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Punjab Congress: जाखड़ के खत से पंजाब कांग्रेस में फिर उठा तूफान, क्यों कठघरे में हैं कैप्टन के करीबी मंत्री सोढ़ी? जानिए

Punjab Congress Rift पंजाब में कांग्रेस चुनाव से पहले अंदरूनी रस्साकशी से जूझ रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) और नवजोत सिद्धू (Navjot Sidhu) विवाद का हल निकलने के बाद अब सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar Letter) के एक खत ने मुश्किल खड़ी कर दी है।

Curated byसुधाकर सिंह | नवभारतटाइम्स.कॉम 29 Jul 2021, 3:58 pm

हाइलाइट्स

  • पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ का खत आया सामने
  • कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी को पार्टी से निकालने की मांग
  • अध्यक्ष रहते लिखा था खत, कैप्टन के करीबी माने जाते हैं राणा सोढ़ी
  • जमीन अधिग्रहण के मुआवजे को लेकर राज्य से धोखाधड़ी का आरोप
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चंडीगढ़
पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ का एक खत सामने आने से पार्टी में फिर अंदरूनी टकराव के आसार दिख रहे हैं। जाखड़ ने एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल और पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को लिखी इस चिट्ठी में कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी को पार्टी से निकालने की मांग की है। नवजोत सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच चले लंबे विवाद का हल निकलने के बाद इस ताजा मामले से पार्टी के लिए नई मुश्किल खड़ी हो सकती है।
कैप्टन के मंत्री पर राज्य से धोखाधड़ी का आरोप
दरअसल सुनील जाखड़ ने जब यह खत लिखा था, उस वक्त वह प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष थे। इस चिट्ठी में सोढ़ी से 1.83 करोड़ रुपये की रिकवरी को लेकर पंजाब सरकार की ओर से कोर्ट में जाने का जिक्र है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने सोढ़ी और उनके परिवार के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने की सिफारिश की। साथ ही राज्य के विरुद्ध धोखाधड़ी का भी आरोप है। जाखड़ ने खत में रिकवरी के मामले को एक छोटा उदाहरण बताया है।


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कांग्रेस के लिए चुनाव से पहले क्यों मुश्किल
जाखड़ ने अपने खत में कहा है उन्हें डर है कि अगर कोर्ट ने सोढ़ी के पक्ष में फैसला दिया तो इससे कांग्रेस की छवि के साथ-साथ पार्टी की चुनावी संभावनाओं को भी झटका लगेगा। संगरूर और उसके आसपास के किसान अपना मुआवजा 40 लाख प्रति एकड़ से 70 लाख प्रति एकड़ करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली-कटरा हाइवे के लिए यहां की जमीन अधिग्रहीत हुई है। चिट्ठी में जाखड़ ने कहा है कि उनका मानना है कि संगरूर बेल्ट पंजाब का सबसे प्राइम एरिया है, जहां जमीन की कीमत ज्यादा है। वहीं मोहन के उत्तर गांव जहां सोढ़ी की जमीन अधिग्रहीत हुई है वह इसके बहुत पीछे है। इस गांव में लिंक रोड से लगती कृषि भूमि की वर्तमान कीमत 6 लाख 72 हजार 300 रुपये प्रति एकड़ है। जाखड़ के खत में लिखा है, 'अगर सोढ़ी को प्रति एकड़ 7 करोड़ का मुआवजा मिलता है तो पंजाब का कौन सा किसान इसके कम कीमत पर अपनी जमीन अधिग्रहण के लिए देने पर तैयार होगा।'

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राणा सोढ़ी को दो बार मिला मुआवजा
दरअसल सोढ़ी की 11 एकड़ जमीन 2013 में दूसरी बार अधिग्रहीत हुई थी। पहली बार इस जमीन को 1962 में पीडब्ल्यूडी ने अधिग्रहीत किया था। इसके लिए सोढ़ी को सरकार से दो बार मुआवजा मिला। पहली बार 1962 में और दूसरी बार 2014 में। इसके बाद सोढ़ी ने नए जमीन अधिग्रहण कानून के तहत तीसरी बार 77 करोड़ का मुआवजा मांगा। यह मामला सीएम अमरिंदर सिंह के संज्ञान में भी आया और उन्होंने जांच के आदेश दे दिए। जाखड़ ने खत में कहा है कि सोढ़ी तथ्यों को छिपाकर और पिछली अकाली दल-बीजेपी सरकार की मदद से दोहरा मुआवजा पाने में कामयाब रहे। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सोढ़ी को नोटिस भी जारी किया है।

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सोढ़ी पर अकालियों का एजेंट होने का लगाया आरोप
जाखड़ का आरोप है कि मामला सार्वजनिक होने के बावजूद अकालियों ने सोढ़ी के खिलाफ प्रदर्शन नहीं किया है। जाखड़ का कहना है कि सोढ़ी को 2007 से 2017 के बीच जो दोहरा मुआवजा मिला है, उस वक्त अकाली सत्ता में थे। जाखड़ का आरोप है कि सुखबीर सिंह बादल के संरक्षण में पीडब्ल्यूडी ने 1962 में जमीन अधिग्रहीत होने के बावजूद अनदेखी की। जाखड़ ने खत में पूछा है कि क्यों नियमों से ऊपर जाकर सोढ़ी को लाभ पहुंचाया गया। जाखड़ ने सोढ़ी पर अकालियों का एजेंट होने का आरोप लगाया है। हाल ही में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह मुश्किल में थे तो सोढ़ी ही उनके संकचमोचक बने थे। इसके साथ ही जाखड़ ने अपनी चिट्ठी में अकाली-बीजेपी के कार्यकाल में 2015 में सोढ़ी को शराब लाइसेंस देने का मुद्दा भी उठाया है। सोढ़ी अब तक आरोपों पर सामने नहीं आए हैं।
लेखक के बारे में
सुधाकर सिंह
साहिल के सुकूं से किसे इनकार है लेकिन तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है...लिखने-पढ़ने का शौक पत्रकारिता की दुनिया में खींच लाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले से ताल्लुक़। पढ़ाई लखनऊ विश्वविद्यालय से और पत्रकारिता में ईटीवी से शुरुआत। सियासत को इतिहास और वर्तमान को अतीत के आईने में देखने की दिलोदिमाग़ में हसरत उठती रहती है। राजनैतिक-ऐतिहासिक शख़्सियतों और घटनाओं पर लिखने की ख़ास चाहत। डिजिटल दुनिया में राजस्थान पत्रिका से सफ़र का आग़ाज़ करने के बाद नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में मंज़िल का नया पड़ाव।... और पढ़ें

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