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बाड़मेर की सुगदी देवी सैकड़ों को आत्मनिर्भता का पाठ पढ़ा रहीं, 'सुई और धागे'से अपना और अब दूसरों का भी भविष्य संवार रहीं

Rajasthan News: राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके के एक गांव की अनपढ़ और असहाय सुगदी देवी (Sugadi Devi, Barmer) अब आत्मर्निभर बन चुकी हैं। अपनी काबिलियत के दम दूसरी महिलाओं का जीवन भी संवारने में जुटी हैं। पहले खुद कढ़ाई करना सीखा। अब मास्‍टर प्रशिक्षक बन अलग पहचान बनाई।

नवभारतटाइम्स.कॉम 29 Sep 2021, 1:36 pm
बाड़मेर
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एक शरणार्थी के रूप में प्रवासी का जीवन बहुत मुश्किल होता है। सुगदी देवी एक ऐसे ही परिवार से संबंध रखती हैं। जो बंटवारे के वक्‍त पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत से यहां आया था और धनाऊ नाम के एक छोटे से गांव में बस गया था। अपने पति और बच्‍चों के अलावा सुगदी देवी को जिसके साथ समय बिताना सबसे ज्यादा अच्छा लगता था वह थे सुई और धागा। उन्‍हें कढ़ाई का काम करना पसंद था और इसे करने में उन्‍हें बहुत सकून मिलता था। इसने उनकी रचनात्‍मकता को बढ़ाने में मदद की और उन्‍हें काम में व्‍यस्‍त रखा। धीरे-धीरे उन्‍हें लगने लगा कि यही वह काम है जिसे करने में उन्‍हें खुशी मिलेगी। वो यह बात अच्‍छी तरह से जानती थीं कि अकेले पति की कमाई से बच्‍चों को पढ़ाना संभव नहीं होगा। जब उन्‍हें जीवीसीएस (GVCS) और रूमा देवी (बाड़मेर की एक बहुत प्रसिद्ध पारंपरिक हस्तशिल्प कारीगर) के काम के बारे में पता चला। उन्‍हें एहसास हुआ कि पारंपरिक कला में उनका कौशल उनके लिए कमाई का एक साधन बन सकता है। वह अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में कुछ मदद कर सकती हैं।

ट्रेनिंग के बाद अलग पहचान बनी, फैशन शो तक पहुंचीं

अपनी इस सोच को साकार करने के लिए सुगदी देवी जीवीसीएस (GVCS) के साथ जुड़ गईं। जीवीसीएस के मार्गदर्शन में, सुगदी देवी ने कौशल-विकास प्रशिक्षण हासिल किया और हाथ से कढ़ाई करना सीखा। ट्रेनिंग के बाद सुगदी देवी एक कलाकार से एक मास्‍टर प्रशिक्षक बन गईं। कुछ ही समय में विभिन्‍न फैशन शो में अपने कलेक्‍शन के साथ रैम्‍प पर वॉक करके उन्‍होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली।

स्वतंत्रता दिवस पर पुरस्कार, टीवी कार्यक्रम 'कौन बनेगा करोड़पति' में भी

सुगदी देवी के अथक प्रयासों और समर्पण को देखते हुए, जिला प्रशासन द्वारा 15 अगस्‍त, 2019 को उन्‍हें पुरस्‍कार भी प्रदान किया गया। कौन बनेगा करोड़पति कार्यक्रम के विशेष एपिसोड ‘कर्मवीर’ में भाग लेने के लिए वह रूमा देवी के साथ मुंबई गईं। वह पूरे आत्‍मविश्‍वास के साथ महानायक अमिताभ बच्‍चन से मिलीं और उनसे बात भी की। उन्‍होंने इस बात को साबित कर दिखाया कि आकाश की बुल‍ंदियों को छूना असंभव नहीं है। अखबारों के संस्‍करणों में सुगदी देवी की इस सफल यात्रा के बारे में विस्‍तार से खबरें प्रकाशित हुई। और जिनसे हजारों और महिलाएं प्रभावित हुईं।

सफलता मिली तो बेटी और बेटे को अच्छी शिक्षा का रास्ता खुला

कड़ी मेहनत का फल जरूर मिलता है। सुगदी देवी को इस बात का एहसास तब हुआ जब उनकी बड़ी बेटी हेमलता ने एसटीसी की पढ़ाई पूरी की और उनका बेटा जगदीश आईटीआई में पढ़ाई कर रहा है। उनके अन्‍य दो बच्‍चे दुर्गा और रवि दसवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहे हैं। जीवीसीएस के मार्गदर्शन में, वह अब कई अन्‍य महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण प्रदान कर रही हैं, जिन्‍हें मदद और मार्गदर्शन की जरूरत है। उन्‍होंने विभि‍न्‍न संस्‍थानों में वर्कशॉप का आयोजन किया और एनआईएफटी जैसे संस्‍थानों के कई छात्रों को संबोधित भी किया है।

समाज की सदियों पुरानी प्रथाओं की रूढि़वादी सोच पर जीत हासिल करना भारतीय महिलाओं के लिए कभी भी आसान नहीं रहा है। सुगदी देवी ने सभी सामाजिक रुकावटों को अनदेखा करते हुए अपने और अपने बच्‍चों के उज्‍जवल भविष्‍य के लिए कदम आगे बढ़ाया। आज वह समाज में अपनी तरह की अन्‍य महिलाओं में भी आत्‍मविश्‍वास जगा रही हैं।

हजारों महिलाओं में आत्‍मविश्‍वास जगाया
एडेलगिव फाउंडेशन की सीईओ नगमा मुल्‍ला कहती हैं, 'सुगदी देवी जैसी महिलाओं ने एक बेहतर जीवन हासिल करने के लिए मजबूती, दृढ़संकल्‍प और दूरदृष्टि का प्रदर्शन किया है। सुगदी देवी ने अपने कढ़ाई-बुनाई के काम से प्‍यार किया और इस पर एक स्‍थायी व्‍यवसाय को खड़ा किया। उस समाज में अपना एक स्‍थान बनाया जि‍समें वह पली-बढ़ीं। उन्‍होंने हर बाधा को पार किया, खुद को आगे बढ़ाया और अपने बच्‍चों के उज्‍जवल भविष्‍य को सुरक्षित बनाते हुए देश भर की हजारों महिलाओं में आत्‍मविश्‍वास जगाया है। मैं उनकी इच्‍छाशक्ति और आत्‍मनिर्भर बनने के अटूट जुनून को देखकर आश्‍चर्यचकित हूं।'

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