भारत खन्ना, पटियाला
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जमे किसान पिछले तीन दिनों से बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं। इसको देखते हुए पंजाब से दिल्ली सीमा आ रहे किसान अपने साथ जनरेटर और इलेक्ट्रीशन लेकर आ रहे हैं। किसान नेताओं ने कहा कि इनमें से कई जनरेटरों के मालिक किसान ही हैं, जबकि कुछ ने उनको किराए पर लिया है।
मोबाइल चार्ज करने और चपातियां बनाने के लिए पड़ती है बिजली की जरूरत
किसानों ने कहा कि अपने मोबाइलों को चार्ज करने के लिए और कई अन्य जरूरी कामों के लिए उन्हें बिजली सप्लाई की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा लंगरों में जाने वाली चपातियों को भी मशीनों पर बनाया जाता है, जो बिजली से ही चलती हैं।
'किसान अपने दम पर बिजली के लिए लाए जनरेटर'
बीकेयू (एकता-उगराहन) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरिकलन ने कहा, 'किसान अपने दम पर बिजली की आपूर्ति के लिए ये जनरेटर लाए हैं। कई लोगों ने बिजली के उपकरणों के लिए छोटी सोलर बैट्री का भी इंतजाम किया है।' उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के बिजली आपूर्ति बंद करने, पानी रोकने और इंटरनेट बंद करने के बाद वैकल्पिक व्यवस्था की जरूरत महसूस की जा रही थी।
बिजली कटौती के बाद टिकरी बॉर्डर पहुंचे जनरेटर
उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार का कदम पूरी तरह से ब्लैकआउट की तरह था, लेकिन हम शुरुआत में ही कुछ जनरेटर लाए थे। कटौती के बाद कुछ और जनरेटर भी पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से टिकरी बॉर्डर पर हमारे आंदोलन स्थल तक पहुंच गए हैं। पटियाला के एक अन्य बीकेयू नेता गुरविंदर सिंह ने कहा, 'पटियाला में दून कलां के ग्रामीण मंगलवार को एक जनरेटर लाए थे और अब हम यहां से बिजली ले रहे हैं। लंगर साइट पर हमें बिजली से चलने वाली मशीन की जरूरत होती है।'
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जमे किसान पिछले तीन दिनों से बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं। इसको देखते हुए पंजाब से दिल्ली सीमा आ रहे किसान अपने साथ जनरेटर और इलेक्ट्रीशन लेकर आ रहे हैं। किसान नेताओं ने कहा कि इनमें से कई जनरेटरों के मालिक किसान ही हैं, जबकि कुछ ने उनको किराए पर लिया है।
मोबाइल चार्ज करने और चपातियां बनाने के लिए पड़ती है बिजली की जरूरत
किसानों ने कहा कि अपने मोबाइलों को चार्ज करने के लिए और कई अन्य जरूरी कामों के लिए उन्हें बिजली सप्लाई की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा लंगरों में जाने वाली चपातियों को भी मशीनों पर बनाया जाता है, जो बिजली से ही चलती हैं।
'किसान अपने दम पर बिजली के लिए लाए जनरेटर'
बीकेयू (एकता-उगराहन) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरिकलन ने कहा, 'किसान अपने दम पर बिजली की आपूर्ति के लिए ये जनरेटर लाए हैं। कई लोगों ने बिजली के उपकरणों के लिए छोटी सोलर बैट्री का भी इंतजाम किया है।' उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के बिजली आपूर्ति बंद करने, पानी रोकने और इंटरनेट बंद करने के बाद वैकल्पिक व्यवस्था की जरूरत महसूस की जा रही थी।
बिजली कटौती के बाद टिकरी बॉर्डर पहुंचे जनरेटर
उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार का कदम पूरी तरह से ब्लैकआउट की तरह था, लेकिन हम शुरुआत में ही कुछ जनरेटर लाए थे। कटौती के बाद कुछ और जनरेटर भी पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से टिकरी बॉर्डर पर हमारे आंदोलन स्थल तक पहुंच गए हैं। पटियाला के एक अन्य बीकेयू नेता गुरविंदर सिंह ने कहा, 'पटियाला में दून कलां के ग्रामीण मंगलवार को एक जनरेटर लाए थे और अब हम यहां से बिजली ले रहे हैं। लंगर साइट पर हमें बिजली से चलने वाली मशीन की जरूरत होती है।'