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सुरों के जोश और जुनून का ऐसा था नजारा, राजस्थानी लोक कलाकारों की RIFF में जुगलबंदी पर कहेंगें, वाह!

जोधपुर की हवाओं में पिछले 5 दिन में राग, साज, सुर ऐसे तैरे की लोग लंबे समय तक उसे भूल नहीं पाएंगे। यहां 6-10 अक्टूबर तक राजस्थान इंटरनैशनल फोक फेस्टिवल का आयोजन किया गया। इस फेस्टिवल में मैक्सिको, वेल्स, आयरलैंड, नीदरलैंड, मॉरिशस, इजराइल, ब्राजील, टर्की समेत भारत से 7 राज्यों से कलाकार पहुंचे।

Reported byकात्यायनी उप्रेती | Edited byअनिल कुमार | नवभारत टाइम्स 9 Oct 2022, 10:09 pm

हाइलाइट्स

  • राजस्थान इंटरनैशनल फोक म्यूजिक फेस्ट में दिखा शानदार फ्यूजन
  • राजस्थान के रंगीले लोक कलाकारों को मंच पर देख लोग मंत्रमुग्ध
  • 6-10 अक्टूबर के इस फेस्ट में विदेश के साथ ही 7 राज्यों के आर्टिस्ट
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नवभारतटाइम्स.कॉम rajasthan news
जोधपुर : ‘हमें संगीत अपनी मिट्टी से मिला है, जो बचपन से हमने संभाला है और अब नई पीढ़ी के हवाले कर रहे हैं। लोक संगीत हमेशा जिंदा रहेगा, क्योंकि इसके सुर पक्के सुर हैं, इसकी धुनें रेगिस्तान से निकली हैं। और संगीत की कोई भाषा नहीं होती… यह हर किसी के दिल में जगह बनाता है, चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में बसा हो।’ यह कहना है राजस्थान के मशहूर लोक गायक पद्मश्री अनवर खान का, जिन्होंने मेहरानगढ़ में अपनी दमदार आवाज के दम पर सुरों के कद्रदानों को कुछ पल में ही बांध दिया। जोधपुर में राजस्थान इंटरनैशनल फोक फेस्टिवल (RIFF) में ऐसे ही कई उस्ताद कलाकारों की शानदार आवाज लोगों के दिलों में उतर रही हैं। कोविड के बाद इस इंटरनैशनल म्यूजिक फेस्ट के 13वीं जश्न के साथ राजस्थान के रंगीले लोक कलाकारों को उनका पसंदीदा मंच वापस मिल गया है। दो साल के ठहराव ने सुरों और जोश दोनों को और गहरा किया है।
'कोरोना के साथ मजदूरी की नौबत मगर अब उम्मीद'
जोधपुर की हवाओं में इन दिनों राग, साज, सुर तैर रहे हैं। 6-10 अक्टूबर के इस फेस्ट में मैक्सिको, वेल्स, आयरलैंड, नीदरलैंड, मॉरिशस, इजराइल, ब्राजील, टर्की समेत भारत से 7 राज्य - राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, मेघालय, हरियाणा, मध्य प्रदेश के 250 कलाकार जोधपुर पधारे हैं। फेस्ट में पहुंचे मांगणियार समुदाय के गायक पद्मश्री लाखा खान ने कई रागों के साथ गहरे सुरों से लोगों की मुलाकात ताजा की। लाखा खान कहते हैं, कोरोना ने कलाकारों को बहुत दर्द दिया। कुछ को उनके जजमानों ने मदद दी, तो कुछ को मजदूरी करनी पड़ी। मगर जब तक संगीत हैं, हमारी सांसें भी रहेंगी। लोक संगीत को बचाए रखने के लिए RIFF जैसे मंच बहुत जरूरी हैं। कलाकारों को मंच मिलेगा तो उनके घर भी चलेंगे और संगीत और निखरकर आएगा। हमें पुराने गानों-धुनों को बचाने के लिए अगली पीढ़ी को सिखाना होगा मगर यह तभी होगा, जब उन्हें भरोसा होगा कि वे लोक कलाकार बनकर भी घर संभाल लेंगे।

मांगणियार की सुरनाई/शहनाई की मधुर धुनें फेस्ट का हिस्सा
फेस्ट का मंच महिला कलाकारों के साथ खासतौर पर सजा है। लोक गायिका गंगा कहती हैं, कोरोना की वजह से दो साल इतने बुरे बीते कि ईटें तक ढोने पड़ी। होटल बंद, टूरिस्ट भी नहीं थे तो प्रोग्राम कहां से होते! उनकी 18 साल की बेटी गंगा कहती है, अब शायद वो दिन वापस आ जाएं, जब सिर्फ रियाज नहीं, स्टेज पर भी हम गाते रहेंगे। जैसलमेर से ही उस्ताद कलाकार पेम्पा खान मांगणियार की सुरनाई/शहनाई की मधुर धुनें भी इस फेस्ट का खास हिस्सा रही। बादलों से ढके आसमान से झांकते चांद की रौशनी में सारंगी, सुरनाई, कमायचा, खड़ताल जैसे लोक वाद्यों के साथ जैसलमेर-बाड़मेर के मांगणियाार और लांगा समुदाय के कलाकारों ने फेस्ट का हर दिन जीत लिया। किले की शानदार चारदीवारी के बीच बने स्टेज में लांगा समुदाय के साजिद, आसीन, जाकिर के ‘साज’ बैंड से निकले सुरों ने संगीत की शाही दावत परोसी। सिंधी सारंगी वादक और गायक आसीन खान लांगा कहते हैं, संगीत हमारी नसों में है। हमारे यहां बच्चा भी होता है तो सुर में रोता है। अपने संगीत को हम पीढ़ी दर पीढ़ी पार कराते जाएंगे। हां! अब हम अपने बच्चों को पढ़ाएंगे भी जरूर, तभी अपनी विरासत बचाए रखने की समझदारी उनमें आएगी। और बदलाव होने चाहिए… नए गीत, नई धुनों के साथ… जो हम कर भी रहे हैं। मगर फोक स्टाइल नहीं खोनी चाहिए , यह बाप-दादा से हमें मिली है, जो दुनिया में अनोखी है।

‘दुनियाभर में फोक म्यूजिक बंधा नहीं है’फेस्ट में पहुंचे फोक म्यूजिशियन गैरथ बोनेलो ‘द जेंटल वुड’ ने लांगा और मेघालय खासी संगीतकारों के साथ खास परफॉर्मेंस दी। वह कहते हैं, फोक म्यूजिक की बड़ी खूबी है उसका खुलापन जो दुनिया के हर कोने में है। इसमें बहने की अपार गुंजाइश है, इसका प्रवाह बंधा नहीं है। सुन सुनकर ही यह एक से दूसरी पीढ़ी तक जा रहा है। वेल्श, राजस्थानी, खासी तीनों तरह के संगीत को एक परफॉर्मेंस में बांधना मजेदार था। हम एक-दूसरे के संगीत को समझ रहे थे, एक दूसरे के साज की पकड़ को पकड़ रहे थे। यह यादगार और सुरीला अनुभव रहा।

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