कोटा, अर्जुन अरविंद
देश में बाघ संरक्षण को लेकर राजस्थान अपने कदम लगातार आगे बढा रहा हैं। सोमवार का दिन प्रदेश के लिए टाइगर कंजर्वेशन को लेकर बडा दिन रहा। प्रदेश को नया चौथा टाइगर रिजर्व बूंदी रामगढ़ विषधारी सेंचुरी के रूप मिला। रामगढ सेंचुरी को टाइगर रिजर्व की मंजूरी एनटीसीए ने सोमवार को वर्चुअल टेक्निकल कमेटी की मीटिंग में दे दी हैं। वहीं रामगढ के टाइगर रिजर्व बन जाने पर हाडौती अंचल को मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के बाद दूसरा टाइगर रिजर्व मिला हैं। ऐसे में हाडौती संभाग के जंगलों में बाघों की दहाड रियासतकालीन समय की तरह फिर से सुनाई देगी। रामगढ सेंचुरी रियासतकाल से बाघों का "जच्चा" घर कहलाता था। यहां रणथंबोर टाइगर रिजर्व से बाघों का आना जाना लगातार रहता है।
अब नोटिफिकेशन का इंतजार
एनटीसीए की टाइगर रिजर्व की मंजूरी के बाद प्रदेश के चौथे टाइगर रिजर्व को नोटिफिकेशन का इंतजार रह गया है। इसे राज्य सरकार जारी करेगी। उसके बाद टाइगर रिजर्व के टाइगर इंट्रोडक्शन व कजंर्वेशन प्लान तैयार होंगे। रामगढ सेंचुरी फिलहाल कोटा वन्यजीव मंडल के अधीन है, भविष्य में टाइगर रिजर्व के लिए फिल्ड डायरेक्टर, सीसीएफ, एसीएफ, रेंजर व वनरक्षकों के पद सृजित होंगे। रामगढ टाइगर रिजर्व का प्रस्तावित क्षेत्रफल का प्लान 1057.22 वर्ग किलोमीटर का हैं। 306.57 वर्ग किलोमीटर का कोर एरिया है और 750.65 वर्ग किलोमीटर का बफर जोन हैं। फिलहाल इस टाइगर रिजर्व में रणथंभौर से निकलकर आया टी-115 बाघ विचरण कर रहा हैं।
यहां बसे 8 गांव, होंगे विस्थापित
बता दें , बूंदी वन मंडल की तीन रेंज डाबी, हिंडौली, बूंदी शामिल की है, तो भीलवाडा जिले के दो वन खंड भी रामगढ टाइगर रिजर्व में शामिल किया गया हैं। यह प्रस्ताव राज्य सरकार ने एनटीसीए को मई अंत में भेजा था। इसे तकनीकी सैंद्वांतिक स्वीकृत एनटीसीए ने सोमवार को दे दी। रणथंभौर, सरिस्का, मुकंदरा के बाद बने चौथे रामगढ टाइगर रिजर्व में 8 गांव बसे हुए हैं। भविष्य में इन्हें विस्थापित किया जाएगा। इन गांवों में करीब 1 हजार मकान व 4500 के करीब आबादी हैं। मुकंदरा टाइगर रिजर्व की स्थापना साल 2013 में हुई थी। उसके 8 साल बाद रामगढ को टाइगर रिजर्व को मंजूरी मिली। इसकी पुष्टि चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन एमएल मीणा ने की हैं। टाइगर एक्सपर्ट व रिटायर्ड डीसीएफ दौलत सिंह शक्तावत के मुताबिक प्रदेश में सबसे पहले सवाईमाधोपुर का रणथंबोर टाइगर रिजर्व साल 1973 और अलवर का सरिस्का टाइगर रिजर्व 1979 में स्थापित हुए।
मुकंदरा में बाघ-बाघिन नहीं पहले शिफ्ट होंगे बाघों के लिए प्रे-बेस बढाने के रूप में चीतल वन्यजीव
हाडौती के पहले, प्रदेश के तीसरे टाइगर रिजर्व मुकंदरा में साल 2020 में एक के बाद एक बाघ-बाघिन की मौत, उनके गायब होने से मायूस वन्यजीव प्रेमी यहां सरकार से नए बाघ-बाघिन बसाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन एनटीसीए की सोमवार को हुई वर्चुअल टेक्निकल कमेटी की मीटिंग में बाघ-बाघिनों की शिफ्टिंग से ज्यादा बाघों के लिए मुकंदरा में प्रे-बेस के रूप में चीतल लाकर शिफ्ट किए जाने पर जोर-शोर से चर्चा हुई। इस संबंध में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन मोहनलाल मीणा ने एनबीटी को बताया कि एनटीसीए की टेक्निकल कमेटी की मीटिंग में कोई जिसमें एनटीसीए ने मुकंदरा में भरतपुर घना पक्षी विहार से 500 चीतल लाकर छोडने को मंजूरी दी हैं। ऐसे में जल्द ही घना से मुकंदरा में चीतल लाए जाएंगे।
मुकंदरा में भी नए बाघ-बाघिन को लेकर एनटीसीए से मांगा अप्रूवल
मीणा ने कहा कि मुकंदरा में बाघ-बाघिन शिफ्ट करने के प्रस्ताव एनटीसीए को भेजे हुए हैं। एनटीसीए ने कुछ सवाल मुकंदरा को लेकर उठाए हैं। ऐसे में एनटीसीए से आग्रह किया गया है कि वह अपनी टीम मुकंदरा भेजें, यहां के डवलपमेंट को वह देखें।
मुकंदरा प्रशासन के द्वारा टाइगर रिजर्व में 500 चीतल छोडने के बाद एनटीसीए की टीम कोटा आकर मुकंदरा का दौरा करेगी। उसके बाद ही मुकंदरा में नए बाघ-बाघिनों को शिफ्ट करने की एनटीसीए अप्रूवल देगा। तब ही यहां मुकंदरा में नए बाघ-बाघिन छोडें जाएंगे।
प्रे-बेस विकसित करने पर फोकस
इधर, मीटिंग में शामिल रहे मुकंदरा टाइगर रिजर्व फील्ड डायरेक्टर व सीसीएफ सेडूराम यादव ने एनबीटी को बताया कि एनटीसीए ने मुकंदरा में फिलहाल 500 चीतल लाने की मंजूरी दी हैं। मुकंदरा इस काम को जल्द अंजाम देगा। सेल्जर व दरा वनक्षेत्र में चीतल छोड जाएंगे। इस काम में कुछ वक्त लगेगा। इन दोनों वनक्षेत्र में वन विभाग ने साल 2017-18 में 700 के करीब चीतल बाहर से लाकर छोडे थे। मुकंदरा में फिलहाल एमटी-4 बाघिन हैं, जो टाइगर रिजर्व की एक मात्र बाघिन हैं। वहीं 150 चीतल प्रदेश के चौथे टाइगर रिजर्व रामगढ में छोडे जाएंगे। ताकि नए टाइगर रिजर्व में भी बाघों के लिए अच्छा प्रे-बेस विकसित हो सकें।
4000 के करीब चीतल है घना मेंएनटीसीए के प्रतिनिधि टाइगर एक्सपर्ट रिटायर्ड डीसीएफ दौलत सिंह शक्तावत ने एनबीटी को बताया कि मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघों के लिए प्रवेश बढ़ाना चाहिए और यहां पर ज्यादा से ज्यादा चीतल सांभर छोड़े जाने चाहिए। घना से मुकुंदरा में चीतल छोड़ने की एनटीसीए ने मंजूरी दी है। ऐसे में घना पक्षी विहार में चीतल की काफी ज्यादा तादाद है। करीब 4000 चीतल वहां मौजूद हैं। ऐसे में मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में ज्यादा से ज्यादा चीतल लाकर छोड़े जाने चाहिए, क्योंकि मध्यप्रदेश में टाइगर रिजर्व में प्राकृतिक रूप से बड़ी तादाद में चीतल शिफ्ट की गए हैं।
देश में बाघ संरक्षण को लेकर राजस्थान अपने कदम लगातार आगे बढा रहा हैं। सोमवार का दिन प्रदेश के लिए टाइगर कंजर्वेशन को लेकर बडा दिन रहा। प्रदेश को नया चौथा टाइगर रिजर्व बूंदी रामगढ़ विषधारी सेंचुरी के रूप मिला। रामगढ सेंचुरी को टाइगर रिजर्व की मंजूरी एनटीसीए ने सोमवार को वर्चुअल टेक्निकल कमेटी की मीटिंग में दे दी हैं। वहीं रामगढ के टाइगर रिजर्व बन जाने पर हाडौती अंचल को मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के बाद दूसरा टाइगर रिजर्व मिला हैं। ऐसे में हाडौती संभाग के जंगलों में बाघों की दहाड रियासतकालीन समय की तरह फिर से सुनाई देगी। रामगढ सेंचुरी रियासतकाल से बाघों का "जच्चा" घर कहलाता था। यहां रणथंबोर टाइगर रिजर्व से बाघों का आना जाना लगातार रहता है।
अब नोटिफिकेशन का इंतजार
एनटीसीए की टाइगर रिजर्व की मंजूरी के बाद प्रदेश के चौथे टाइगर रिजर्व को नोटिफिकेशन का इंतजार रह गया है। इसे राज्य सरकार जारी करेगी। उसके बाद टाइगर रिजर्व के टाइगर इंट्रोडक्शन व कजंर्वेशन प्लान तैयार होंगे। रामगढ सेंचुरी फिलहाल कोटा वन्यजीव मंडल के अधीन है, भविष्य में टाइगर रिजर्व के लिए फिल्ड डायरेक्टर, सीसीएफ, एसीएफ, रेंजर व वनरक्षकों के पद सृजित होंगे। रामगढ टाइगर रिजर्व का प्रस्तावित क्षेत्रफल का प्लान 1057.22 वर्ग किलोमीटर का हैं। 306.57 वर्ग किलोमीटर का कोर एरिया है और 750.65 वर्ग किलोमीटर का बफर जोन हैं। फिलहाल इस टाइगर रिजर्व में रणथंभौर से निकलकर आया टी-115 बाघ विचरण कर रहा हैं।
यहां बसे 8 गांव, होंगे विस्थापित
बता दें , बूंदी वन मंडल की तीन रेंज डाबी, हिंडौली, बूंदी शामिल की है, तो भीलवाडा जिले के दो वन खंड भी रामगढ टाइगर रिजर्व में शामिल किया गया हैं। यह प्रस्ताव राज्य सरकार ने एनटीसीए को मई अंत में भेजा था। इसे तकनीकी सैंद्वांतिक स्वीकृत एनटीसीए ने सोमवार को दे दी। रणथंभौर, सरिस्का, मुकंदरा के बाद बने चौथे रामगढ टाइगर रिजर्व में 8 गांव बसे हुए हैं। भविष्य में इन्हें विस्थापित किया जाएगा। इन गांवों में करीब 1 हजार मकान व 4500 के करीब आबादी हैं। मुकंदरा टाइगर रिजर्व की स्थापना साल 2013 में हुई थी। उसके 8 साल बाद रामगढ को टाइगर रिजर्व को मंजूरी मिली। इसकी पुष्टि चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन एमएल मीणा ने की हैं। टाइगर एक्सपर्ट व रिटायर्ड डीसीएफ दौलत सिंह शक्तावत के मुताबिक प्रदेश में सबसे पहले सवाईमाधोपुर का रणथंबोर टाइगर रिजर्व साल 1973 और अलवर का सरिस्का टाइगर रिजर्व 1979 में स्थापित हुए।
मुकंदरा में बाघ-बाघिन नहीं पहले शिफ्ट होंगे बाघों के लिए प्रे-बेस बढाने के रूप में चीतल वन्यजीव
हाडौती के पहले, प्रदेश के तीसरे टाइगर रिजर्व मुकंदरा में साल 2020 में एक के बाद एक बाघ-बाघिन की मौत, उनके गायब होने से मायूस वन्यजीव प्रेमी यहां सरकार से नए बाघ-बाघिन बसाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन एनटीसीए की सोमवार को हुई वर्चुअल टेक्निकल कमेटी की मीटिंग में बाघ-बाघिनों की शिफ्टिंग से ज्यादा बाघों के लिए मुकंदरा में प्रे-बेस के रूप में चीतल लाकर शिफ्ट किए जाने पर जोर-शोर से चर्चा हुई। इस संबंध में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन मोहनलाल मीणा ने एनबीटी को बताया कि एनटीसीए की टेक्निकल कमेटी की मीटिंग में कोई जिसमें एनटीसीए ने मुकंदरा में भरतपुर घना पक्षी विहार से 500 चीतल लाकर छोडने को मंजूरी दी हैं। ऐसे में जल्द ही घना से मुकंदरा में चीतल लाए जाएंगे।
मुकंदरा में भी नए बाघ-बाघिन को लेकर एनटीसीए से मांगा अप्रूवल
मीणा ने कहा कि मुकंदरा में बाघ-बाघिन शिफ्ट करने के प्रस्ताव एनटीसीए को भेजे हुए हैं। एनटीसीए ने कुछ सवाल मुकंदरा को लेकर उठाए हैं। ऐसे में एनटीसीए से आग्रह किया गया है कि वह अपनी टीम मुकंदरा भेजें, यहां के डवलपमेंट को वह देखें।
मुकंदरा प्रशासन के द्वारा टाइगर रिजर्व में 500 चीतल छोडने के बाद एनटीसीए की टीम कोटा आकर मुकंदरा का दौरा करेगी। उसके बाद ही मुकंदरा में नए बाघ-बाघिनों को शिफ्ट करने की एनटीसीए अप्रूवल देगा। तब ही यहां मुकंदरा में नए बाघ-बाघिन छोडें जाएंगे।
प्रे-बेस विकसित करने पर फोकस
इधर, मीटिंग में शामिल रहे मुकंदरा टाइगर रिजर्व फील्ड डायरेक्टर व सीसीएफ सेडूराम यादव ने एनबीटी को बताया कि एनटीसीए ने मुकंदरा में फिलहाल 500 चीतल लाने की मंजूरी दी हैं। मुकंदरा इस काम को जल्द अंजाम देगा। सेल्जर व दरा वनक्षेत्र में चीतल छोड जाएंगे। इस काम में कुछ वक्त लगेगा। इन दोनों वनक्षेत्र में वन विभाग ने साल 2017-18 में 700 के करीब चीतल बाहर से लाकर छोडे थे। मुकंदरा में फिलहाल एमटी-4 बाघिन हैं, जो टाइगर रिजर्व की एक मात्र बाघिन हैं। वहीं 150 चीतल प्रदेश के चौथे टाइगर रिजर्व रामगढ में छोडे जाएंगे। ताकि नए टाइगर रिजर्व में भी बाघों के लिए अच्छा प्रे-बेस विकसित हो सकें।
4000 के करीब चीतल है घना मेंएनटीसीए के प्रतिनिधि टाइगर एक्सपर्ट रिटायर्ड डीसीएफ दौलत सिंह शक्तावत ने एनबीटी को बताया कि मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघों के लिए प्रवेश बढ़ाना चाहिए और यहां पर ज्यादा से ज्यादा चीतल सांभर छोड़े जाने चाहिए। घना से मुकुंदरा में चीतल छोड़ने की एनटीसीए ने मंजूरी दी है। ऐसे में घना पक्षी विहार में चीतल की काफी ज्यादा तादाद है। करीब 4000 चीतल वहां मौजूद हैं। ऐसे में मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में ज्यादा से ज्यादा चीतल लाकर छोड़े जाने चाहिए, क्योंकि मध्यप्रदेश में टाइगर रिजर्व में प्राकृतिक रूप से बड़ी तादाद में चीतल शिफ्ट की गए हैं।