ऐपशहर

कोरोना में लावारिस मिली बच्ची को अलवर के दंपति ने लिया गोद, घर पहुंचे तो पूरे गांव ने किया स्वागत

जोधपुर (jodhpur) में एक कलयुगी मां ने जिस मासूम बच्ची को लावारिस छोड़ा था उसे बुधवार को अलवर (alwar couple) के एक दंपति ने बेटी के रूप में गोद लेते हुये लक्ष्मी रूप में गृह प्रवेश कराया। नीमराणा (neemrana) के दंपति जब कोरोना में लावारिश छोड़ी बच्ची को गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया पूरी कर गांव पहुंचा तो ग्रामीणों ने धूमधाम से स्वागत किया।

Lipi | 25 Nov 2020, 11:14 pm
नवभारतटाइम्स.कॉम rajasthan news hindi update (15)
अलवर। राजस्थान के अलवर जिले के नीमराणा निवासी एक दम्पति ने एक बालिका को गोद लेकर उसे घर की लक्ष्मी बनाया है। एक तरफ बेटी के जन्म पर आज भी कुछ लोग उन्हें लावारिस फेंक देने से बाज नहीं आते वहीं कन्या भ्रूण हत्यायें भी अभी नहीं थमी हैं। ऐसे में नीमराणा के दंपति ने कोरोना काल मे लावारिस छोड़ी गई इस बच्ची को गोद लेकर उसका गांव में धूमधाम से स्वागत किया गया। बेटी को पाकर पूरा परिवार और गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है और लोग दंपति के इस कदम की सराहना कर रहे हैं।
'सुपर स्प्रेडर' हेल्थ मिनिस्टर पर घिरी गहलोत सरकार, BJP ने लगाये गंभीर आरोप
नीमराणा के बिचपुरी निवासी लाइनमैन सतीश यादव और उनकी पत्नी सुरेश देवी ने कोरोना वायरस के दौरान जोधपुर में जन्मी बच्ची को गोद लेकर समाज में एक नई मिशाल कायम की है। विद्युकर्मी ने जोधपुर के चौपासनी हाउसिंग बोर्ड में स्थित नवजीवन लव कुश अनाथालय से दत्तक ग्रहण अभिकरण के तहत पांच माह की बच्ची को गोद लिया है। संस्थान के प्रभारी राजेन्द्र परिहार ने सतीश यादव व उनकी पत्नी को 18 नवम्बर को संस्थान की बच्ची शिप्रा को दत्तक ग्रहण करवाया।
Alwar: बारातियों से भी मारुति वैन में लगी आग, ड्राइवर ने कूद कर बचाई अपनी जान

बेटी को गोद लेकर वापस लौटे दंपति का घर आगमन पर ग्रामीणों में एक अलग खुशी का माहौल देखने को मिला। परिजनों ने बच्ची और उसके नए माता-पिता का तिलक लगाकर और पूजा-अर्चना कर स्वागत किया। बेटी शिप्रा का नामकरण करते हुए उसे नया नाम चारुल दिया। विद्युकर्मी सतीश यादव और उनकी पत्नी सुरेश देवी ने बताया कि एक ओर जहां पूरा विश्व कोरोना जैसे वैश्विक महामारी से झूझ रहा है तो वहीं दूसरी ओर जोधपुर में एक निर्दयी मां ने बच्ची को जन्म देकर छोड़ दिया था। इसके बाद उसका पांच माह से लालन-पालन नवजीवन लव कुश संस्थान की ओर से किया जा रहा था। जिसे दंपति ने सामाजिक परिवरिश का जिम्मा लेते हुए गोद लेकर पालन पोषण का जिम्मा लिया है।
Tina Dabi: शादी के बाद पहली पोस्टिंग से शुरू हुई समस्याओं से जंग, फिर आया कोरोना


दंपति का कहना है कि जिस तरह से आज हमारे समाज में बेटी के जन्म को एक अभिशाप के रूप में देखा जाता है तो वहीं दूसरी ओर अनेक दंपति अपनी पहली संतान के रूप में बेटी का मुंह देखना पसंद करते हैं। ऐसे में एक तरफ जहां अनाथ बच्ची को माता-पिता का साया मिला है तो वहीं दूसरी ओर सामाजिक रूप से बेटियों के प्रति गिरते हुए मूल्यों को भी मजबूती मिल सकेगी।
जयपुर की 65 वर्षीय सजन कंवर ने दिखाई हिम्मत, बस से छलांग लगा गले से चेन तोड़ने वाली बावरिया गैंग की 3 महिलाओं को अलवर में दबोचा

बिचपुरी निवासी सतीश यादव नीमराणा ईपीआईपी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित पावर हाउस में पेशे से विद्युत टेक्नीशियन लाइनमैन के पद पर कार्यरत हैं तो वहीं उनकी पत्नी सुरेश देवी घर में रहकर ग्रहणी का दायित्व निभा रही हैं। दंपति की कोई संतान नहीं थी। ऐसे में उन्होंने भाई, बहनों और रिश्तेदारों की संतान को गोद लेने की बजाय अनाथ आश्रम में पल बढ़ रही शिप्रा (चारुल)को गोद लेकर उसे समाज में एक नया नाम और पहचान देने का साहसिक निर्णय लिया।

अगला लेख

Stateकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग