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भारत में ब्रह्मपुत्र के नीचे बिछेगी पहली सुरंग, जिसमें चलेंगी बस-ट्रेनें, जानिए कैसे होगा यह चमत्कार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सड़क और रेल मंत्रालयों से लागत बचाने के लिए सड़क और रेल सुरंगों को एक साथ बिछाने की योजना बनाने और मिलकर काम करने को कहा है। पानी के भीतर सुरंग परियोजना भी एक इंजीनियरिंग चमत्कार होगी और असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच यात्रा के समय को कम करके देश को रणनीतिक रूप से लाभान्वित करेगी।

Authored byDipak K Dash | Edited byमिथिलेश धर दुबे | टाइम्स न्यूज नेटवर्क 17 May 2022, 3:31 pm
दिसपुर: ऐतिहासिक ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे एक ऐसा सुरंग बनने जा रहा जिसमें बस, ट्रेनें चलेंगी। इसका निर्माण सड़क और रेल मंत्रालय और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) करेगा। इसकी घोषणा तो लगभग दो साल पहले ही हो गई थी। लेकिन इसकी रूपरेखा अब बन बनी है। योजना के अनुसार, तीन समानांतर सुरंगें होंगी - एक सड़क के लिए, दूसरी रेल के लिए और तीसरी आपातकालीन उपयोग के लिए। हर सुरंग 9.8 किमी की होगी और यह पहली परियोजना होगी जहां एकीकृत सुरंग निर्माण किया जाएगा। किसी भी आपात स्थिति में निकासी के लिए इन सुरंगों को क्रॉस पैसेज से जोड़ा जाएगा।
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रणनीतिक बहु-मॉडल परिवहन प्रणाली का उद्देश्य जमुरीहाट-सिलघाट अक्ष के माध्यम से उत्तरी असम, तवांग और अरुणाचल प्रदेश के बाकी हिस्सों की ओर रेल और राजमार्ग नेटवर्क को जोड़ना है। इसका उपयोग आम लोगों और दूसरों कामों के लिए किया जा सकता है। अनुमान के मुताबिक सरकार इन सुरंगों पर करीब 7,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इससे पहले सड़क परिवहन मंत्रालय के तहत आने वाली कंपनी एनएचआईडीसीएल ने केवल वाहनों के लिए जुड़वां सुरंगों का प्रस्ताव रखा था और 12,800 करोड़ रुपये खर्च करने का अनुमान लगाया था।


सूत्रों ने कहा कि बीआरओ और सड़क मंत्रालय के तैयार प्रस्ताव ने एक और सुरंग जोड़ने के बाद भी संभावित निवेश को कम करने में मदद की है। सुरंग मौजूदा कालियाबोमारा (तेजपुर) सड़क पुल के लगभग 9 किमी अपस्ट्रीम से उड़ान भरेगी और यह दक्षिण तट पर जाखलाबंध रेलवे स्टेशन और ब्रह्मपुत्र के उत्तरी तट पर धलियाबील रेलवे स्टेशन से जुड़ेगी।

सड़क और रेल सुरंगों को एक साथ बिछाने की योजना
रेलवे बोर्ड के सीईओ और अध्यक्ष की अध्यक्षता में हाल ही में हुई एक बैठक में बीआरओ ने कहा कि रणनीतिक दृष्टिकोण से इन रेल-सह-सड़क सुरंगों की आवश्यकता है। इसने यह भी सुझाव दिया कि परियोजना को रक्षा मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जा सकता है। बीआरओ ने कहा क‍ि इस मुद्दे पर चर्चा के बाद, यह निर्णय लिया गया कि चूंकि जल सुरंग रक्षा मंत्रालय की एक आवश्यक है, इसलिए तकनीकी उपयुक्तता के अधीन पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे इस पर आगे विचार करेगा। हालांकि, लागत अनुमान को बीआरओ को फिर से देखने की जरूरत है और इसे सावधानी से किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सड़क और रेल मंत्रालयों से लागत बचाने के लिए सड़क और रेल सुरंगों को एक साथ बिछाने की योजना बनाने और मिलकर काम करने को कहा है। पानी के भीतर सुरंग परियोजना भी एक इंजीनियरिंग चमत्कार होगी और असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच यात्रा के समय को कम करके देश को रणनीतिक रूप से लाभ देगा। प्रस्तावित सुरंगों का निर्माण टनल बोरिंग मशीनों का उपयोग करके किया जाएगा और काम शुरू होने के बाद इन्हें पूरा करने में लगभग दो से ढाई साल लग सकते हैं। वर्तमान में, ब्रह्मपुत्र पर पांच पुल हैं।
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Dipak K Dash

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