इम्फाल
मणिपुर की 26 वर्षीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने तोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए पहला सिल्वर मेडल जीतकर पूरे देश को गौरवान्वित किया है। पदक जीतने के बाद दिल्ली से मणिपुर तक उनका जोरदार स्वागत किया गया। सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद चानू उन लोगों को नहीं भूली हैं जिन्होंने ट्रेनिंग के दौरान उनकी मदद की थी। चानू ने गुरुवार को उन ट्रक ड्राइवरों को गिफ्ट दिए, जो उन्हें उनके गांव से ट्रेनिंग सेंटर पहुंचाते थे और बदले में पैसे नहीं लेते थे। मीराबाई चानू ने बताया था कि उनके गांव से इम्फाल स्थित लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्लेक्स करीब 25 किलोमीटर दूर है। वह ट्रक पर बैठकर वहां जाया करती थीं। ये ट्रक ड्राइवर उनसे पैसा नहीं लिया करते थे। इससे मीराबाई का काफी पैसा बचता था। पदक जीतने के बाद उन्होंने ऐसे ट्रक ड्राइवरों का पता लगाया और अपने घर पर बुलाकर उनका स्वागत किया।
चाय की दुकान चलाती हैं चानू की मां
मीराबाई की मां सैखोम ओंगबी टोम्बो देवी गांव में चाय की दुकान चलाती हैं। उन्होंने बताया कि एथम मोइरंगपुरेल इलाके से आने वाले ट्रक उनके गांव से जब गुजरते थे तो ड्राइवर उनकी दुकान पर चाय पीने रुकते थे। इस दौरान वह मीराबाई को फ्री में इम्फाल तक ले जाया करते थे। पदक जीतने के बाद चानू ने इन ट्रक ड्राइवरों का पता लगाया और उन्हें गिफ्ट्स दिए।
मणिपुर की 26 वर्षीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने तोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए पहला सिल्वर मेडल जीतकर पूरे देश को गौरवान्वित किया है। पदक जीतने के बाद दिल्ली से मणिपुर तक उनका जोरदार स्वागत किया गया। सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद चानू उन लोगों को नहीं भूली हैं जिन्होंने ट्रेनिंग के दौरान उनकी मदद की थी। चानू ने गुरुवार को उन ट्रक ड्राइवरों को गिफ्ट दिए, जो उन्हें उनके गांव से ट्रेनिंग सेंटर पहुंचाते थे और बदले में पैसे नहीं लेते थे।
चाय की दुकान चलाती हैं चानू की मां
मीराबाई की मां सैखोम ओंगबी टोम्बो देवी गांव में चाय की दुकान चलाती हैं। उन्होंने बताया कि एथम मोइरंगपुरेल इलाके से आने वाले ट्रक उनके गांव से जब गुजरते थे तो ड्राइवर उनकी दुकान पर चाय पीने रुकते थे। इस दौरान वह मीराबाई को फ्री में इम्फाल तक ले जाया करते थे। पदक जीतने के बाद चानू ने इन ट्रक ड्राइवरों का पता लगाया और उन्हें गिफ्ट्स दिए।