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आखिरकार, फसल काटकर सड़कों पर क्यों डाल रहे किसान!

फसल की थ्रेसिंग के इस नायाब व मुफ्त तरीके से किसानों को कितना फायदा होगा यह कहना मुश्किल है। लेकिन किसानों की यह नादानी किसी गंभीर दुर्घटना को दावत जरूर दे रही है। इससे रोड से गुजरने वाले वाहनों के लिए तो खतरा पैदा हो रहा है।

नवभारत टाइम्स 9 Oct 2020, 8:27 am
नूंह
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खरीफ की फसल को कटते ही मेवात की सड़कों पर किसानों द्वारा फिर से मौत का खेल खेला जा रहा है। पिछली बार की तरह इस बार भी क्षेत्र के किसानों पर प्रशासनिक निर्देशों का कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। लोगों द्वारा धड़ल्ले से रोड के बीचों बीच कटी फसल को थ्रेसिंग के लिए डालना शुरू हो गया है।

फसल की थ्रेसिंग के इस नायाब व मुफ्त तरीके से किसानों को कितना फायदा होगा यह कहना मुश्किल है। लेकिन किसानों की यह नादानी किसी गंभीर दुर्घटना को दावत जरूर दे रही है। इससे रोड से गुजरने वाले वाहनों के लिए तो खतरा पैदा हो रहा है। रोड पर काम करते ये किसान तेजी से गुजरने वाले वाहनों की चपेट में आ सकते हैं। जिससे उनकी जान भी जा सकती है। पिछले साल भी रोड पर पड़ी फसलों के कारण छुटपुट हादसे देखने को मिले थे।

वहीं दूसरी ओर रोड पर फसल डालने से रोड पर जाम की स्थिति भी बन रही है। हर साल की तरह मेवात के किसानों ने फसल को काटकर रोड पर डाल दिया गया। जिससे यह आने जाने वाले वाहनों के टायरों से पिस कर दानों से अलग हो जाए। इस समस्या के गिरफ्त में सबसे अधिक नूंह-होडल रोड है। ज्वार, ढेंचा तथा बाजरा आदि की फसल को रोड पर डालकर दानों को भूसी से अलग होने तक इंतजार किया जाता है।

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