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गेस्ट टीचर के सहारे चल रहीं पीजी कक्षाएं

उच्चतर शिक्षा विभाग व यूनिवर्सिटी का स्पष्ट आदेश है कि पीजी कक्षाएं किसी भी सूरत में एक्सटेंशन लेक्चरर्स, गेस्ट या किसी अन्य अस्थाई स्टाफ को न सौंपी जाए। लेकिन, स्टाफ की कमी के चलते कॉलेज इस आदेश पर अमल नहीं कर पा रहे हैं। विभाग द्वारा सभी कॉलेजों को बार-बार आगाह किए जाने के बाद भी कॉलेज प्रबंधन इस दिशा में ठोस कदम उठाने से बच रहे हैं।

अजय दीप | नवभारत टाइम्स 7 Jan 2018, 2:48 pm
गुड़गांव
नवभारतटाइम्स.कॉम guest-teacher

उच्चतर शिक्षा विभाग व यूनिवर्सिटी का स्पष्ट आदेश है कि पीजी कक्षाएं किसी भी सूरत में एक्सटेंशन लेक्चरर्स, गेस्ट या किसी अन्य अस्थाई स्टाफ को न सौंपी जाए। लेकिन, स्टाफ की कमी के चलते कॉलेज इस आदेश पर अमल नहीं कर पा रहे हैं। विभाग द्वारा सभी कॉलेजों को बार-बार आगाह किए जाने के बाद भी कॉलेज प्रबंधन इस दिशा में ठोस कदम उठाने से बच रहे हैं।

कॉलेजों में इस समय करीब 50 पर्सेंट स्टाफ ही रेगुलर है। इस कमी को पूरा करने के लिए गेस्ट स्टाफ रखे गए हैं। वहीं कुछ अस्थाई तौर से सेवा दे रहे हैं तो कुछ एक्सटेंशन लेक्चरर्स के तौर पर छात्रों को पढ़ा रहे हैं। उच्चतर शिक्षा विभाग व यूनिवर्सिटी ने इन कक्षाओं को पढ़ाने के लिए सिर्फ रेगुलर लेक्चरर्स की सेवा लेने का आदेश जारी किया हुआ है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि उन्हें लैब का प्रयोग करने को लेकर छात्रों के ग्रुप व टीचर्स की उपलब्धता को लेकर भी नकारात्मक सूचनाएं मिली हैं। जब लैब खाली होती है कोई भी ग्रुप इनमें प्रैक्टिकल के लिए नहीं पहुंचता, जबकि कई बार एक ही समय में दो या तीन ग्रुप पहुंच जाते हैं। विभाग का मानना है कि यह कॉलेज स्तर पर कॉर्डिनेशन की कमी के चलते हो रहा है।

उच्चतर शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी, अनुदान प्राप्त व सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों को स्टाफ का वर्कलोड मुख्यालय भेजने के आदेश दिए थे। इसे अधिकतर कॉलेजों ने तैयार करके भेजा भी गया, लेकिन जब इसकी जांच की गई तो खामियां निकल सामने आने लगीं। अधिकतर कॉलेजों द्वारा भेजे गए वर्कलोड में नियमों की अवहेलना सामने आई। ऐसे में अब विभाग ने अपने स्तर पर इसे दुरुस्त कराने की कवायद शुरू कर दी है। इस बारे में उच्चतर शिक्षा विभाग के महानिदेशक विजय सिंह दहिया का कहना है कि वर्कलोड को लेकर 8 जनवरी को मीटिंग होनी है। इसमें विभाग व यूनिवर्सिटी के नियमों की पालना सुनिश्चित करने को लेकर निर्देश दिए जाएंगे।
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