एनबीटी न्यूज, हिसार
प्रदेश सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों की बसों पर ग्रॉस वेट के हिसाब से टैक्स लगाए जाने से स्कूल संचालक नाराज हो गए हैं। इन स्कूल संचालकों ने फैसले के खिलाफ आंदोलन चलाने की तैयारी कर ली है। प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू व प्रांतीय संरक्षक तेलूराम रामायण वाला ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए बीजेपी सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2017 से प्राइवेट स्कूलों की बसों पर ग्रॉस वेट के हिसाब से लगाए गए नए टैक्स पर कड़ा विरोध जताया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों का बच्चा दूर-दराज व शहरी क्षेत्र में अच्छी शिक्षा लेने के लिए जाता है, लेकिन स्कूल बसों में नया टैक्स लगाकर सरकार बच्चों की फीस महंगी कर रही है। संघ के मुताबिक, पहले तो सरकार ने रूट परमिट की फीस 850 रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी, लेकिन विरोध के बाद उसे कुछ कम किया गया। अब सरकार ने ग्रॉस वेट के हिसाब से 1.2 टन से 6 टन तक 7475 रुपये, 6 टन से 16.2 टन तक 10,400 रुपये, 16.2 टन से 25 टन तक 16400 रुपये व 25 टन से अधिक पर 24400 रुपये टैक्स लगा दिया है। दोनों नेताओं ने आरोप लगाया कि यह भारी भरकम टैक्स लगाकर सरकार किसान व मजदूरों के बच्चों को शिक्षा से वंचित रखना चाहती है।
उन्होंने कहा कि अगर कोई स्कूल संचालक 200 रुपये से ज्यादा बस किराया लेता है तो 20 रुपये प्रति सीट हर महीने के हिसाब से नौ महीने का किराया विभाग द्वारा वसूल करने के निर्देश दिए गए हैं, जबकि हुड्डा सरकार में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं था। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल संचालकों को कभी कैमरे, जीपीएस, स्पीड गवर्नर, बस कंडक्टर, बोर्ड की संबंद्धता फीस बढ़ाकर व 134ए जैसी शर्तें थोपकर परेशान किया जा रहा है, जो गलत है।