बूंदी, अर्जुन अरविंद
राजस्थान प्रदेश में वैश्विक महामारी कोरोना का संक्रमण को और ज्यादा फैलाने में नगर निकाय संस्थाएं काम कर रही है। इसकी एक बानगी राजस्थान के बूंदी जिले में मंगलवार को सामने आई है। जिला बूंदी के जिला अस्पताल में भर्ती लंका गेट निवासी एक 54 वर्षीय कोरोना संक्रमित रोगी की इलाज के दौरान मौत हुई थी। उसके बाद जो हुआ उसने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया। दरअसल कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत मृतक के शव का दाह संस्कार होना था। लेकिन जिम्मेदार नगर परिषद प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। उसकी लापरवाही के चलते संक्रमित शव का दाह संस्कार पीड़ित परिवार की महिलाओं-पुरुषों के द्वारा बिना पीपीई किट पहनकर किया गया। अब संक्रमित शव का अंतिम संस्कार करने से मृतक के परिजनों में भी संक्रमण फैलने का अंदेशा है।
व्यवस्थाओं पर खड़ा हुआ सवाल
बताया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण से अधेड़ व्यक्ति की मौत होने और उसके शव को चिकित्सा प्रशासन द्वारा कोविड गाइडलाइंस की पालना नहीं करके सीधे उसके परिजनों को दिया गया था। इतना ही नहीं इस मामले में नगर परिषद की घोर अकर्मण्यता सामने आई है। नगर परिषद कर्मचारियों ने राज्य सरकार के निर्देश के बावजूद शव का दाह संस्कार नहीं किया। वह काम भी मृतक के घर की महिलाओं को करना पड़ा। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना ने चिकित्सा एवं नगर परिषद प्रशासन की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा किया हैं।
महिला सभापति होने के बावजूद ऐसी घटना घटी
इस मामले में बूंदी विधायक अशोक डोगरा का कहना है कि नगरपरिषद प्रशासन शहर में व्यवस्था व चिकित्सा प्रशासन से तालमेल बैठने में नाकाम नजर आया। डोगरा ने कहा कि महिला सभापति के राज में नगरपरिषद क्षेत्र में आज जो ह्रदय विदारक घटना हुई , वह मानवता को शर्मसार करने वाली है। खुद पीड़ित परिवार की महिलाओं को दाह- संस्कार करना पड़ा। भाजपा जिला प्रवक्ता मनीष पाटनी ने बताया कि बूंदी निवासी संपत लालगुर्जर की कोरोना के चलते मृत्यु हो गयी थी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि चिकित्सा प्रशासन ने मृतक के शव को नगरपरिषद की टीम को नहीं सौंपा, सीधे परिजनों को दे दिया। जबकि कोरोना प्रोटोकॉल के तहत कोरोना से मृतक व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार नगरपरिषद की टीम द्वारा किया जाना था। परंतु नगरपरिषद ने भारी लापरवाही बरते हुए वहां कोई उपस्थित नहीं था। एम्बुलेंस भी चिकित्सालय से काफी दूर भूरा गणेश पर खड़ी करवा रखी है। एक और जहां कोरोना के संक्रमण तेजी से फैल रहा है। वही बूंदी का चिकित्सा व नगरपरिषद प्रशासन कोविड गाइड लाइन को भूल रहा है। यहां आपदा अधिनियम का भारी उल्लंघन कर रहा है ।
परिवार करता रहा नगरपरिषद टीम का इंतजार, थक-हारकर खुद किया अंतिम संस्कार
नगरपरिषद में विपक्ष के नेता मुकेश माधवानी ने आक्रोशित होते हुए सभापति पर आरोप लगाए। माधवानी ने कहा कि वे कोरोना प्रबंधन से लेकर सभी मोर्चो पर पूरी तरह असफल रही है। उनकी मानवीय संवेदनाये पूरी तरह खत्म हो चुकी है। कोरोना मरीज के महिला परिजनों को स्वयं शव का दाह संस्कार करना पड़ा । काफी समय परिजनों ने चिकित्सालय व मुक्ति धाम इंतजार किया गया। नगरपरिषद के द्वारा गठित टीम के लोग आ जाये , तो दाह संस्कार हो परन्तु कोई नहीं आया तो शव का महिलाओं ने ही अंतिम संस्कार किया । माधवानी ने इस घटना की कड़े शब्दों में निदा की व जिम्मेदार कार्मिकों के प्रति कोविड नियमानुसार कार्यवाही की मांग की है ।
नगर परिषद प्रशासन ने पेश की सफाई उधर नगर परिषद प्रशासन का कहना है कि उक्त मामले में परिवारजन मृतक को पैतृक गांव रामगंज बालाजी ले जाना चाहते थे, जिसके कारण सूचना तंत्र गड़बड़ा गया। जिस कारण समय पर नगर परिषद को सूचना नहीं मिल पाई। इस कारण नगर परिषद एवं परिजनों का समन्वय नहीं बैठ सका। गांव में दाह संस्कार की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती है। लेकिन वहां लकड़ियों की व्यवस्था नहीं होने के कारण परिवारजन मृतक संपतलाल गुर्जर को वापस बूंदी ले आए। समन्वय नहीं होने के कारण नगर परिषद टीम मौके पर देरी से पहुंची। इससे पूर्व ही परिवार जन मृतक का अंतिम संस्कार कर चुके थे।
राजस्थान प्रदेश में वैश्विक महामारी कोरोना का संक्रमण को और ज्यादा फैलाने में नगर निकाय संस्थाएं काम कर रही है। इसकी एक बानगी राजस्थान के बूंदी जिले में मंगलवार को सामने आई है। जिला बूंदी के जिला अस्पताल में भर्ती लंका गेट निवासी एक 54 वर्षीय कोरोना संक्रमित रोगी की इलाज के दौरान मौत हुई थी। उसके बाद जो हुआ उसने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया। दरअसल कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत मृतक के शव का दाह संस्कार होना था। लेकिन जिम्मेदार नगर परिषद प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। उसकी लापरवाही के चलते संक्रमित शव का दाह संस्कार पीड़ित परिवार की महिलाओं-पुरुषों के द्वारा बिना पीपीई किट पहनकर किया गया। अब संक्रमित शव का अंतिम संस्कार करने से मृतक के परिजनों में भी संक्रमण फैलने का अंदेशा है।
व्यवस्थाओं पर खड़ा हुआ सवाल
बताया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण से अधेड़ व्यक्ति की मौत होने और उसके शव को चिकित्सा प्रशासन द्वारा कोविड गाइडलाइंस की पालना नहीं करके सीधे उसके परिजनों को दिया गया था। इतना ही नहीं इस मामले में नगर परिषद की घोर अकर्मण्यता सामने आई है। नगर परिषद कर्मचारियों ने राज्य सरकार के निर्देश के बावजूद शव का दाह संस्कार नहीं किया। वह काम भी मृतक के घर की महिलाओं को करना पड़ा। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना ने चिकित्सा एवं नगर परिषद प्रशासन की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा किया हैं।
महिला सभापति होने के बावजूद ऐसी घटना घटी
इस मामले में बूंदी विधायक अशोक डोगरा का कहना है कि नगरपरिषद प्रशासन शहर में व्यवस्था व चिकित्सा प्रशासन से तालमेल बैठने में नाकाम नजर आया। डोगरा ने कहा कि महिला सभापति के राज में नगरपरिषद क्षेत्र में आज जो ह्रदय विदारक घटना हुई , वह मानवता को शर्मसार करने वाली है। खुद पीड़ित परिवार की महिलाओं को दाह- संस्कार करना पड़ा। भाजपा जिला प्रवक्ता मनीष पाटनी ने बताया कि बूंदी निवासी संपत लालगुर्जर की कोरोना के चलते मृत्यु हो गयी थी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि चिकित्सा प्रशासन ने मृतक के शव को नगरपरिषद की टीम को नहीं सौंपा, सीधे परिजनों को दे दिया। जबकि कोरोना प्रोटोकॉल के तहत कोरोना से मृतक व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार नगरपरिषद की टीम द्वारा किया जाना था। परंतु नगरपरिषद ने भारी लापरवाही बरते हुए वहां कोई उपस्थित नहीं था। एम्बुलेंस भी चिकित्सालय से काफी दूर भूरा गणेश पर खड़ी करवा रखी है। एक और जहां कोरोना के संक्रमण तेजी से फैल रहा है। वही बूंदी का चिकित्सा व नगरपरिषद प्रशासन कोविड गाइड लाइन को भूल रहा है। यहां आपदा अधिनियम का भारी उल्लंघन कर रहा है ।
परिवार करता रहा नगरपरिषद टीम का इंतजार, थक-हारकर खुद किया अंतिम संस्कार
नगरपरिषद में विपक्ष के नेता मुकेश माधवानी ने आक्रोशित होते हुए सभापति पर आरोप लगाए। माधवानी ने कहा कि वे कोरोना प्रबंधन से लेकर सभी मोर्चो पर पूरी तरह असफल रही है। उनकी मानवीय संवेदनाये पूरी तरह खत्म हो चुकी है। कोरोना मरीज के महिला परिजनों को स्वयं शव का दाह संस्कार करना पड़ा । काफी समय परिजनों ने चिकित्सालय व मुक्ति धाम इंतजार किया गया। नगरपरिषद के द्वारा गठित टीम के लोग आ जाये , तो दाह संस्कार हो परन्तु कोई नहीं आया तो शव का महिलाओं ने ही अंतिम संस्कार किया । माधवानी ने इस घटना की कड़े शब्दों में निदा की व जिम्मेदार कार्मिकों के प्रति कोविड नियमानुसार कार्यवाही की मांग की है ।
नगर परिषद प्रशासन ने पेश की सफाई उधर नगर परिषद प्रशासन का कहना है कि उक्त मामले में परिवारजन मृतक को पैतृक गांव रामगंज बालाजी ले जाना चाहते थे, जिसके कारण सूचना तंत्र गड़बड़ा गया। जिस कारण समय पर नगर परिषद को सूचना नहीं मिल पाई। इस कारण नगर परिषद एवं परिजनों का समन्वय नहीं बैठ सका। गांव में दाह संस्कार की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती है। लेकिन वहां लकड़ियों की व्यवस्था नहीं होने के कारण परिवारजन मृतक संपतलाल गुर्जर को वापस बूंदी ले आए। समन्वय नहीं होने के कारण नगर परिषद टीम मौके पर देरी से पहुंची। इससे पूर्व ही परिवार जन मृतक का अंतिम संस्कार कर चुके थे।