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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद केरल में अब सीपीआई (एम) मनाएगी रामायण महीना

केरल में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुरुआत के बाद अब सत्ताधारी सीपीआई (एम) की राज्य इकाई भगवान राम की 'शरण' में आ गई है।सीपीआई (एम) इस साल से रामायण महीना की शुरुआत करने जा रही है। दरअसल केरल में 17 जुलाई से पारंपरिक रूप से मलयालम महीना कारकीडकम मनाया जाता है।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 11 Jul 2018, 12:49 pm
तिरुवनंतपुरम
नवभारतटाइम्स.कॉम सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

केरल में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुरुआत के बाद अब सत्ताधारी सीपीआई (एम) की राज्य इकाई भगवान राम की 'शरण' में आ गई है। सीपीआई (एम) इस साल से रामायण महीना की शुरुआत करने जा रही है। दरअसल केरल में 17 जुलाई से पारंपरिक रूप से मलयालम महीना कारकीडकम मनाया जाता है। यह महीना 17 जुलाई से शुरू होता है।

इस दौरान अधिकतर हिंदू घरों में भगवान राम की पौराणिक कथाएं सुनाई जाती हैं। मान्यतानुसार, इससे गरीबी और भारी बारिश के चलते होने वाली बीमारियां दूर होती हैं। इसे देखते हुए सीपीआई (एम) ने इस पूरे महीने रामायण की व्याख्या और पाठ की योजना बनाई है।

इसके लिए 15 जुलाई से 15 अगस्त तक केरल के सभी 14 जिलों में संस्कृत संगम संस्था के सदस्य रामायण पर लेक्चर आयोजित किए करेंगे। कहा जा रहा है कि इस आयोजन के जरिए सीपीएम अपनी छवि बदलने की कोशिश कर रही है जिसपर नास्तिक होने के आरोप लगते आए हैं।

बता दें कि संस्कृत संगम पिछले साल ही गठित हुआ है जिसमें संस्कृत भाषा के लिए लगाव को देखते हुए शिक्षाविद और इतिहासविदों को शामिल किया गया है। सीपीआई (एम) के स्टेट कमिटी के सदस्य वी शिवदासन ने कहा, 'पार्टी के स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आया है। हमसे संस्कृत संगम की कई गतिविधियों में सहयोग करेंगे जो कि एक सेक्युलर और प्रोग्रेसिव फोरम है।'

'आरएसएस ने संस्कृत और पुराणों की गलत व्याख्या की'
उन्होंने आगे कहा कि वह संघ परिवार दलों द्वारा संस्कृत और पुराणों को लेकर फैलाए गए गलत अनुमान के विरोध में कठिन परिश्रम कर रहे हैं। शिवदासन को पार्टी द्वारा इस मिशन का प्रभार सौंपा गया है। उन्होंने आगे कहा, 'संस्कृत संगम का सीपीएम से लेना-देना नहीं है। यह कोई मुख्यधारा की संस्था नहीं है।'

लोगों के बीच लाएंगे 'असली' रामवहीं संस्कृत संगम के राज्य संयोजक टी तिलकराज ने बताया कि महीने भर चलने वाले लेक्चर के जरिए लोगों के बीच 'असली' राम और 'असली' रामायण को लाया जाएगा। इसके लिए प्रसिद्ध वक्ताओं की मदद ली जाएगी जिन्होंने सभी जिलों में लोगों को संबोधित करने के लिए पूरी रिसर्च कर ली है। ये सभी धर्मनिरपेक्ष लोगों के समक्ष ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य वाली रामायण की व्याख्या करेंगे।

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