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Kisan Andolan News: भाकियू नेता टिकैत बोले- कृषि कानूनों को वापस न लिया तो किसान मई 2024 तक प्रदर्शन को तैयार

Kisan Andolan News: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने रविवार को कहा कि किसान केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ 'मई 2024' (लोकसभा चुनाव) तक प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन 'वैचारिक क्रांति' है।

भाषा 17 Jan 2021, 7:49 pm

हाइलाइट्स

  • केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने के मूड में किसान
  • भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने नागपुर में की पत्रकारों से बातचीत
  • टिकैत ने कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी चाहते हैं
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नागपुर
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लंबी लड़ाई लड़ने के मूड में हैं। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने रविवार को कहा कि किसान केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ 'मई 2024' (लोकसभा चुनाव) तक प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन 'वैचारिक क्रांति' है। नागपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए टिकैत ने कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी चाहते हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 26 नवंबर, 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीनों नए कानूनों को वापस लिया जाए जिन्हें केंद्र ने कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार बताया है। किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानून एमएसपी के सुरक्षा घेरे को समाप्त करने और मंडी प्रणाली को बंद करने का रास्ता साफ करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को नए कृषि कानूनों को लागू करने पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।


'तीनों कानूनों को वापस लिया जाए'
टिकैत से जब पूछा गया कि किसान कब तक प्रदर्शन करेंगे, इस पर उन्होंने कहा कि हम मई 2024 तक प्रदर्शन करने को तैयार हैं। हमारी मांग है कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए और सरकार एमएसपी को कानूनी गारंटी प्रदान करे। दरअसल देश में अगले लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई 2024 के आसपास ही होने की संभावना है।

किसानों की वैचारिक क्रांति
'अमीर किसानों' की ओर से प्रदर्शन में मदद किए जाने के आरोपों को खारिज करते हुए टिकैत ने कहा कि गांवों और अनेक संगठनों के लोगों ने इसमें भाग लिया है। उन्होंने कहा कि यह दिल्ली से शुरू हुई किसानों की वैचारिक क्रांति है और विफल नहीं होगी। गांवों में किसान चाहते हैं कि हम तब तक नहीं लौटें जब तक तीनों कृषि विधेयकों को वापस नहीं लिया जाता।


लंबे समय तक चलता रहेगा आंदोलन
टिकैत ने कहा कि सरकार विधेयकों को वापस नहीं लेने के अपने रुख पर अड़ी है और आंदोलन लंबे समय तक चलता रहेगा। उन्होंने कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया लेकिन कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति में जो सदस्य हैं, उन्होंने कृषि विधेयकों का समर्थन किया था।

सुप्रीम कोर्ट की समिति के सामने नहीं जाना चाहते किसान
टिकैत ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट की गठित समिति के सामने नहीं जाना चाहते। सरकार ने भी कहा है कि सरकार और किसान इस मुद्दे पर समाधान खोज लेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि देश में विपक्षी दल कमजोर हैं और इसलिए किसानों को केंद्र के नए कानूनों के खिलाफ यह आंदोलन शुरू करना पड़ा।


आंदोलन में हिस्सा लेने वालों को नोटिसों के लिए रहना होगा तैयार
किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करने वाले कुछ लोगों को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के नोटिसों पर उन्होंने कहा कि जो लोग आंदोलन का हिस्सा बनना चाहते हैं, उन्हें अदालत के मामलों, जेल और संपत्ति सील किए जाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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