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नामी हकीम, बवासीर का सीक्रेट फॉर्म्युला, किडनैप कर 14 महीने टार्चर और मर्डर.. ऐसी कहानी जो हैरान कर देगी

Mysuru Healer Murder Latest News: मैसूर के हकीम शबा शेरिफ (Kerala healer Shaba Shareef) की ओट्टामूली दवा कथित तौर पर बवासीर के लिए प्रभावी थी। उनकी दवा में तेजी से इलाज करने वाला गुण था, जिस कारण वह इलाके में काफी चर्चित थे। उस दवा का फार्मूला जानने के ल‍िए शरीफ को एक साल तक बंधक बनाकर यातना दी गई और फिर केरल में खौफनाक तरीके से हत्या कर दी गई। पुलिस ने हत्‍या को क‍िसी क्राइम थ्रिलर फिल्म जैसा पाया है।

Curated byसुजीत उपाध्याय | नवभारतटाइम्स.कॉम 25 May 2022, 12:11 pm
तिरुवनंतपुरम: केरल में क‍िडनैप‍िंग और मर्डर का सनसनीखेज और रोंगटे खड़े कर देने वाला खुलासा हुआ है। मैसूर के मशहूर हकीम शबा शरीफ का धोखे से पहले अपहरण क‍िया गया। इसके बाद 14 महीने तक खौफनाक तरीके से यातनाएं दी गईं। इसके बाद उनकी हत्‍या कर दी। हत्‍या के बाद हकीम के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर उसे एक नदी में फेंक द‍िया। हत्‍यारों ने यह सब स‍िर्फ इसल‍िए क‍िया क्‍योंक‍ि हकीम के पास बवासीर के इलाज का सीक्रेट फॉर्म्युला था। ज‍िसकी मदद से वह लोगों का इलाज कर मसीहा बनता जा रहा था। हत्‍यारों का सरगना हकीम से वह सीक्रेट फॉर्म्युला जानकर खुद को हकीम से ज्‍यादा मशहूर होने का ख्‍वाब पाले था। मकसद में कामयाब न होने पर उसने हकीम को मार डाला। इसके बाद हत्‍या में शाम‍िल लोगों में व‍िवाद के बाद पूरे घटनाक्रम का सनसनीखेज और चौंकाने वाला वाकया पुल‍िस के सामने आया।
नवभारतटाइम्स.कॉम Shabin Ashraf and Dr Shaba Sharif
शैबिन अशरफ और च‍िक‍ित्‍सक शबा शरीफ


दरअसल मैसूर के मशहूर हकीम शबा शरीफ 2 अगस्त, 2019 को अपने क्लिनिक के बाहर से लापता हो गए। इसके बाद उन्‍हें केरल के नीलांबुर में शैबिन अशरफ के घर में 14 महीनों के लिए कैद रखा गया था। इस दौरान उसे प्रताड़ित किया गया और भूखा रखा गया। उनको जंजीर से भी जकड़ा गया और उनके पैरों को कुचलने के लिए अक्सर एक भारी रोलर का इस्तेमाल किया जाता था। इस दौरान हकीम शबा शरीफ ने एक बार भागने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। इसके बाद उन पर यातनाओं का स‍िलस‍िला और बढ़ा दिया गया। आखिरकार अक्टूबर 2020 में उनकी हत्या कर दी गई। हत्‍यारों ने उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर उसे चलियार नदी में फेंक दिया गया।

कौन थे हकीम शबा शरीफ

शबा शरीफ का जन्म मैसूर में हुआ था। अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए सालों से वह एक 'मशहूर हकीम' के रूप में जाने जाते थे। मैसूर के वसंत नगर इलाके में स्थित उनके क्लिनिक में ज्यादातर दिनों में मरीजों की लंबी कतार लगी रहती थी। दरअसल उन्होंने आयुर्वेद दवाओं का एक फॉर्म्युला पेश किया था, जो उन्होंने जड़ी-बूटियों और पत्तियों के अर्क से तैयार क‍िया था। इससे वह बवासीर समेत कई तरह की बीमारियों का इलाज करते थे। वह बवासीर के इलाज के लिए सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय थे।

दवा का फॉर्म्युला बना हत्‍या की वजह
हकीम की 53 साल की पत्‍नी जेबी ताज ने बताया क‍ि दवा का फॉर्म्युला एक रहस्य था जिसे केवल वह और सबसे छोटा बेटा ही जानते थे। उन्‍होंने कहा क‍ि हम नहीं जानते थे क‍ि एक द‍िन यह एक ऐसा रहस्य बन जाएगा जो उनकी जान ले लेगा। उन्‍होंने बताया क‍ि हमने कभी नहीं सोचा था कि एक दवा जिसके लिए उन्‍होंने 100 रुपये की फीस तय की थी, उनकी जीवन समाप्त कर देगा। उन्हें अपने पिता से इलाज की तकनीक विरासत में मिली थी और वह तीसरी पीढ़ी के मरहम लगाने वाले थे। दवा जड़ी-बूटियों का एक फॉर्म्युला है, लेकिन उनके और हमारे सबसे छोटे बेटे के अलावा कोई नहीं जानता कि इसमें क्या जाता है।

लापता बताने वाले घरवालों को नहीं पता थी अपहरण की कहानी

आठ बच्चों की मां जेबी ताज को वह दिन अच्‍छी तरह से याद है जब शरीफ लापता हो गए थे। बाइक पर सवार एक व्यक्ति शाम करीब 4 बजे मैसूर के वसंत नगर में उनके मामूली एक मंजिला घर पर पहुंचा। हताश दिख रहे व्यक्ति ने शरीफ को बताया कि एक रिश्तेदार को बवासीर के कारण बहुत खून बह रहा था और उसे तत्काल मदद की जरूरत थी। वह चाहता था कि मरहम लगाने वाला उसके साथ पास के एक लॉज में जाए ताकि वह उस आदमी को देख सके। इस पर शरीफ मदद के लिए तैयार हो गए और बाइक पर पीछे की ओर सवार होकर उनके साथ चले गए। ताज को उस व्यक्ति का नाम तक याद नहीं है। उन्‍होंने केवल इतना बताया क‍ि उसने कहा कि वह केरल का है। इस वाकये के बाद जेबी ताज ने अपने पति को फिर कभी नहीं देखा।

दो द‍िन इंतजार, फ‍िर की पुल‍िस में श‍िकायत
जेबी ताज ने दो द‍िनों तक शरीफ का इंतजार क‍िया। इसके बाद जब वह नहीं लौटे तो ताज ने वसंत नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। इस पर पुल‍िस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 154 के तहत गुमशुदगी का मामला दर्ज किया गया था। उन्‍होंने बताया क‍ि श‍िकायत दर्ज कराने के बाद उनका बेटा एक दो बार पुलिस स्टेशन गया लेकिन उसे जवाब मिला कि मामले की जांच चल रही है।

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कैसे पता चली अपहरण और हत्या की बात

नाटकीय ढंग से 28 अप्रैल को सुबह 11 बजे, शिहाबुद्दीन, मोहम्मद नौशाद और ज़ाकीर के रूप में पहचाने जाने वाले तीनों लोग तिरुवनंतपुरम में भारी सुरक्षा वाली राज्य विधानसभा के सामने खड़े हो गए। इसके बाद तीनों ने खुद पर मिट्टी का तेल डालना शुरू कर दिया। जब उन्होंने आत्मदाह करने की कोशिश की तो उन्हें तिरुवनंतपुरम कैंट पुलिस ने पकड़ लिया। इसके बाद पुल‍िस ने तीनों को मलप्पुरम पुलिस को सौंप दिया। इसके बाद तीनों ने हकीम शबा शरीफ के अपहरण और हत्‍या की सनसनीखेज कहानी सुनाई। ज‍िसे सुनकर पुल‍िस के रोंगटे खड़े हो गए।

बवासीर के इलाज का फॉर्म्युला जानना चाहता था अशरफ
हत्‍या की खौफनाक दास्‍तां सुनाते हुए तीनों ने बताया क‍ि वे शैबिन अशरफ गिरोह का हिस्सा थे। इस ग‍िरोह ने कम से कम छह अन्य लोगों के साथ अगस्त 2019 में शरीफ का अपहरण कर लिया। उन्होंने पुलिस को बताया कि अशरफ उस फॉर्म्युले को जानना चाहता था जिससे शरीफ बवासीर का इलाज करता था, ताकि वह खुद का एक विशेष अस्पताल खोल सके और खुद को एक हकीम के रूप में मशहूर कर सके।

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गंभीर यातना के बाद भी शरीफ ने नहीं बताया 'सीक्रेट फॉर्म्युला'

इस पूरे मामले की जांच कर रहे एसआईटी के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा क‍ि आरोपी में से एक ने हमें बताया कि शरीफ एक सच्चे 'उस्ताद' (गुरु) थे। गंभीर यातना और भुखमरी के बावजूद उन्होंने अपनी मौत तक अपनी 'ओट्टमौली' (सीक्रेट फॉर्म्युला) का खुलासा नहीं किया। यहां तक कि शरीफ ने उन्‍हें एक ब‍िजनेस पार्टनरशिप की पेशकश। इसमें अशरफ ने उन्हें बताया कि वे एक साथ वायनाड में एक बवासीर अस्पताल शुरू करेंगे इसके जवाब में शरीफ ने ना में स‍िर ह‍िलाया।

हत्‍या में शाम‍िल लोगों का आपस में हुआ व‍िवाद
तीनों ने पुलिस को बताया कि अक्टूबर 2020 में शरीफ की हत्‍या के के बाद उनका अशरफ से झगड़ा हो गया। 24 अप्रैल को वायनाड के सुल्तान बाथेरी में उनके आलीशान घर में सेंध लगा दी। अशरफ ने 25 अप्रैल को सुल्तान बथेरी पुलिस स्टेशन में चोरी की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 10 लाख रुपये का सोना, 10 लाख रुपये नकद, लैपटॉप और मोबाइल फोन चोरी हो गए। एक दूसरे एसआईटी सदस्य ने बताया क‍ि तीनों ने हमें बताया कि उन्होंने हताशा में अशरफ के घर में सेंध लगा दी थी क्योंकि वे उनके द्वारा ठगे जा रहे थे। उन्हें डर था कि वह उन्हें खत्म करने की योजना बना रहा है, इसलिए उन्होंने आत्मदाह का प्रयास किया।

पुल‍िस को सौंपे अहम सबूत और वीड‍ियो
तीनों ने सबूत के तौर पर पुलिस को एक पेन ड्राइव सौंपी, जिसमें यातना के वीडियो सबूत थे और शरीफ की हत्या कैसे हुई, इसका पूरा ब्‍यौरा दिया। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि आरोपी दो चाकू लाए थे, जो आमतौर पर मटन और भैंस के मांस को काटते समय प्रयोग होते थे। उन्‍होंने बताया क‍ि शरीफ के शरीर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया गया, जिसके बाद उन्होंने इसे पांच बैग में रख दिया। जिसे बाद में एडवन्ना में सेठी हाजी पुल से उफनती चलियार नदी में फेंक दिया गया। अगले दिन गिरोह के सदस्य यह पता करने के लिए नदी तट पर आए कि कोई थैला किनारे पर न बहे। इसके अलावा जिस कमरे में शरीफ को मारा गया था, उसकी टाइलें और पानी की फिटिंग को हटा दिया गया था ताकि खून के सभी निशान खत्म हो जाएं। हालांकि हमें कुछ खून के निशान और बालों के रोम मिले हैं जिन्हें डीएनए परीक्षण के लिए भेजा गया है। मामले के गवाह उमर ने बाद में एसआईटी के लिए आरोपी की पहचान की।

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पुल‍िस बोली- जांच चुनौतीपूर्ण

एसआईटी की निगरानी कर रहे मलप्पुरम के पुलिस अधीक्षक एस सुजीत दास ने कहा क‍ि जांच चुनौतीपूर्ण है क्योंकि हम अब तक शव नहीं ढूंढ पाए हैं। हम क्राइम के हर पहलू की पुष्टि करने और अधिकतम सजा तयकरने के लिए वैज्ञानिक तरीके से जांच करेंगे। पिछले सप्ताह शुक्रवार और शनिवार को चलियार नदी की खोज के लिए गोताखोरों को तैनात किया गया था, लेकिन वे खाली आ गए। दास ने कहा कि पुलिस ने 11 लोगों को 302 (हत्या), 340 (अवैध कारावास) और 330 (यातना) की धाराओं के तहत आरोपी बनाया है और अशरफ सहित छह लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस ने अशरफ को क‍िया अरेस्‍ट
30 अप्रैल को केरल पुलिस अशरफ का बयान लेने के लिए उनके घर पहुंची, लेकिन उसे गिरफ्तार कर लिया। एसआईटी ने अपनी जांच के दौरान यह भी पाया कि हो सकता है कि एक र‍िटायर पुलिस उप-निरीक्षक अशरफ को सलाह दे रहा हो। इस व्यक्ति से भी कई बार पूछताछ की जा चुकी है, लेकिन अभी तक उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है। अशरफ ने गिरफ्तार होने के बाद कहा क‍ि यह एक बड़ा नाटक है और मैं इससे पूरी तरह दोषमुक्‍त होकर बाहर आऊंगा। एसआईटी अधिकारियों ने यह भी कहा कि अशरफ की पत्नी से दो बार पूछताछ की जा चुकी है, क्योंकि वह अपने दो बच्चों के साथ उस घर के ग्राउंड फ्लोर पर रहती थी जहां शरीफ को प्रताड़ित किया गया था।
लेखक के बारे में
सुजीत उपाध्याय
सुजीत उपाध्याय ने एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी श्रीनगर, उत्तराखंड से एमए इन मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद ह‍िन्‍दुस्‍तान और दैन‍िक जागरण मेंं बतौर र‍िपोर्टर काम क‍िया। ज़ी मीड‍िया से ड‍िज‍िटल में शुरुआत। इंड‍िया डॉट कॉम ह‍िंंदी में दो साल काम करने के बाद नवभारत टाइम्‍स ऑनलाइन से जुड़े।... और पढ़ें

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