, कुछ महिलाएं गैराज ऑन व्हील्स भी चला रही हैं।

Edited byआदित्य पूजन | Lipi 26 May 2022, 6:25 pm
पुष्पेंद्र वैद्य, इंदौरः मध्य प्रदेश के इंदौर में कुछ महिलाएं नई कहानी लिख रही हैं। वे पुरुषों के आधिपत्य वाले मैकेनिक जैसे काम कर दूसरी महिलाओं के लिए उदाहरण पेश कर रही हैं। इसकी शुरुआत करीब तीन साल पहले एक एनजीओ के गठन से हुई थी। अब शहर के कई सर्विस सेंटर में महिला मैकेनिक काम कर रही हैं। साथ ही, दो ऐसे सर्विस सेंटर भी चल रहे हैं जिनमें केवल महिला मैकेनिक ही हैं।
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एनजीओ से हुई शुरुआत
सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र बंधु ने 'समान सोसायटी' नामक एनजीओ का गठन कर तीन साल पहले एक नई पहल की थी। एनजीओ का मकसद है - महिलाओं को गैर पारंपरिक रोजगार से जोड़ना। इसके अंतर्गत महिलाओं को बाइक मैकेनिक का प्रशिक्षण देने की शुरुआत की गई। अब तक 300 से अधिक महिलाओं को बाइक मैकेनिक का प्रशिक्षण दिया गया। एनजीओ की मदद से कई महिलाओं को विभिन्न सर्विस सेंटर पर मैकेनिक के रूप में जॉब दिलवाया गया। इसके अलावा शहर में दो ऐसे बाइक सर्विस सेंटर शुरू किए गए, जहां सभी मैकेनिक महिलाएं ही हैं।

पुरुषों का विरोध भी नहीं आया आड़े
ट्रेनिंग के लिए महिलाओं को चुनने हेतु कम्युनिटी मोबिलाइजेशन के अंतर्गत शहर की श्रमिक बस्तियों में कैम्प लगाए जाते हैं। कैंप में महिलाओं को मैकेनिक प्रशिक्षण के लिए प्रेरित किया जाता है। पहले परिवार के पुरुष इसका विरोध करते थे। उनका कहना था कि यह कठिन काम है और महिलाओं के लिए मुश्किल है। कई बार तो समान सोसायटी की टीम को पुरुषों के विरोध का सामना भी करना पड़ा, लेकिन संस्था के कार्यकर्ताओं ने हार नहीं मानी और अंततः महिलाएं खुद इस प्रशिक्षण के लिए आगे आईं।

करीब 50 महिला मैकेनिक तैयार
ट्रेनिंग में शामिल ज्यादातर महिलाएं पांचवीं से दसवीं कक्षा तक ही शिक्षा प्राप्त होती हैं। प्रशिक्षण के बाद बड़ी समस्या रोजगार दिलाना है। इसके लिए एनजीओ शहर के विभिन्न सर्विस सेंटर से संपर्क करती है और महिलाओं का प्लेसमेंट कराया जाता है। अब तक करीब 50 महिलाओं को मैकेनिक के रूप में प्लेसमेंट कराया जा चुका है।

तीन केवल महिलाओं के गैराज
जो महिला मैकेनिक अपना गैरेज शुरू करना चाहती हैं, एनजीओ उन्हें इसमें भी मदद करता है। तीन गैराज शुरू भी हुए थे, लेकिन उनमें से एक लॉकडाउन के कारण पैदा हुई मंदी के कारण बंद हो गया है।

गैराज ऑन व्हील्स भी चला रहीं
ट्रेनिंग हासिल करने के बाद गैराज ऑन व्हील्स चला रहीं अनीता ने बताया कि उससे ग्राहक या सर्विस सेंटर के लोग फोन पर संपर्क करते हैं तो वह वहां पहुंच जाती है। इससे वह हर महीने नौ हजार रुपये कमा लेती है। ट्रैवलिंग अलाउंस णलग से मिलता है।

एडवांस ट्रेनिंग प्राप्त महिलाओं का अलग ग्रुप
इसके साथ ही समान सोसायटी ने महिला मैकेनिकों का एक ग्रुप बनाया है, जिसे यंत्रिका ग्रुप नाम दिया गया हैं। यंत्रिका ग्रुप द्वारा सर्विस सेंटर स्थापित किए गए हैं। ये विशेष सर्विस सेंटर्स हैं, जहां महिला मैकेनिक एडवांस्ड टूल्स जैसे हाईड्रॉलिक, ऑटोमेटिक स्क्रू ड्राईवर, कम्प्रेशर आदि से काम करती हैं।
लेखक के बारे में
आदित्य पूजन
आदित्य पूजन नवभारत टाइम्स में असिस्टेंट न्यूज एडिटर पर कार्यरत हैं। दैनिक जागरण, दैनिक भारस्कर और जी ग्रुप में काम कर चुके हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के बाद अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहे हैं। राजनीति और खेल जगत की खबरों से काफी लगाव है।... और पढ़ें

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