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एक ही परिसर में दरगाह और मंदिर, साथ पूजा करते हैं हिंदू और मुस्लिम

अलवर में धर्मस्थल सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है, जहां एक ही परिसर में दो समुदायों के लोग अपने-अपने तरीके से पूजा-अर्चना करते हैं। इस धर्मस्थल में एक तरफ सैयद दरबार की मजार है तो दूसरी तरफ संकटमोचन वीर हनुमान मंदिर है, दोनों को एक दीवार से अलग किया गया है।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 27 Apr 2017, 12:59 pm
शोएब खान, अलवर
नवभारतटाइम्स.कॉम here hindus muslims pray under same roof
एक ही परिसर में दरगाह और मंदिर, साथ पूजा करते हैं हिंदू और मुस्लिम

हाल में गाय ले जा रहे पहलू खान की हत्या की खबर से पहले अगर आपने राजस्थान के अलवर जिले का नाम नहीं सुना था तो जरूर आपके मन में इस जिले को लेकर सांप्रदायिक तनाव की तस्वीर उभरेगी। लेकिन इस जगह को जानने वाले लोग आपको बताएंगे कि अलवर ऐसा नहीं है। अलवर को बेहतर समझने के लिए आपको मोती डूंगरी की पहाड़ी पर स्थित पवित्र धर्मस्थल पर जाना चाहिए।

यह पवित्र धर्मस्थल सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है, जहां एक ही परिसर में दो समुदायों के लोग अपने-अपने तरीके से पूजा-अर्चना करते हैं। इस धर्मस्थल में एक तरफ सैयद दरबार की मजार है तो दूसरी तरफ संकटमोचन वीर हनुमान मंदिर है, दोनों को एक दीवार से अलग किया गया है। दो धर्मों के धर्मस्थलों का एक ही परिसर में होना यह बताता है कि सदियों से हिंदुत्व और इस्लाम साथ-साथ चले हैं।

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हर गुरुवार को यहां माइक्रोफोन और लाउडस्पीकरों के साथ भजन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ढोलक-हारमोनियम अल्लाह की इबादत के लिए कव्वालों को दी जाती हैं। परिसर में भगवा और हरे रंग के झंडे लहराते दिखाई देते हैं। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि महाआरती के वक्त कपूर और घी के दीयों की खुशबू दरगाह में रोशनी की रस्म की खुशबू में घुल जाती है और अलग की आनंद देती है।

इस परिसर में मंदिर के गेट से प्रवेश होता है। श्रद्धालु पहले मंदर में हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हैं, टीका लगवाते हैं। इसके बाद वे आगे बढ़ते हैं और दरगाह पहुंचते हैं। दरगाह में श्रद्धालु अपना सिर ढकते हैं और झुककर मजार को चूमते हैं। मंदिर और दरगाह दोनों के लिए एक ही थाली में प्रसाद आता है। 51 वर्षीय महंत नवल बाबा इस अनोखे धार्मिक स्थल की देखरेख करते हैं। जब लोग दरगाह और मंदिर के साथ-साथ होने पर हैरान होते हैं तो वह आपत्ति जताते हैं। वह कहते हैं, 'मंदिर और दरगाह हमें एक ही मार्ग पर ले जाते हैं, तो दोनों के साथ होने में क्या परेशानी है?'

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