प्रमोद तिवारी, भीलवाड़ा
निमोनिया के इलाज के नाम पर मासूम बालकों को गर्म सलाखों से दागने और उससे मासूमों की मौत का दंश झेल रहे भीलवाड़ा जिले ये एक और शर्मनाक मामला सामने आया है। यहां एक नहीं दो गांवों में एक साथ 3 बाल विवाह की तस्वीर सामने आई हैं। बाल विवाह के बाद परिजन इन जोड़ों को लेकर भगवान के मंदिर में धोक लगवाने पहुंचे थे। जहां एक बाल जोड़ा दुनियादारी से दूर आपस में एक-दूसरे से लड़-झगड़ते हुए, चपत लगाते नजर आया।
पहली तस्वीर, भीलवाड़ा जिले के कोटड़ी की है। उपखंड के गेंदलिया गांव में दो मासूम बालकों का बाल विवाह हो गया। प्रशासन को इसकी खैर खबर तक नहीं मिली। यह जोड़े जब मंदिर में भगवान का आशीर्वाद लेने पहुंचे तब इनका फोटो और वीडियो वायरल हुआ। इन बच्चों की उम्र 10 से 12 साल बताई जा रही है। इनका विवाह 28 नवंबर को होना बताया गया। इनके परिजन मंगलवार को कोटडी क़स्बे में भगवान के मंदिर में धौक लगवाने पहुंचे थे।
दूसरी तस्वीर, भीलवाड़ा जिले के ही आसिंद उप खंड क्षेत्र की है। इसमें भी बाल जोड़ा विवाह के बाद मंदिर में भगवान का आशीर्वाद लेते समय एक दूसरे से झगड़ते और हल्की हल्की चपत लगाते नज़र आ रहे हैं।
इन मासूम बच्चों को विवाह का मतलब भी पता नहीं है। ये तो खेल-खेल की तरह एक दूसरे से झगड़ कर एक दूसरे को चपत लगा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि निमोनिया के इलाज के नाम पर मासूम बच्चों को गर्म सलाख़ों को दागने के अंधविश्वास के साथ-साथ भीलवाड़ा जिले में बाल विवाह की कुप्रथा पर लगाम कब लगेगी?
निमोनिया के इलाज के नाम पर मासूम बालकों को गर्म सलाखों से दागने और उससे मासूमों की मौत का दंश झेल रहे भीलवाड़ा जिले ये एक और शर्मनाक मामला सामने आया है। यहां एक नहीं दो गांवों में एक साथ 3 बाल विवाह की तस्वीर सामने आई हैं। बाल विवाह के बाद परिजन इन जोड़ों को लेकर भगवान के मंदिर में धोक लगवाने पहुंचे थे। जहां एक बाल जोड़ा दुनियादारी से दूर आपस में एक-दूसरे से लड़-झगड़ते हुए, चपत लगाते नजर आया।
पहली तस्वीर, भीलवाड़ा जिले के कोटड़ी की है। उपखंड के गेंदलिया गांव में दो मासूम बालकों का बाल विवाह हो गया। प्रशासन को इसकी खैर खबर तक नहीं मिली। यह जोड़े जब मंदिर में भगवान का आशीर्वाद लेने पहुंचे तब इनका फोटो और वीडियो वायरल हुआ। इन बच्चों की उम्र 10 से 12 साल बताई जा रही है। इनका विवाह 28 नवंबर को होना बताया गया। इनके परिजन मंगलवार को कोटडी क़स्बे में भगवान के मंदिर में धौक लगवाने पहुंचे थे।
दूसरी तस्वीर, भीलवाड़ा जिले के ही आसिंद उप खंड क्षेत्र की है। इसमें भी बाल जोड़ा विवाह के बाद मंदिर में भगवान का आशीर्वाद लेते समय एक दूसरे से झगड़ते और हल्की हल्की चपत लगाते नज़र आ रहे हैं।
इन मासूम बच्चों को विवाह का मतलब भी पता नहीं है। ये तो खेल-खेल की तरह एक दूसरे से झगड़ कर एक दूसरे को चपत लगा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि निमोनिया के इलाज के नाम पर मासूम बच्चों को गर्म सलाख़ों को दागने के अंधविश्वास के साथ-साथ भीलवाड़ा जिले में बाल विवाह की कुप्रथा पर लगाम कब लगेगी?