एनबीटी न्यूज, गुड़गांव : सेक्टर 38 स्थित झाड़सा बांध को डि-नोटिफाई किया जा सकता है। इस बांध के कुछ हिस्से का नामोंनिशान मिटाकर उस पर हूडा ने रोड बना दी है तो कुछ हिस्से पर एक नामी अस्पताल ने कब्जा कर लिया। अब इस मामले का हल निकालने के लिए हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी की तरफ से चार सदस्यीय कमिटी बनाई गई। इसमें जीएमडीए के सीईओ के अलावा निगम कमिश्नर, प्रशासक और मुख्य वन संरक्षक शामिल हैं। एनजीटी में इस मामले में अगली सुनवाई अगले महीने है। 2017 में सर्व जन कल्याण सेवा समिति की तरफ से नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दी गई। इसमें आरोप लगाया गया है कि एक नामी अस्पताल झाड़सा बांध का नामोंनिशान मिटाना चाहता है। 6 अक्टूबर, 1972 के नोटिफिकेशन के मुताबिक यह वन विभाग की जमीन है। जांच में पाया गया था कि बांध की करीब 4 हजार वर्गगज जमीन पर कब्जा है। 27 अगस्त को एनजीटी ने आदेश जारी किए हैं कि कितनी जमीन पर कब्जा है, इसकी दोबारा जांच की जाए। बताया जा रहा है कि हूडा ने बांध के कुछ हिस्से में रोड बना दी है तो कुछ हिस्से का अधिग्रहण करके हास्पिटल को सौंपा है तो कुछ हिस्से पर अतिक्रमण है। हरियाणा सरकार और हूडा के अधिकारियों को एनजीटी की सख्ती से बचाने के लिए झाड़सा बांध को डि-नोटिफाई करने का प्लान तैयार किया जा रहा है।
सेक्टर 38 आरडब्ल्यूए के जनरल सेक्रेटरी धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि यह झाड़सा बांध हमारे सेक्टर में है। यहां कब्जा कर लिया। इसको लेकर एनजीटी में याचिका दाखिल की गई थी।