कोटा : राजस्थान पुलिस (Rajasthan police) के जवान ने इलाज के अभाव में अपनी 6 साल की मासूम बेटी खो दिया। सिस्टम (Rajasthan health system) की लापरवाही और सरकारी ढर्रे की अपनी ड्यूटी ना निभाने का यह बदनुमा चेहरा कोटा में सामने आया है। यहां प्रदेश के कोटा जिले के मंडाना कस्बे की दिल दहलाने वाली घटना हुई है। दरअसल यहां पुलिस कांस्टेबल बनवारी की 6 साल की मासूम बच्ची आरोही प्रजापति को रात को अज्ञात जहरीले जीव ने काट लिया था। इसके बाद बालिका को उल्टी-दस्त की शिकायत हुई, तो पुलिस कांस्टेबल बनवारी पिता बेटी को लेकर मंडाना सीएचसी भागा, लेकिन यहां डॉक्टर के अभाव में पुलिस जवान पिता ने अंधियारी रात में हाथों में ही अपनी नन्ही परी आरोही को खो दिया। मिली जानकारी के अनुसार पुलिस जवान मंडाना निवासी है , साथ ही फिलहाल रामगंजमंडी थाने कार्यरत है। पुलिस जवान बनवारी एक दिन पहले ही छुट्टी पर घर मिलने आया था, इसी दौरान उस पर यह दुखों का पहाड़ टूट गया।
कंपाउडर ने डॉक्टर को किया कॉल, फोन पर दिया गया इलाज
मिली जानकारी के अनुसार जब पुलिस जवान बनवारी मासूम बेटी को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा, तब उसे यहां 7 डॉक्टरों की जगह 2 डॉक्टर मिले। वहीं इसके बाद
यहां कम्पाउडर ने डॉक्टर कलवार को फोन पर मरीज की जानकारी दी। डॉक्टर ने मोबाइल पर ट्रीटमेंट बताया, उसके आधार पर कंपाउंडर ने दवा गोली देकर बच्ची संग पिता को घर भेज दिया। बच्ची को दवा खिलाने के बाद तकलीफ और ज्यादा बढ़ी,तो परिजन बच्ची को लेकर 30 किलोमीटर कोटा के निजी अस्पताल में गए दौड़े, लेकिन यहां डॉक्टर ने बच्ची आरोही को मृत घोषित कर दिया। बेटी की मौत की खबर सुन परिजनों का बुरा हाल हो गया। पुलिस जवान की बेटी उसके हाथों में ही संसार छोड़ कर चली गई।
सीएचसी में अव्यवस्थाओं को लेकर रोष
सीएचसी में अव्यवस्थाओं को लेकर परिजनों में गुस्सा है। परिजनों ने कहना है कि डॉक्टर अस्पताल आकर बच्ची का उपचार कर देते, या समय पर कोटा रैफर कर देते, तो बच्ची की जान बच जाती। उनका कहना है कि शासन, प्रशासन और डॉक्टरों की अनदेखी के चलते कई रोगी मंडाना सीएचसी में जान गंवा चुके हैं। मंडाना क्षेत्र में करीब 100 गांवों के मरीज सीएचसी में उपचार के लिए निर्भर है। यहां हर दिन 300 से 350 का आउटडोर रहता हैं। 7 डॉक्टरों की ड्यूटी इस सीएचसी में है, लेकिन यहां पर मात्र 2 डॉक्टर के भरोसे 24 घंटे अस्पताल चल रहा है, जबकि राज्य सरकार निरोगी राजस्थान जैसे बैनरों के जरिए प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य को लेकर बड़े बड़े दावे कर रही है।
जिला कलेक्टर को कर चुके सूचित , लेकिन नतीजा ढाक के तीन पातमनाना क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि मंडाना सीएचसी में 2 डॉक्टर को छोड़कर बाकी डॉक्टर डेपुटेशन पर दूसरी जगह लगे हुए हैं। एक डॉक्टर बिना सूचना के लंबे समय से नदारद है, इसके बावजूद यहां प्रशासन गहरी नींद में सोया हुआ है। लोगों ने बताया कि एक सप्ताह पहले जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा को जन सुनवाई में समस्या से अवगत करवाया था, लेकिन ढाक के तीन पात रवैये के चलते आज यहां एक बच्ची ने इलाज के अभाव में अपनी जान गवा दी।
कंपाउडर ने डॉक्टर को किया कॉल, फोन पर दिया गया इलाज
मिली जानकारी के अनुसार जब पुलिस जवान बनवारी मासूम बेटी को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा, तब उसे यहां 7 डॉक्टरों की जगह 2 डॉक्टर मिले। वहीं इसके बाद
यहां कम्पाउडर ने डॉक्टर कलवार को फोन पर मरीज की जानकारी दी। डॉक्टर ने मोबाइल पर ट्रीटमेंट बताया, उसके आधार पर कंपाउंडर ने दवा गोली देकर बच्ची संग पिता को घर भेज दिया। बच्ची को दवा खिलाने के बाद तकलीफ और ज्यादा बढ़ी,तो परिजन बच्ची को लेकर 30 किलोमीटर कोटा के निजी अस्पताल में गए दौड़े, लेकिन यहां डॉक्टर ने बच्ची आरोही को मृत घोषित कर दिया। बेटी की मौत की खबर सुन परिजनों का बुरा हाल हो गया। पुलिस जवान की बेटी उसके हाथों में ही संसार छोड़ कर चली गई।
सीएचसी में अव्यवस्थाओं को लेकर रोष
सीएचसी में अव्यवस्थाओं को लेकर परिजनों में गुस्सा है। परिजनों ने कहना है कि डॉक्टर अस्पताल आकर बच्ची का उपचार कर देते, या समय पर कोटा रैफर कर देते, तो बच्ची की जान बच जाती। उनका कहना है कि शासन, प्रशासन और डॉक्टरों की अनदेखी के चलते कई रोगी मंडाना सीएचसी में जान गंवा चुके हैं। मंडाना क्षेत्र में करीब 100 गांवों के मरीज सीएचसी में उपचार के लिए निर्भर है। यहां हर दिन 300 से 350 का आउटडोर रहता हैं। 7 डॉक्टरों की ड्यूटी इस सीएचसी में है, लेकिन यहां पर मात्र 2 डॉक्टर के भरोसे 24 घंटे अस्पताल चल रहा है, जबकि राज्य सरकार निरोगी राजस्थान जैसे बैनरों के जरिए प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य को लेकर बड़े बड़े दावे कर रही है।
जिला कलेक्टर को कर चुके सूचित , लेकिन नतीजा ढाक के तीन पातमनाना क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि मंडाना सीएचसी में 2 डॉक्टर को छोड़कर बाकी डॉक्टर डेपुटेशन पर दूसरी जगह लगे हुए हैं। एक डॉक्टर बिना सूचना के लंबे समय से नदारद है, इसके बावजूद यहां प्रशासन गहरी नींद में सोया हुआ है। लोगों ने बताया कि एक सप्ताह पहले जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा को जन सुनवाई में समस्या से अवगत करवाया था, लेकिन ढाक के तीन पात रवैये के चलते आज यहां एक बच्ची ने इलाज के अभाव में अपनी जान गवा दी।