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क्या यही न्याय है? जयपुर धमाके के आरोपियों को बरी करने पर पीड़ितों का छलका दर्द

jaipur serial blast : राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से जयपुर सीरियल ब्लास्ट केस में चारों आरोपियों को बरी कर देने के मामले को लेकर पीड़ित परिवारों ने दुख जताया है। साल 2019 में निचली अदालत ने आरोपियों को मौत ए सजा सुनाई थी।

Edited byखुशेंद्र तिवारी | पीटीआई 31 Mar 2023, 9:02 am
जयपुर: वर्ष 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में हाई कोर्ट के फैसले को उन लोगों ने सदमा करार दिया है, ज‍िन्‍होंने इन धमाकों में अपने परिजनों को गंवा द‍िया था। वहीं, एक सरकारी वकील ने कहा है क‍ि राज्‍य सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। राजस्थान हाई कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में वर्ष 2019 में निचली अदालत की दी गई मौत की सजा को रद्द करते हुए चारों आरोपियों को बरी कर दिया था। साथ ही हाई कोर्ट ने खराब जांच के लिए भी जांच एजेंसी को फटकार लगाई थी। राजस्थान की राजधानी जयपुर में 13 मई 2008 को सिलसिलेवार हुए आठ बम धमाकों में कम-से-कम 71 लोगों की मौत हुई थी और 180 से अधिक घायल हुए थे।
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हादसे का जिम्मेदार कौन ?

हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद कपड़ा कारोबारी राजेंद्र साहू ने सवाल उठाया, ‘क्या यही न्याय है?। उनका कहना है कि अगर उन्होंने (आरोपियों ने) विस्फोट नहीं किए तो 71 निर्दोष लोगों की हत्या के लिए कौन जिम्मेदार है? जिन्होंने अपनों को खोया। जो आज भी उस दर्द को जी रहे हैं, उनके इस गहरे दर्द का जिम्मेदार कौन है? अगर वे चारों दोषी नहीं थे तो दोषी कौन था? सभी को इसका जवाब चाहिए।’
साहू की पत्नी सुशीला विस्‍फोट के कारण चोटिल हुईं थी। सिर में चोट के कारण वह चार साल तक कोमा में रहीं और 2012 में उनका निधन हो गया था। वह चांदपोल स्थित हनुमान मंदिर में प्रसाद चढ़ाने गई थीं। उन्होंने कहा कि अगर जांच अधिकारी ने निष्पक्ष जांच नहीं की या वे सच तक पहुंचने में नाकाम रहे तो सरकार को उनसे जवाब मांगना चाहिए कि कौन जिम्मेदार है।

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गजेंद्र सिंह राजावत भी भगवान हनुमान के भक्तों में से एक थे जो उस शाम हाथों में प्रसाद लेकर मंदिर में प्रवेश कर रहे थे। तभी जोर का धमाका सुना और वह बेहोश हो गए। धमाकों में बाल-बाल बचे राजावत कहते हैं, ‘मेरे शरीर में 22 छर्रे लगे। मैंने जो दर्द महसूस किया वह आरोपियों के बरी होने के दर्द के सामने समय बौना है।’

राजस्थान के स्पेशल कोर्ट ने 18 दिसंबर 2019 को इस मामले में आरोपी मोहम्मद सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सलमान और सैफुर्रहमान को दोषी माना। जबकि शाहबाज हुसैन को संदेह का लाभ देते हुए दोष मुक्त करार दिया।

नए सिरे से होनी चाहिए जांच

नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने 15 साल जेल में बिताने वाले आरोपियों को मुआवजा देने, धमाकों में मारे गए और घायल हुए लोगों को न्याय दिलाने के लिए मामले की नए सिरे से जांच की मांग की है। NGO पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव ने कहा, ‘बरी किए गए आरोपियों को जेल में बिताए 15 साल के नुकसान की भरपाई की जानी चाहिए, परिवार की मानहानि की भरपाई की जानी चाहिए।’ लगभग 11 साल पहले हुए आठ सिलसिलेवार बम धमाकों ने जयपुर के परकोटे शहर को हिला दिया था। पहला धमाका चांदपोल हनुमान मंदिर और उसके बाद दूसरा सांगानेरी गेट हनुमान मंदिर पर हुआ था। इसके बाद बड़ी चौपड़, जौहरी बाजार, छोटी चौपड़ और तीन अन्य स्थानों पर धमाके हुए थे। बम साइकिल पर टिफिन बॉक्स में रखे गए थे।
लेखक के बारे में
खुशेंद्र तिवारी
नवभारत टाइम्स डिजिटल में राजस्थान के लिए काम करता हूं। पत्रकारिता की शुरुआत प्रिंट माध्यम से की। राजस्थान पत्रिका जयपुर में शिक्षा , कला , एंटरटेनमेंट और पॉजिटिव खबरों को लेकर काम किया। गुलाबी नगरी (जयपुर) का वासी, राजनीति और कला में विशेष रुचि।... और पढ़ें

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