पुणे
जनवरी की कड़ाके की ठंड को मात देते हुए शुक्रवार को महाराष्ट्र के मवाडी कादेपठार गांव में कुछ बुजुर्गों ने यशवंतराय मंदिर में शिवाजीराव गायकवाड़ के लिए विशेष पूजा की। बता दें, पुणे से 60 किमी दूर स्थित इसी गांव में ही तमिल सिनेमा के सुपरस्टार शिवाजीराव उर्फ रजनीकांत के दादा रहते थे। ग्रामीणों ने कहा, 'वह इस धरती के बेटे हैं और फिल्मी दुनिया में उन्होंने बड़ा नाम कमाया है। रजनीकांत अब पार्टी बनाने जा रहे हैं। वह सिनेमा की तरह ही राजनीति में भी सुपरहिट होंगे।'
मंदिर से ग्रामीणों के निकलने के दौरान जब कई लोग यह नहीं समझ पाए कि शिवाजी कौन हैं, तब वे लोग हंस पड़े। गांव के पूर्व सरपंच हनुमंत चाचर ने कहा, 'हमारा शिवाजी ही आपका रजनीकांत है।' थलैवा के राजनीति में उतरने की घोषणा से मवाडी कादेपठार गांव के लोग बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि रजनी की जड़ें इस गांव से जुड़ी हुई हैं जो अभी भी कई गायकवाड़ लोगों का घर है।
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मवाडी कादेपठार को रजनीकांत के गांव के रूप में जाना जाता है। गांव के एक बुजुर्ग बाबनराव गायकवाड़ ने बताया कि रजनीकांत के दादा रोजगार की तलाश में यहां से कर्नाटक के बसवना बेगेवाडी गांव चले गए थे। वहां से फिर से वह बेंगलुरु चले गए। हालांकि उनकी यहां पर अभी भी जमीन है लेकिन परिवार कर्नाटक में रहता है।
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चाचर ने कहा, 'हम रजनीकांत से कुछ साल पहले लोनावाला में शूटिंग के दौरान मिले थे। होटल में जब हमने उनसे हिंदी में बात की तो उन्होंने कहा कि आप मराठी में बोलिए। हमारे आश्चर्य का उस समय ठिकाना नहीं रहा रजनीकांत फार्राटा मराठी बोलते नजर आए।' गांव के एक अन्य निवासी पारेख भामे ने कहा, 'हमने रजनीकांत से अनुरोध किया था कि वह गांव आएं और रजनीकांत सहमत भी हो गए थे। हालांकि वह अभी तक यहां नहीं आए हैं।'
जनवरी की कड़ाके की ठंड को मात देते हुए शुक्रवार को महाराष्ट्र के मवाडी कादेपठार गांव में कुछ बुजुर्गों ने यशवंतराय मंदिर में शिवाजीराव गायकवाड़ के लिए विशेष पूजा की। बता दें, पुणे से 60 किमी दूर स्थित इसी गांव में ही तमिल सिनेमा के सुपरस्टार शिवाजीराव उर्फ रजनीकांत के दादा रहते थे। ग्रामीणों ने कहा, 'वह इस धरती के बेटे हैं और फिल्मी दुनिया में उन्होंने बड़ा नाम कमाया है। रजनीकांत अब पार्टी बनाने जा रहे हैं। वह सिनेमा की तरह ही राजनीति में भी सुपरहिट होंगे।'
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चाचर ने कहा, 'हम रजनीकांत से कुछ साल पहले लोनावाला में शूटिंग के दौरान मिले थे। होटल में जब हमने उनसे हिंदी में बात की तो उन्होंने कहा कि आप मराठी में बोलिए। हमारे आश्चर्य का उस समय ठिकाना नहीं रहा रजनीकांत फार्राटा मराठी बोलते नजर आए।' गांव के एक अन्य निवासी पारेख भामे ने कहा, 'हमने रजनीकांत से अनुरोध किया था कि वह गांव आएं और रजनीकांत सहमत भी हो गए थे। हालांकि वह अभी तक यहां नहीं आए हैं।'