इडुक्की
केरल में हुई भारी बारिश ने हर तरफ तबाही मचा दी। इडुक्की जिले के कोक्कयार में एक झकझोर देने वाली घटना हुई। यहां पर एक 11 साल के बेटे की आंखों के सामने पिता बह गए। बच्चे ने एक पेड़ की शाखा पकड़कर अपनी जान बचा ली। बहते हुए पिता को बेटा देखता रहा। बेटे से नीचे न आने को कहते रहे और खुद की बचाने के लिए चिल्लाते रहे लेकिन कुछ देर बाद उनकी आवाज हमेशा के लिए बंद हो गई। 11 साल का जीबिन अपने पिता शाजी के साथ उनके घर से बह गया था। घटना के वक्त घर में सिर्फ पिता-पुत्र ही थे। बहते हुए पिता-पुत्र ने जान बचाने की कोशिश की। बेटे का खेल-खेल में तैरना काम आया और उसकी जान बच गई लेकिन पिता की जान नहीं बच सकी।
आंखों के सामने पिता पर गिरा पत्थर
जीबिन ने बताया कि नदी में गिरते समय उसने अपने पिता के ऊपर कीचड़ और पत्थर गिरते देखा था। वह आखिरी बार था जब उसने अपने पिता को देखा। हादसे के बाद इलाके से लापता लोगों में शाजी भी शामिल हैं।
पत्थरों और कीचड़ में तैरना आया काम
जिबिन एक अच्छा तैराक है क्योंकि वह पुलकायार के तट पर रहता है। वह भूस्खलन से चट्टानों और पत्थरों के साथ मिले कीचड़ भरे पानी में तैरता था। इस प्रलय में उसका यह तैरना काम आया।
जब जीबिन नदी के किनारे झुकी हुई पेड़ की टहनी को पकड़ने में कामयाब हुआ। वह टहनी के ऊपर चढ़ गया। हालांकि उसने उम्मीद लगभग छोड़ दी थी कि वह जिंदा बचेगा।
कुछ देर बाद तैरकर बाहर निकला
कुछ देर शाखा को पकड़े रहने के बाद, जिबिन ने फिर से सांस ली और तैरकर किनारे पर आ गया। तैरकर सुरक्षित निकल गए जिबिन को स्थानीय निवासियों ने कांजीरापल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। उसे मामूली चोटें आई हैं। उसका इलाज किया जा रहा है।
केरल में हुई भारी बारिश ने हर तरफ तबाही मचा दी। इडुक्की जिले के कोक्कयार में एक झकझोर देने वाली घटना हुई। यहां पर एक 11 साल के बेटे की आंखों के सामने पिता बह गए। बच्चे ने एक पेड़ की शाखा पकड़कर अपनी जान बचा ली। बहते हुए पिता को बेटा देखता रहा। बेटे से नीचे न आने को कहते रहे और खुद की बचाने के लिए चिल्लाते रहे लेकिन कुछ देर बाद उनकी आवाज हमेशा के लिए बंद हो गई।
आंखों के सामने पिता पर गिरा पत्थर
जीबिन ने बताया कि नदी में गिरते समय उसने अपने पिता के ऊपर कीचड़ और पत्थर गिरते देखा था। वह आखिरी बार था जब उसने अपने पिता को देखा। हादसे के बाद इलाके से लापता लोगों में शाजी भी शामिल हैं।
पत्थरों और कीचड़ में तैरना आया काम
जिबिन एक अच्छा तैराक है क्योंकि वह पुलकायार के तट पर रहता है। वह भूस्खलन से चट्टानों और पत्थरों के साथ मिले कीचड़ भरे पानी में तैरता था। इस प्रलय में उसका यह तैरना काम आया।
जब जीबिन नदी के किनारे झुकी हुई पेड़ की टहनी को पकड़ने में कामयाब हुआ। वह टहनी के ऊपर चढ़ गया। हालांकि उसने उम्मीद लगभग छोड़ दी थी कि वह जिंदा बचेगा।
कुछ देर बाद तैरकर बाहर निकला
कुछ देर शाखा को पकड़े रहने के बाद, जिबिन ने फिर से सांस ली और तैरकर किनारे पर आ गया। तैरकर सुरक्षित निकल गए जिबिन को स्थानीय निवासियों ने कांजीरापल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। उसे मामूली चोटें आई हैं। उसका इलाज किया जा रहा है।