कोयंबटूर
सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के फैसले के खिलाफ सोमवार को एक पादरी ने यहां जिला अदालत परिसर में नारेबाजी की। समलैंगिकता पर ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उन्होंने दावा किया कि समलैंगिक विवाह से प्राकृतिक आपदा आ सकती है।
पुलियाकुलम गिरिजाघर के फादर फेलिक्स जेबासिंह जिला अदालत परिसर पहुंचे और गलियारे में खड़े होकर नारेबाजी शुरू कर दी और लोगों से समलैंगिक विवाह का समर्थन ना करने की अपील की।
पुलिस के घेरने के बाद भी पादरी ने चीखते हुए कहा, ‘धारा 377 (आईपीसी) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन ना करें। ईसा मसीह आ रहे हैं। उनका आगमन निकट है। इस तरह की शादी से समाज पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘परमपिता ने सोडोम और गोमोरा के शहर आग और सल्फर से बर्बाद कर दिए थे क्योंकि वह समलैंगिकता का समर्थन करते थे। समलैंगिकता का समर्थन ना करें।'
पुलिस ने बाताया कि पादरी को निकट स्थित पुलिस थाने ले जाया गया और बाद में छोड़ दिया गया। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने छह सितंबर को 158 वर्ष पुराने कानून को निरस्त करते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। फैसले का एलजीबीटीक्यू समुदाय के सदस्यों और विभिन्न राजनीतिक दलों ने स्वागत किया था।
सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के फैसले के खिलाफ सोमवार को एक पादरी ने यहां जिला अदालत परिसर में नारेबाजी की। समलैंगिकता पर ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उन्होंने दावा किया कि समलैंगिक विवाह से प्राकृतिक आपदा आ सकती है।
पुलियाकुलम गिरिजाघर के फादर फेलिक्स जेबासिंह जिला अदालत परिसर पहुंचे और गलियारे में खड़े होकर नारेबाजी शुरू कर दी और लोगों से समलैंगिक विवाह का समर्थन ना करने की अपील की।
पुलिस के घेरने के बाद भी पादरी ने चीखते हुए कहा, ‘धारा 377 (आईपीसी) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन ना करें। ईसा मसीह आ रहे हैं। उनका आगमन निकट है। इस तरह की शादी से समाज पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘परमपिता ने सोडोम और गोमोरा के शहर आग और सल्फर से बर्बाद कर दिए थे क्योंकि वह समलैंगिकता का समर्थन करते थे। समलैंगिकता का समर्थन ना करें।'
पुलिस ने बाताया कि पादरी को निकट स्थित पुलिस थाने ले जाया गया और बाद में छोड़ दिया गया। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने छह सितंबर को 158 वर्ष पुराने कानून को निरस्त करते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। फैसले का एलजीबीटीक्यू समुदाय के सदस्यों और विभिन्न राजनीतिक दलों ने स्वागत किया था।