प्रियंका दास, पुणे
ऐसे समय में जब देश के कई भाग डेंगू से बुरी तरह जूझ रहे हैं वैज्ञानिकों ने मौसमी फल में इसका काट ढूंढ़ निकाला है। पुणे के वैज्ञानिकों ने मौसमी में ऐसा कम्पाउंड खोजा है जो डेंगू के वायरस एडीज एजिप्टी से निपटने में कारगर साबित होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसमी के जरिए डेंगू का इलाज करना पूरी तरह से प्राकृतिक होगा।
नैशनल केमिकल लैबरेटरी (NCL) के वैज्ञानिक ने बताया, 'जो नया कम्पाउंड खोजा गया है वह DEET (एन-डाइइथायल-मेटाटॉलुमाइड) जैसा है। DEET को 40 के दशक में अमेरिका में विकसित किया गया था। DEET को जब लोशन की तरह लगाया जाता है तो वह सात घंटों तक मच्छरों से बचाता है।'
डेंगू की देसी काट निकालने का प्रॉजेक्ट 2 साल पहले शुरू किया गया था। इस प्रॉजेक्ट की ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलजी का काम अगले 2 से 3 सालों में पूरा कर लिया जाएगा। मौसमी में मिलने वाले कम्पाउंड का टॉक्सीलॉजी टेस्ट किया जा रहा है। इन टेस्ट्स के बाद इस कम्पाउंड से प्रॉडक्ट तैयार किए जाएंगे जो लोशन या अन्य फॉर्मेट में इस्तेमाल किए जा सकेंगे।
इस खबर को अंग्रेजी में पढे़ं: GRAPEFRUITS COME TO DENGUE RESCUE
ऐसे समय में जब देश के कई भाग डेंगू से बुरी तरह जूझ रहे हैं वैज्ञानिकों ने मौसमी फल में इसका काट ढूंढ़ निकाला है। पुणे के वैज्ञानिकों ने मौसमी में ऐसा कम्पाउंड खोजा है जो डेंगू के वायरस एडीज एजिप्टी से निपटने में कारगर साबित होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसमी के जरिए डेंगू का इलाज करना पूरी तरह से प्राकृतिक होगा।
नैशनल केमिकल लैबरेटरी (NCL) के वैज्ञानिक ने बताया, 'जो नया कम्पाउंड खोजा गया है वह DEET (एन-डाइइथायल-मेटाटॉलुमाइड) जैसा है। DEET को 40 के दशक में अमेरिका में विकसित किया गया था। DEET को जब लोशन की तरह लगाया जाता है तो वह सात घंटों तक मच्छरों से बचाता है।'
डेंगू की देसी काट निकालने का प्रॉजेक्ट 2 साल पहले शुरू किया गया था। इस प्रॉजेक्ट की ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलजी का काम अगले 2 से 3 सालों में पूरा कर लिया जाएगा। मौसमी में मिलने वाले कम्पाउंड का टॉक्सीलॉजी टेस्ट किया जा रहा है। इन टेस्ट्स के बाद इस कम्पाउंड से प्रॉडक्ट तैयार किए जाएंगे जो लोशन या अन्य फॉर्मेट में इस्तेमाल किए जा सकेंगे।
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