बाड़मेर
एक दौर था, जब प्रदेश के दूर दराजों जिलों की महिलाओं को लेकर अलग सोच हुआ करती थी। लेकिन बदलते वक्त के साथ ऐसे तस्वीरें सामने आने लगी है, जो अद्भुत मिसाल पेश कर रही है। ताजा मामला बाड़मेर जिले का है। यहां पिता की मौत के बाद सात बेटियों ने बेटों का धर्म निभाते हुए ना केवल अपने पिता की अंतिम यात्रा में उन्हें कंधा दिया, बल्कि उन्हें मुखाग्नि भी दी। देश में शायद ही ऐसा पहली बार हुआ है कि 7 बेटियों ने अपने पिता की शव को कंधा देकर पूरे हिन्दू रीति-रिवाजों के साथ पिता को मुखाग्नि दी हो।
दरअसल सरहदी बाड़मेर के महाबार गांव के पूर्व सरपंच और विश्व विख्यात ब्रह्मधाम आसोतरा के ट्रस्टी हेमसिंह राजपुरोहित का निधन जोधपुर में हो गया। इनकी अंतिम यात्रा उनके पैतृक गांव महाबार में निकाली गई। इनकी अंतिम यात्रा ना केवल बाड़मेर बल्कि पूरे भारत में मिसाल बनी नजर आई। हेमसिंह महाबार की सातो बेटियों ने उनकी अंतिम यात्रा की पूरी रस्मों को पूरा किया।
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बेटों की तरह निभाया फर्ज
एक तरफ जहां ग्रामीण इलाकों में आज भी समाज में बेटा -बेटी को बराबरी के दर्जे से नहीं देखा जाता है। ऐसे में रविवार को सरहदी बाड़मेर के महाबार गांव मे रूढ़िवादी परम्परा को दरकिनार कर समाजसेवी हेमसिंह महाबार को उनकी सात बेटियों ने कंधा देकर मुखग्नि दी। पिता की मौत के बाद गमगीन माहौल में बेटियों ने बेटों के फर्ज को पूरे रीति रिवाजों के साथ पूरा किया। मिली जानकारी के अनुसार 83 वर्षीय हेमसिंह महाबार को उनकी बेटियों मगूकंवर, छगन कंवर, तीजो कंवर, पूरी कवर, सारी कवर ,घापू कवर,घाई कवर ने कंधा देने के बाद मुखाग्नि दी। हेमसिंह महाबार के 14 दोहिते 12 दोहितीया है।
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कोरोना से ठीक होने के बाद फेफड़ों के संक्रमण से मौत मिली जानकारी के अनुसार हेमसिंह महाबार पिछले दिनों कोरोना संक्रमित हो गए थे। इसके बाद उनकी रिपोर्ट कुछ दिन पहले नेगिटिव भी आ गई थी, लेकिन फेफड़ों के संक्रमण की वजह से उनका असमय निधन हो गया। बाड़मेर के समाजसेवी और महाबार के पूर्व सरपंच हेमसिंह राजपुरोहित के निधन पर राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने उनके दामाद भंवर सिंह राजगुरु बीसू से फोन पर बात कर अपनी संवेदना प्रकट की। हेमसिंह महाबार के निधन पर पूरे मारवाड़ में राजपुरोहित समाज मे शोक की लहर दौड़ पड़ी। बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन समेत कई जनप्रतिनिधियों ने उनके निधन को अपूणीर्य क्षति बताया।
एक दौर था, जब प्रदेश के दूर दराजों जिलों की महिलाओं को लेकर अलग सोच हुआ करती थी। लेकिन बदलते वक्त के साथ ऐसे तस्वीरें सामने आने लगी है, जो अद्भुत मिसाल पेश कर रही है। ताजा मामला बाड़मेर जिले का है। यहां पिता की मौत के बाद सात बेटियों ने बेटों का धर्म निभाते हुए ना केवल अपने पिता की अंतिम यात्रा में उन्हें कंधा दिया, बल्कि उन्हें मुखाग्नि भी दी। देश में शायद ही ऐसा पहली बार हुआ है कि 7 बेटियों ने अपने पिता की शव को कंधा देकर पूरे हिन्दू रीति-रिवाजों के साथ पिता को मुखाग्नि दी हो।
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