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सम्मान समारोह के मंच पर लगी थी सरस्वती की मूर्ति, साहित्यकार ने अवॉर्ड लेने से किया इनकार

महाराष्ट्र के नागपुर में एक साहित्य संस्था के सम्मान समारोह में एक लेखक ने मंच पर देवी सरस्वती की मूर्ति होने पर आपत्ति जताते हुए पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 16 Jan 2021, 9:33 am

हाइलाइट्स

  • मराठी साहित्यकार यशवंत मनोहर ने मंच पर सम्मान लेने से किया इनकार
  • मंच पर देवी सरस्वती की मूर्ति लगने पर जताया विरोध, कहा- ये मेरे सिद्धांत के खिलाफ
  • महाराष्ट्र में विदर्भ साहित्य संघ की ओर से आयोजित किया गया था कार्यक्रम
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यशवंत मनोहर (फाइल फोटो)
नागपुर
महाराष्ट्र के नागपुर में एक मराठी कवि ने सम्मान समारोह के मंच पर देवी सरस्वती की मूर्ति लगाने से नाराज होकर अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया। मराठी साहित्य के कवि यशवंत मनोहर ने कहा कि चूंकि आयोजकों ने उनकी आपत्ति के बावजूद सम्मान समारोह के मंच पर देवी सरस्वती का चित्र लगाया था, इस कारण उन्होंने अवॉर्ड स्वीकार करने से इनकार किया। यशवंत ने यह भी कहा कि वह पहले भी ऐसे कई अवॉर्ड इसी कारण से लौटाते रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र की अग्रणी साहित्य संस्था विदर्भ साहित्य संघ ने यशवंत मनोहर को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देने के लिए आमंत्रित किया था। जिस समारोह में यशवंत को पुरस्कार मिलना था, उसे संस्था के रंग शारदा हॉल में 14 जनवरी को आयोजित किया गया था। संस्था की ओर से जब मनोहर को आमंत्रित करने के बाद समारोह के कार्यक्रम की जानकारी दी गई तो उन्हें बताया गया कि इस कार्यक्रम में सरस्वती पूजन भी होना है।

आयोजकों ने नहीं स्वीकार की मांग
मनोहर ने इसपर आपत्ति जताते हुए कहा, 'देवी सरस्वती की मूर्ति उस शोषक मानसिकता की प्रतीक है, जिसने महिलाओं और शूद्रों को शिक्षा एवं ज्ञान प्राप्त करने से दूर किया।' हालांकि आयोजकों ने उनकी इस बात को स्वीकार नहीं किया और साफ शब्दों में कहा कि सम्मान समारोह का स्वरूप नहीं बदला जा सकता। इसके बाद यशवंत समारोह में शामिल नहीं हुए, लेकिन उन्होंने कार्यक्रम का आयोजन करने वाली संस्था को एक खुली चिट्ठी लिखी।

चिट्ठी में लिखा- मुझे उम्मीद थी मेरे लिए कार्यक्रम बदलेगा
मराठी में लिखी इस चिट्ठी में यशवंत ने लिखा, 'मैं उम्मीद कर रहा था कि विदर्भ साहित्य संघ मेरे विचार और सिद्धांतों के बारे में सोचेगा और अपने कार्यक्रमों में बदलाव करेगा। लेकिन अधिकारियों ने मुझे बताया कि मंच पर देवी सरस्वती की मूर्ति होगी। मैंने ऐसे कई सम्मान और पुरस्कार इसी एक कारण से छोड़ दिए हैं। मैं साहित्य में धर्म का दखल स्वीकार नहीं कर सकता, ऐसे में मैं इस सम्मान को स्वीकार करने से इनकार करता हूं।'

विदर्भ क्षेत्र में मराठी की सबसे बड़ी साहित्य संस्था
यशवंत ने ये चिट्ठी जिस विदर्भ साहित्य संघ को लिखी वो विदर्भ क्षेत्र में मराठी साहित्य के लिए काम करने वाली सबसे बड़ी संस्था है। इसके स्थापना वर्ष 1923 में मराठी साहित्य के विस्तार के लिए हुई थी। हर वर्ष यह संस्था ऐसे ही सम्मान समारोह में मराठी साहित्य से जुड़े लोगों को सम्मानित करती है। संस्था की ओर से हर दो वर्ष पर एक लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी दिया जाता है, जिसके लिए इस साल यशवंत मनोहर को चुना गया था। संस्था के अधिकारियों के मुताबिक, उनके सम्मान समारोहों में मंच पर सरस्वती पूजन की परंपरा 90 वर्ष से अधिक समय से निभाई जा रही है और इसे कभी बदला नहीं गया।

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