राजस्थान में राजनीति में मचे घमासान ने देशभर में हलचल मचा दी है। जहां अब कांग्रेस की ओर से अब सचिन को उपमुख्यमंत्री और पीसीसी अध्यक्ष पद से हटाया दोनों की पदों से बर्खास्त कर दिया गया है। वहीं अब सभी को सचिन के अगले कदम का इंतजार है। खास बात यह है कि सचिन के पास ऐसे नेताओं का साथ है, जो राजस्थान की राजनीति के दिग्गज माने जाते हैं। साथ ही अपने - अपने क्षेत्र में इन सभी की धाक है। लेकिन फिलहाल सचिन नई पार्टी के गठन के साथ राजस्थान की राजनीति में नया अध्याय लिखेंगे, या फिर बीजेपी ज्वाइन कर प्रदेश की गहलोत सरकार के लिए खतरा बनेंगे, फिलहाल सभी को इस बात का इंतजार है। लेकिन इसी बीच सचिन के समर्थन में उतरे इन लीडर्स के बारे में आपको जानकारी देते हैं , जानिए इनके बारे में सब कुछ
'महाराज' भी सचिन पायलट के साथ
अपने बेबाक अंदाज के कारण हमेशा चर्चा में रहने वाले विश्वेन्द्र सिंह भरतपुर की रॉयल फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। अपनी ही सरकार के खिलाफ कई बार विश्वेन्द्र सिंह बोलते नजर आए हैं। राजस्थान की राजनीति में इन्हें 'महाराज' भी कहा जाता है। वर्तमान गहलोत सरकार में पर्यटन मंत्री का दायित्व संभालने वाले विश्वेन्द्र सिंह 'भरतपुर' जाट समाज में खास पहचान रखते हैं।
इंद्रराज गुर्जर और जी आर खटाना
जयपुर की विराटनगर सीट से आने वाले इंद्रराज गुर्जर ने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता है। सचिन पायलट के बड़े समर्थक के रूप में जाने जाते हैं। वहीं जी.आर. खटाना दौसा की बांदीकुई विधानसभा से आते हैं और सचिन पायलट के समर्थकों में शामिल है।
मुरारी लाल मीना और हरिश मीना
दौसा सीट ने आने वाले मुरारी लाल मीना ने बीएसपी के बाद कांग्रेस का हाथ थामा। वहीं पूर्व गहलोत सरकार में डीजीपी रहे हरिश मीना प्रशासन और ब्यूरोक्रेसी भी धाक रखते हैं। हरिश मीना ने 2014 बीजेपी की सीट से दौसा से चुनाव जीतने वाले मीना ने पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का हाथ थामा था।
राकेश पारीक और मुकेश भाकर
राजस्थान की राजनीति के ये दोनों युवा चेहरे सचिन पायलट के बड़े समर्थकों में गिने जाते हैं। पायलट ने पारीक को सेवादल का प्रेसीडेंट बनाया । वहीं यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष में चुने गए मुकेश भाकर को एसेंबली टिकट दिलवाने में भी सचिन पायलट की बड़ी भूमिका बताई जाती है।
रमेश मीणा और भंवरलाल शर्मा
वर्तमान गहलोत सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री बने रमेण मीणा सचिन पायलट के बड़े समर्थक के रूप में जाने जाते हैं। पिछली विधानसभा में रमेश मीणा उपनेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। तीन बार एमएलए रह चुके मीणा पहली बार बीएसपी ने जीते थे। 2008 में इन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की। इसी तरह भंवरलाल शर्मा की बात करें, तो राजस्थान कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ साथी होने के साथ ही सात बार एमएलए रह चुके हैं, लेकिन एक बार भी मंत्री पद नहीं लिया। राजस्थान के इतिहास में सरकार को बनाने से लेकर गिराने तक में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
हेमाराम चौधरी और दीपेन्द्र सिंह शेखावत
पूर्वी राजस्थान में अपनी खास छवि रखने वाले हेमाराम चौधरी पूर्व गहलोत सरकार में वित्त मंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं। छह बार राजस्थान की बाड़मेर (गढ़ामलानी) सीट से विधायक रह चुके हेमाराम की जाट बाहुल्य इलाकों में खास छवि है। वहीं पिछली गहलोत सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे दीपेन्द्र सिंह शेखावत एंटी- गहलोत टीम का बड़ा नाम है। सीकर की श्रीमाधोपुर सीट से आने वाले शेखावत राजस्थान कांग्रेस से वरिष्ठ नेताओं में बड़ा नाम है।