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बाघिन की मौत के बाद शावकों का पिता रख रहा ध्यान, खाने-पीने के इंतजाम से लेकर शिकार की ट्रेनिंग तक दे रहा

पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन पी213-32 का निधन 15 मई को अज्ञात कारणों से हो गया। टाइगर रिजर्व प्रबंधन को बाघिन के मरने के तकरीबन एक महीने बाद पता चला कि उसके बच्चों का ख्याल उसका पिता पी243 नामक बाघ रख रहा है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 5 Jul 2021, 7:29 pm
एमपी के पन्ना टाइगर रिजर्व में एक बाघिन की मौत के बाद उसके चार शावकों का ध्यान उनका पिता बाघ रहा है। नर बाघ बच्चों के खाने-पीने के साथ उन्हें शिकार करने की ट्रेनिंग भी दे रहा है।
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बाघिन की मौत के बाद शावकों का पिता रख रहा ध्यान, खाने-पीने के इंतजाम से लेकर शिकार की ट्रेनिंग तक दे रहा


शावकों के साथ बाघ

शिकार के साथ नर बाघ

ऐसे चला पता

पी243 बाघ ने 6 जून को एक गाय का शिकार किया। सुबह शिकार के बाद दिन भर बाघ उस इलाके में भटकता रहा लेकिन शिकार खाने नहीं आया। यह देखकर पन्ना टाइगर रिजर्व के स्टाफ को कुछ अटपटा लगा। खोजबीन की तो पता चला जहां शिकार हुआ है वह इलाका बाघिन के चार छोटे बच्चों का है। उन्होंने छानबीन की तो पता चला कि इससे पहले 21 मई को बाघ ने इसी इलाके में एक और शिकार किया था और उसे खींचकर अपने बच्चों के पास ले गया। उस शिकार को उसने अपने शावकों के साथ साझा किया। अधिकारियों ने तब ये निष्कर्ष निकाला कि पी-243 बाघ इनका ध्यान रख रहा है।

करीब 8 महीने के हैं शावक

बाघ के बच्चे तकरीबन आठ महीने के हैं। उन्होंने शिकार करना पूरी तरह से नहीं सीखा है। मां ने बच्चों को शिकार खाना जरूर सिखा दिया है, लेकिन उन्हें किसी शिकार को पकड़ते अब तक नहीं देखा गया। टाइगर रिजर्व के प्रबंधन ने शावकों की देखभाल जंगल के प्राकृतिक माहौल में ही करने का फैसला किया है। शावक जब तक खुद शिकार करना शुरू नहीं कर देते, तब तक प्रबंधन उन पर कड़ी निगरानी रख रहा है।

3-4 महीने रखना होगा ध्यान

बाघ के बच्चे तकरीबन आठ महीने के हैं। उन्होंने शिकार करना पूरी तरह से नहीं सीखा है। मां ने बच्चों को शिकार खाना जरूर सिखा दिया है, लेकिन उन्हें किसी शिकार को पकड़ते अब तक नहीं देखा गया। टाइगर रिजर्व के प्रबंधन ने शावकों की देखभाल जंगल के प्राकृतिक माहौल में ही करने का फैसला किया है। शावक जब तक खुद शिकार करना शुरू नहीं कर देते, तब तक प्रबंधन उन पर कड़ी निगरानी रख रहा है। बाघ सामान्य तौर पर 12-13 महीने का होने पर शिकार करना शुरू करता है। इस हिसाब से टाइगर रिजर्व प्रबंधन को अभी बच्चों की 3-4 महीने देखभाल करनी है। बाघ के बच्चों का वजन फिलहाल 50 से 60 किलो है, जो अगले 3-4 महीनों में 80 से 90 किलो तक हो जाएगा। इस वजन को हासिल करने के लिए उन्हें हर तीन-चार दिन में एक शिकार चाहिए। बच्चों की सुरक्षा के लिए नर बाघ पी243 को कॉलर लगा दिया गया है। बच्चों को भी सही समय आने पर कॉलर लगाया जा सकता है।

टाइगर रिजर्व प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती


बाघ के बच्चों को मां के बिना पालना मुश्किल काम है। एमपी में बाघ के अनाथ बच्चों को पालने की कई बार कोशिश हो चुकी है, लेकिन अब तक नतीजे अच्छे नहीं रहे हैं। वर्ष 2017 में तीन अनाथ बच्चे बांधवगढ़ के जंगलों में मिले थे। इनकी मां को शिकारियों ने मार दिया था। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रशासन ने इन्हें पालने की कोशिश की, लेकिन एक-एक कर तीनों बच्चे वायरस संक्रमण का शिकार हो गए और उनकी मृत्यु हो गयी। एक दूसरी घटना में बांधवगढ़ में दो बच्चों को बाघिन छोड़कर चली गई थी। दोनों बच्चों डेढ़ महीने के थे। रिजर्व प्रशासन ने इन्हें पाला, लेकिन बड़े होने के बाद भी वे शिकार करना नहीं सीख पाए। थक-हारकर इन्हें भोपाल स्थित चिड़ियाघर वन विहार में रखना पड़ा।


Image Source- Panna Tiger Reserve

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