सोमदेव आर्य, हथीन (पलवल)
पत्नी को मोबाइल फोन पर दिए गए तलाक के एक मामले में दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद और देवबंद स्थित दारूल-उल-उलूम स्थित इस्लामी संस्थाओं ने फतवा जारी कर दिया है। यह फतवा मलाई गांव के निवासी नसीम अहमद की याचिका पर दिया गया है। फतवे में कहा गया है कि इस्लामी शरीयत कानून के तहत तलाक के समय औरत का हाजिर होना जरूरी नहीं है।
फतवे में कहा गया है कि अगर मर्द ने होश में तलाक दिया है तो वह तलाक माना जाएगा। इस फतवे पर दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती डॉक्टर मुकर्रम ने हस्ताक्षर किए हैं। दूसरे फतवे पर देवबंद के कई आलिमों के हस्ताक्षर हैं। नसीम का निकाह 15 मई 2011 को राजस्थान के अलवर जिले की युवती के साथ हुआ था। नसीम अहमद ने मोबाइल फोन से अपनी पत्नी को तलाक देने का दावा किया था। इस पर पिछले 3 दिनों से पंचायतों का दौर जारी था।
इस मामले में पंचायत में भी दो गुट बन गए। एक गुट का कहना था कि मोबाइल पर दिया गया तलाक जायज नहीं है, जबकि दूसरा गुट इसे जायज बता रहा था। इस बीच नसीम ने दो इस्लामी संस्थाओं से उनकी राय मांगी थी। फतवा जारी होने के बावजूद मेव मुस्लिम पंचायत इस मुद्दे पर एक बड़ी पंचायत में फैसला करेगी। लड़के पक्ष को कहा गया है कि वह बड़ी पंचायत से पहले पांच लाख रुपये जमा करा दें। इसके बाद ही पंचायत कर फैसला सुनाया जाएगा। बीवी अपने बच्चों के साथ शौहर के घर में रह पाएगी या नहीं, यह फैसला भी पंचायत करेगी।
वहीं, नसीम का कहना है कि पंचायत में अग्रिम रकम जमा कराने के लिए उनके पास पांच लाख रुपये का कैश नहीं है। इस बारे में 29 दिसंबर को पंचों के सामने अपना पक्ष रखा जाएगा। इसके अलावा नसीम ने हथीन के डीएसपी को भी लिखित शिकायत दी है कि उसकी पूर्व पत्नी 23 दिसंबर से उसके घर में आकर रहने लगी है। नसीम का आरोप है कि उसकी पत्नी आत्मदाह कर उसके सारे परिवार को जेल भिजवाने की धमकी दे रही है। उसने पुलिस से पत्नी को घर से हटाने की गुजारिश की है।
पत्नी को मोबाइल फोन पर दिए गए तलाक के एक मामले में दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद और देवबंद स्थित दारूल-उल-उलूम स्थित इस्लामी संस्थाओं ने फतवा जारी कर दिया है। यह फतवा मलाई गांव के निवासी नसीम अहमद की याचिका पर दिया गया है। फतवे में कहा गया है कि इस्लामी शरीयत कानून के तहत तलाक के समय औरत का हाजिर होना जरूरी नहीं है।
फतवे में कहा गया है कि अगर मर्द ने होश में तलाक दिया है तो वह तलाक माना जाएगा। इस फतवे पर दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती डॉक्टर मुकर्रम ने हस्ताक्षर किए हैं। दूसरे फतवे पर देवबंद के कई आलिमों के हस्ताक्षर हैं। नसीम का निकाह 15 मई 2011 को राजस्थान के अलवर जिले की युवती के साथ हुआ था। नसीम अहमद ने मोबाइल फोन से अपनी पत्नी को तलाक देने का दावा किया था। इस पर पिछले 3 दिनों से पंचायतों का दौर जारी था।
इस मामले में पंचायत में भी दो गुट बन गए। एक गुट का कहना था कि मोबाइल पर दिया गया तलाक जायज नहीं है, जबकि दूसरा गुट इसे जायज बता रहा था। इस बीच नसीम ने दो इस्लामी संस्थाओं से उनकी राय मांगी थी। फतवा जारी होने के बावजूद मेव मुस्लिम पंचायत इस मुद्दे पर एक बड़ी पंचायत में फैसला करेगी। लड़के पक्ष को कहा गया है कि वह बड़ी पंचायत से पहले पांच लाख रुपये जमा करा दें। इसके बाद ही पंचायत कर फैसला सुनाया जाएगा। बीवी अपने बच्चों के साथ शौहर के घर में रह पाएगी या नहीं, यह फैसला भी पंचायत करेगी।
वहीं, नसीम का कहना है कि पंचायत में अग्रिम रकम जमा कराने के लिए उनके पास पांच लाख रुपये का कैश नहीं है। इस बारे में 29 दिसंबर को पंचों के सामने अपना पक्ष रखा जाएगा। इसके अलावा नसीम ने हथीन के डीएसपी को भी लिखित शिकायत दी है कि उसकी पूर्व पत्नी 23 दिसंबर से उसके घर में आकर रहने लगी है। नसीम का आरोप है कि उसकी पत्नी आत्मदाह कर उसके सारे परिवार को जेल भिजवाने की धमकी दे रही है। उसने पुलिस से पत्नी को घर से हटाने की गुजारिश की है।