सीएल मनोज, चंडीगढ़
हालिया कृषि बिल को लेकर अकाली दल के बीजेपी के साथ रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। वहीं अंदरूनी कलह के चलते अकाली दल टूट के कगार पर पहुंच गई है। बागी नेता सुखदेव सिंह ढींढसा पार्टी के अंसतुष्ट धड़े के साथ नई पार्टी बनाने की तैयारी में है। इसके लिए वह जल्द ही चुनाव आयोग से मिलकर अपने संगठन अकाली दल (डेमोक्रेटिक) को नए दल के रूप में रजिस्टर कराएंगे। नए दल के साथ सुखदेव सिंह ढींढसा ने पंजाब में अगले विधानसभा चुनाव और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (एसजीपीसी) के चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया है। ढींढसा ने बताया, 'हमने अपने संगठन शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) को नए दल के रूप में रजिस्टर कराने का फैसला किया है। अपने साथियों और वकीलों से सलाह- मशविरा लेते हुए अब हम कानूनी कागजात और हलफनामा तैयार कर रहे हैं और जल्द ही पार्टी के रजिस्ट्रेशन के लिए चुनाव आयोग में ऐप्लिकेशन दाखिल करेंगे।' उन्होंने कहा कि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) आगामी एसजीपीसी और पंजाब विधानसभा चुनाव में उतरेगी।
पढ़ें: पहले शिवसेना अब अकाली दल? बीजेपी का साथ छोडे़गा एक और पुराना साथी
'अकाली दल ने पंजाब में अपना आधार खोया'
ढींढसा इसी साल फरवरी में पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते अपने समर्थकों के साथ अकाली दल से निकाल दिए गए थे। इसके बाद उन्होंने अन्य धड़ों के साथ मिलकर अकाली दल (डी) को प्लैटफॉर्म के रूप में उतारा। ढींढसा बताते हैं, 'हमारी पार्टी उन सभी लोगों को एक मंच देगी जिनका बादल परिवार के नियंत्रण वाले अकाली दल के लोकतंत्र विरोधी संगठन के रूप में बदलने से मोहभंग हो गया है। उन्होंने कहा, 'अकाली दल का नेतृत्व खासकर सुखबीर बादल की निरंकुशता के चलते पार्टी ने पंजाब के लोगों के बीच अपना आधार खो दिया है।'
पढ़ें: कृषि विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर का इस्तीफा
'हरसिमरत कौर का इस्तीफा फेक शो'
ढींढसा ने कृषि बिल को लेकर अकाली दल के विरोध प्रदर्शन और हरसिमरत कौर के मंत्री पद से इस्तीफा देने को फेक शो बताया। उन्होंने कहा, 'अकाली दल का प्रदर्शन और कैबिनेट से उनका इस्तीफा महज एक फेक शो है। नाराज किसानों के चलते वे ऐसा करने को मजबूर थे। पंजाब में हर किसी को पता है कि कृषि बिल की घोषणा होने के बाद भी अकाली दल और बादल परिवार खुशी-खुशी मोदी सरकार को समर्थन दे रहा था। जबकि किसान और राजनीतिक दल और कई संगठन इनका पुरजोर विरोध कर रहे थे।'
नई पार्टी में शामिल होंगे वरिष्ठ नेता
ढींढसा ने कहा कि उनका संगठन कृषि बिल के पूरी तरह विरोध में है। उन्होंने बताया कि अकाली दल के पूर्व राज्य मंत्री समेत कई वरिष्ठ नेता जैसे जगदीश सिंह गरचा, परमिंदर सिंह ढींढसा, पूर्व लोकसभा सांसद परमिंदर कौर गुलशन, पूर्व केंद्रीय मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया और मंजीत सिंह जीके भी नई पार्टी का हिस्सा होंगे।
हालिया कृषि बिल को लेकर अकाली दल के बीजेपी के साथ रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। वहीं अंदरूनी कलह के चलते अकाली दल टूट के कगार पर पहुंच गई है। बागी नेता सुखदेव सिंह ढींढसा पार्टी के अंसतुष्ट धड़े के साथ नई पार्टी बनाने की तैयारी में है। इसके लिए वह जल्द ही चुनाव आयोग से मिलकर अपने संगठन अकाली दल (डेमोक्रेटिक) को नए दल के रूप में रजिस्टर कराएंगे।
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'अकाली दल ने पंजाब में अपना आधार खोया'
ढींढसा इसी साल फरवरी में पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते अपने समर्थकों के साथ अकाली दल से निकाल दिए गए थे। इसके बाद उन्होंने अन्य धड़ों के साथ मिलकर अकाली दल (डी) को प्लैटफॉर्म के रूप में उतारा। ढींढसा बताते हैं, 'हमारी पार्टी उन सभी लोगों को एक मंच देगी जिनका बादल परिवार के नियंत्रण वाले अकाली दल के लोकतंत्र विरोधी संगठन के रूप में बदलने से मोहभंग हो गया है। उन्होंने कहा, 'अकाली दल का नेतृत्व खासकर सुखबीर बादल की निरंकुशता के चलते पार्टी ने पंजाब के लोगों के बीच अपना आधार खो दिया है।'
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'हरसिमरत कौर का इस्तीफा फेक शो'
ढींढसा ने कृषि बिल को लेकर अकाली दल के विरोध प्रदर्शन और हरसिमरत कौर के मंत्री पद से इस्तीफा देने को फेक शो बताया। उन्होंने कहा, 'अकाली दल का प्रदर्शन और कैबिनेट से उनका इस्तीफा महज एक फेक शो है। नाराज किसानों के चलते वे ऐसा करने को मजबूर थे। पंजाब में हर किसी को पता है कि कृषि बिल की घोषणा होने के बाद भी अकाली दल और बादल परिवार खुशी-खुशी मोदी सरकार को समर्थन दे रहा था। जबकि किसान और राजनीतिक दल और कई संगठन इनका पुरजोर विरोध कर रहे थे।'
नई पार्टी में शामिल होंगे वरिष्ठ नेता
ढींढसा ने कहा कि उनका संगठन कृषि बिल के पूरी तरह विरोध में है। उन्होंने बताया कि अकाली दल के पूर्व राज्य मंत्री समेत कई वरिष्ठ नेता जैसे जगदीश सिंह गरचा, परमिंदर सिंह ढींढसा, पूर्व लोकसभा सांसद परमिंदर कौर गुलशन, पूर्व केंद्रीय मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया और मंजीत सिंह जीके भी नई पार्टी का हिस्सा होंगे।