वरिष्ठ संवाददाता, गुड़गांव
गुड़गांव की आबोहवा दिनोंदिन जहरीली होती जा रही है। हवा के रुख बदलने से मंगलवार को पल्यूशन का लेवल 400 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर से भी अधिक हो गया। यह न केवल दिल्ली और एनसीआर में टॉप पर है बल्कि मंगलवार को देश में गुड़गांव नंबर 1 पर रहा।
एक्सपर्ट का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक घरों से निकलने से परहेज करें। यह स्वस्थ व्यक्ति को भी प्रभावित कर सकता है। अस्थमा के मरीजों और 5 से 14 साल के बच्चों के लिए तो इतना पलूशन जानलेवा भी हो सकता है। इस पर हरियाणा स्टेट पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने पिछले कुछ दिनों से सभी हॉस्पिटलों से एक रिपोर्ट मांगी है कि गुड़गांव में सांस लेने में दिक्कत की कितने शिकायतें रजिस्टर की गईं।
गुड़गांव पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साइंटिस्ट जय भगवान ने बताया कि यहां इतना पलूशन कभी नहीं था। पिछले कुछ दिनों से हवाओं का रुख तेजी से बदला है और अब हवाएं उत्तर से दक्षिण की ओर चल रही है। जिससे दिल्ली का जो पल्यूशन है, इन हवाओं के साथ ही गुड़गांव की ओर आ रहा है। इससे दिल्ली की तुलना में यहां पल्यूशन लेवल काफी अधिक बढ़ गया है।
दूसरा कारण यह है कि दिल्ली की तुलना में यहां कंस्ट्रक्शन अधिक हो रहा है। करीब 400 से अधिक साइटों पर लगातार कंस्ट्रक्शन हो रहा है, जिससे डस्ट उड़कर हवा में घुल रहे हैं और पल्यूशन लेवल को बढ़ा दिया है। दिल्ली की तुलना में गुड़गांव में पल्यूशन 28 प्रतिशत अधिक दर्ज किया गया है।
प्रदूषण का लेवल हुआ जानलेवा:
सिविल हॉस्पिटल के डिप्टी सीएमओ डॉ़ विजय कुमार ने बताया कि गुड़गांव में जितना पल्यूशन लेवल है, उतना स्वस्थ व्यक्ति को बीमार करने के लिए काफी है। डस्ट पल्यूशन लेवल अगर 400 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर से अधिक है तो इसे कंट्रोल करने के लिए गंभीर कदम उठाना चाहिए। इतना पलूशन लेवल से दमा के मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है। 5 से 14 साल के बच्चों के लिए 400 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर पल्यूशन लेवल तो बेहद ही खतरनाक है।
देश के टॉप 5 प्रदूषित शहरों में गुड़गांव (402 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), फरीदाबाद (325 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), दिल्ली (313 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर). लखनऊ (291 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर) और आगरा (249 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर) शामिल हैं।
गुड़गांव की आबोहवा दिनोंदिन जहरीली होती जा रही है। हवा के रुख बदलने से मंगलवार को पल्यूशन का लेवल 400 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर से भी अधिक हो गया। यह न केवल दिल्ली और एनसीआर में टॉप पर है बल्कि मंगलवार को देश में गुड़गांव नंबर 1 पर रहा।
एक्सपर्ट का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक घरों से निकलने से परहेज करें। यह स्वस्थ व्यक्ति को भी प्रभावित कर सकता है। अस्थमा के मरीजों और 5 से 14 साल के बच्चों के लिए तो इतना पलूशन जानलेवा भी हो सकता है। इस पर हरियाणा स्टेट पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने पिछले कुछ दिनों से सभी हॉस्पिटलों से एक रिपोर्ट मांगी है कि गुड़गांव में सांस लेने में दिक्कत की कितने शिकायतें रजिस्टर की गईं।
गुड़गांव पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साइंटिस्ट जय भगवान ने बताया कि यहां इतना पलूशन कभी नहीं था। पिछले कुछ दिनों से हवाओं का रुख तेजी से बदला है और अब हवाएं उत्तर से दक्षिण की ओर चल रही है। जिससे दिल्ली का जो पल्यूशन है, इन हवाओं के साथ ही गुड़गांव की ओर आ रहा है। इससे दिल्ली की तुलना में यहां पल्यूशन लेवल काफी अधिक बढ़ गया है।
दूसरा कारण यह है कि दिल्ली की तुलना में यहां कंस्ट्रक्शन अधिक हो रहा है। करीब 400 से अधिक साइटों पर लगातार कंस्ट्रक्शन हो रहा है, जिससे डस्ट उड़कर हवा में घुल रहे हैं और पल्यूशन लेवल को बढ़ा दिया है। दिल्ली की तुलना में गुड़गांव में पल्यूशन 28 प्रतिशत अधिक दर्ज किया गया है।
प्रदूषण का लेवल हुआ जानलेवा:
सिविल हॉस्पिटल के डिप्टी सीएमओ डॉ़ विजय कुमार ने बताया कि गुड़गांव में जितना पल्यूशन लेवल है, उतना स्वस्थ व्यक्ति को बीमार करने के लिए काफी है। डस्ट पल्यूशन लेवल अगर 400 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर से अधिक है तो इसे कंट्रोल करने के लिए गंभीर कदम उठाना चाहिए। इतना पलूशन लेवल से दमा के मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है। 5 से 14 साल के बच्चों के लिए 400 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर पल्यूशन लेवल तो बेहद ही खतरनाक है।
देश के टॉप 5 प्रदूषित शहरों में गुड़गांव (402 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), फरीदाबाद (325 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर), दिल्ली (313 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर). लखनऊ (291 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर) और आगरा (249 माइक्रोग्राम/ क्यूबिक मीटर) शामिल हैं।