जालंधर
केंद्र सरकार की मंत्री स्मृति इरानी ने शनिवार को जालंधर के एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश में विज्ञान के क्षेत्र में महिलाएं सर्वाधिक अल्पसंख्यक हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के पेशों में सिर्फ 14 फीसदी महिलाएं हैं। इरानी ने कहा कि देश भर में रिसर्च और डिवेलपमेंट के क्षेत्रों में करीब 2.8 लाख वैज्ञानिक और इंजिनियर काम कर रहे हैं लेकिन इसमें महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 14 फीसदी तक ही सीमित है। ऐसे में अगर देश को इस क्षेत्र में विकास करना है, तो विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी को और मजबूत करना होगा।
जालंधर की लवली प्रफेशनल यूनिवर्सिटी में 8वीं महिला विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन के लिए पहुंची इरानी ने यहां अपने संबोधन के दौरान यह बातें कहीं। स्मृति ने यहां अपने संबोधन के दौरान कहा कि भले ही साइंस का क्षेत्र लिंग तटस्थ है, लेकिन यहां महिलाओं के लिए अवसर बनाने के मामले में ऐसी स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि देश भर में जितने वैज्ञानिक और इंजिनियर काम कर रहे हैं, उनमें महिलाओं का प्रतिनिधित्व करीब 14 फीसदी ही है। ऐसे में सभी को इस दिशा में सोचना होगा।
'अच्छे जर्नल्स का कराया जाए अनुवाद'
इरानी ने इस बात पर जोर दिया कि लैंगिक समानता को साकार करना अकेले महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं है और पुरुषों को भी इसके लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। मंत्री ने यह भी कहा कि आपको यदि भारत के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर भविष्य चाहिए तो आपको भारतीय महिलाओं के लिए विज्ञान में उचित और आकर्षक भविष्य सुनिश्चित करना होगा। इस दौरान स्मृति इरानी ने सुझाव दिया कि देश के कुछ अच्छे साइंस जर्नल और विज्ञान के क्षेत्र में आई स्टडी रिपोर्ट्स का अनुवाद कराया जाना चाहिए और इन्हें ना सिर्फ हायर एजुकेशन बल्कि स्कूली शिक्षा से जुड़े संस्थानों में भी भेजना चाहिए। स्मृति ने तर्क दिया कि अगर ऐसा होता है तो इससे विद्यार्थियों में साइंस के प्रति रुचि को बढ़ाया जा सकेगा।
केंद्र सरकार की मंत्री स्मृति इरानी ने शनिवार को जालंधर के एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश में विज्ञान के क्षेत्र में महिलाएं सर्वाधिक अल्पसंख्यक हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के पेशों में सिर्फ 14 फीसदी महिलाएं हैं। इरानी ने कहा कि देश भर में रिसर्च और डिवेलपमेंट के क्षेत्रों में करीब 2.8 लाख वैज्ञानिक और इंजिनियर काम कर रहे हैं लेकिन इसमें महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 14 फीसदी तक ही सीमित है। ऐसे में अगर देश को इस क्षेत्र में विकास करना है, तो विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी को और मजबूत करना होगा।
जालंधर की लवली प्रफेशनल यूनिवर्सिटी में 8वीं महिला विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन के लिए पहुंची इरानी ने यहां अपने संबोधन के दौरान यह बातें कहीं। स्मृति ने यहां अपने संबोधन के दौरान कहा कि भले ही साइंस का क्षेत्र लिंग तटस्थ है, लेकिन यहां महिलाओं के लिए अवसर बनाने के मामले में ऐसी स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि देश भर में जितने वैज्ञानिक और इंजिनियर काम कर रहे हैं, उनमें महिलाओं का प्रतिनिधित्व करीब 14 फीसदी ही है। ऐसे में सभी को इस दिशा में सोचना होगा।
'अच्छे जर्नल्स का कराया जाए अनुवाद'
इरानी ने इस बात पर जोर दिया कि लैंगिक समानता को साकार करना अकेले महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं है और पुरुषों को भी इसके लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। मंत्री ने यह भी कहा कि आपको यदि भारत के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर भविष्य चाहिए तो आपको भारतीय महिलाओं के लिए विज्ञान में उचित और आकर्षक भविष्य सुनिश्चित करना होगा। इस दौरान स्मृति इरानी ने सुझाव दिया कि देश के कुछ अच्छे साइंस जर्नल और विज्ञान के क्षेत्र में आई स्टडी रिपोर्ट्स का अनुवाद कराया जाना चाहिए और इन्हें ना सिर्फ हायर एजुकेशन बल्कि स्कूली शिक्षा से जुड़े संस्थानों में भी भेजना चाहिए। स्मृति ने तर्क दिया कि अगर ऐसा होता है तो इससे विद्यार्थियों में साइंस के प्रति रुचि को बढ़ाया जा सकेगा।