गुर्जर बाहुल्य इलाकों में कांग्रेस को 10 सीटें कम मिली
राजस्थान के अलवर, भरतपुर, बूंदी, दौसा, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर और टोंक समेत जिलों की सीटों को गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है। पिछली बार कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में यहां से 29 सीटें जीती थी। लेकिन इस बार पायलट की उपेक्षा कांग्रेस को भारी पड़ी है। इसके कारण कांग्रेस को गुर्जर समाज की नाराजगी को झेलना पड़ा। इस विधानसभा चुनाव के नतीजे के आंकड़ों पर नजर डाले तो, इन क्षेत्रों में कांग्रेस की 10 सीटें घटी है। यानी इस बार कांग्रेस को इन क्षेत्रों में 19 सीटें ही हासिल हो पाई। जबकि बीजेपी को गुर्जर समाज का साथ मिलने के बाद 14 सीटों का फायदा हुआ है।
कांग्रेस की हार के पीछे पायलट की उपेक्षा
चुनाव नतीजे के बाद यह साफ हो गया है कि गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र में कांग्रेस की सीटें कम हुई है। पिछली बार कांग्रेस के पास 29 सीटें थी। वर्ष 2018 में पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के बाद से गुर्जर समाज कांग्रेस से नाराज चल रहा था। इसको लेकर चर्चा है कि पायलट की उपेक्षा ही कांग्रेस को भारी पड़ी है। गुर्जर समाज ने इस चुनाव में एक जुट होकर कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी को वोट दिया है।
पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाएं जाने से गुर्जर समाज में रोष
इस चुनाव में गुर्जर समाज में कांग्रेस के प्रति काफी रोष था। गुर्जर समाज का कहना है कि पायलट ने प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस के लिए काफी मेहनत की। लेकिन, वर्ष 2018 में चुनाव परिणाम के बाद उन्हें CM नहीं बनाया गया। उधर, गुर्जर समाज के लोगों ने चुनाव से पहले अलग-अलग बैठकें कीं और कांग्रेस की अपेक्षा बीजेपी को वोट देने का फैसला किया। गुर्जर समाज का कहना है कि सचिन पायलट के खिलाफ जिस तरह के अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया, उसे गुर्जर समाज कैसे सहन कर सकता है?