कोच्चि
अफगानिस्तान के रहने वाले अब्दुल रहीम ने साल 2012 में एक विस्फोट में अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे। इसके बाद उन्होंने भारत के कोच्चि शहर के एक अस्पताल में हाथों का प्रत्यारोपण कराया था। खबर है कि बीते हफ्ते काबुल में एक आतंकी विस्फोट में उनकी मौत हो गई। रहीम की मौत से उनके हाथों का प्रत्यारोपण करने वाले डॉक्टर बेहद दुखी हैं।
गौरतलब है कि 35 वर्षीय अब्दुल अफगान सेना में बम डिस्पोजल एक्सपर्ट के तौर पर काम करते थे। साल 2012 में कंधार प्रदेश में एक डिमाइनिंग ऑपरेशन के दौरान विस्फोट से उनके दोनों हाथ उड़ गए थे। तीन साल के इंतजार के बाद कोच्चि के अमृता इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एआईएमएस) में उनका हैंड ट्रांसप्लांट किया गया था। रहीम को अपने हाथ देने वाले कोच्चि के ही एक 54 वर्षीय शख्स थे, जो एक सड़क हादसे का शिकार हुए थे और उनका ब्रेन डेड हो चुका था।
मेजर के पद पर प्रोन्नत हुए थे रहीम
बता दें कि रहीम भारत में हैंड ट्रांसप्लांट कराने वाले दूसरे शख्स हैं। अपने नए हाथों से रहीम बहुत ज्यादा सहज नहीं थे लेकिन फिर भी उन्होंने देश की सेवा करने के लिए फिर से सेना में शामिल होने का फैसला किया। हाल ही में उन्हें प्रमोट करके सेना में मेजर के पद पर नियुक्त किया गया था और काबुल में तैनाती दी गई थी। बीती 19 फरवरी को आतंकवादियों ने उनके सैन्य वाहन में एक बम प्लांट कर दिया था, जिसकी वजह से हुए विस्फोट से रहीम की मौत हो गई।
डॉक्टरों ने जताया दुख
एआईएमएस में रहीम के हाथों का प्रत्यारोपण करने वाली टीम का हिस्सा रहे डॉ. सुब्रह्मण्यम अय्यर ने कहा कि रहीम की मौत से वह स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा कि पहले तो उन्हें इस खबर पर यकीन ही नहीं हुआ। बाद में उन्होंने इसे कन्फर्म भी किया कि क्या ये वही रहीम है, जिसे वह जानते हैं। अय्यर ने कहा, 'हम इस बहादुर सैनिक को सैल्यूट करते हैं।'
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अफगानिस्तान के रहने वाले अब्दुल रहीम ने साल 2012 में एक विस्फोट में अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे। इसके बाद उन्होंने भारत के कोच्चि शहर के एक अस्पताल में हाथों का प्रत्यारोपण कराया था। खबर है कि बीते हफ्ते काबुल में एक आतंकी विस्फोट में उनकी मौत हो गई। रहीम की मौत से उनके हाथों का प्रत्यारोपण करने वाले डॉक्टर बेहद दुखी हैं।
गौरतलब है कि 35 वर्षीय अब्दुल अफगान सेना में बम डिस्पोजल एक्सपर्ट के तौर पर काम करते थे। साल 2012 में कंधार प्रदेश में एक डिमाइनिंग ऑपरेशन के दौरान विस्फोट से उनके दोनों हाथ उड़ गए थे। तीन साल के इंतजार के बाद कोच्चि के अमृता इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एआईएमएस) में उनका हैंड ट्रांसप्लांट किया गया था। रहीम को अपने हाथ देने वाले कोच्चि के ही एक 54 वर्षीय शख्स थे, जो एक सड़क हादसे का शिकार हुए थे और उनका ब्रेन डेड हो चुका था।
मेजर के पद पर प्रोन्नत हुए थे रहीम
बता दें कि रहीम भारत में हैंड ट्रांसप्लांट कराने वाले दूसरे शख्स हैं। अपने नए हाथों से रहीम बहुत ज्यादा सहज नहीं थे लेकिन फिर भी उन्होंने देश की सेवा करने के लिए फिर से सेना में शामिल होने का फैसला किया। हाल ही में उन्हें प्रमोट करके सेना में मेजर के पद पर नियुक्त किया गया था और काबुल में तैनाती दी गई थी। बीती 19 फरवरी को आतंकवादियों ने उनके सैन्य वाहन में एक बम प्लांट कर दिया था, जिसकी वजह से हुए विस्फोट से रहीम की मौत हो गई।
डॉक्टरों ने जताया दुख
एआईएमएस में रहीम के हाथों का प्रत्यारोपण करने वाली टीम का हिस्सा रहे डॉ. सुब्रह्मण्यम अय्यर ने कहा कि रहीम की मौत से वह स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा कि पहले तो उन्हें इस खबर पर यकीन ही नहीं हुआ। बाद में उन्होंने इसे कन्फर्म भी किया कि क्या ये वही रहीम है, जिसे वह जानते हैं। अय्यर ने कहा, 'हम इस बहादुर सैनिक को सैल्यूट करते हैं।'
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