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राजस्थान फिर बिजली संकट की ओर, सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन 10 दिनों से ठप्प, क्या कर रही सरकार?

Srigangaagar News : सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन पिछले 10 दिनों से पूर्ण रूप से ठप्प पड़ा है। इसका कारण राज्य में बिजली खपत कम होना बताया जा रहा है।

Lipi 16 Jan 2022, 4:43 pm
श्रीगंगानगर
नवभारतटाइम्स.कॉम power crisis rajasthan suratgarh super thermal power station closed for 10 days
राजस्थान फिर बिजली संकट की ओर, सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन 10 दिनों से ठप्प, क्या कर रही सरकार?

नए साल में भी सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन की हालत सुधरने की आस फिर धूमिल होती नजर आ रही है। एक बार फिर से 1500 मेगावाट क्षमता का थर्मल पिछले 10 दिनों से पूर्ण रूप से ठप्प पड़ा है। इसका कारण राज्य में बिजली खपत कम होना बताया जा रहा है। उधर मजदूर यूनियन द्वारा थर्मल को जानबूझ कर घाटे में लाये जाने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं।

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250 मेगावाट की प्रथम इकाई को भी बंद कर दिया गया था
जानकारी के अनुसार 5 जनवरी को जयपुर लोड डिस्पैच सेंटर के निर्देश पर विद्युत उत्पादन कर रही एक मात्र 250 मेगावाट की प्रथम इकाई को भी बंद कर दिया गया। जबकि शेष पांच इकाइयां पहले से ही बंद पड़ी थी। सूत्रों की माने तो पिछले दिनों हुई बरसात से प्रदेश में बिजली की मांग में भारी कमी आई है।

इसके कारण ग्रिड फ्रिकवेंसी 50 हर्ट्ज से ज्यादा हो गई थी । इसी को नियंत्रित करने के लिए सूरतगढ़ थर्मल की इकाइयों को बंद करवाया गया है। करीब 6000 करोड रुपए की लागत से स्थापित राज्य की अति महत्वाकांक्षी विद्युत परियोजना की 1500 मेगावाट क्षमता की इकाइयों में पिछले कुछ समय से मात्र 250 मेगावाट की पहली इकाई से ही बिजली उत्पादन हो रहा था। शेष इकाइयां पहले से ही बंद पड़ी हुई हैं । ऐसे में अब थर्मल से विधुत उत्पादन शून्य हो गया है। पूरे प्रदेश को बिजली देने वाला थर्मल खुद नियंत्रण कक्ष सहित अन्य कार्यो का संचालन करने के लिए क्रिटिकल इकाइयों से बिजली ले रहा है।

थर्मल को जानबूझ कर घाटे में लाने के प्रयास
हालांकि 660 660 मेगावाट क्षमता की सातवीं और आठवीं क्रिटिकल इकाइयां करीब 1000 मेगावाट विद्युत उत्पादन कर रही है। विद्युत उत्पादन मजदूर यूनियन इंटक के प्रदेश महामंत्री श्याम सुंदर शर्मा ने पिछले कुछ वर्षों से थर्मल की ज्यादातर इकाइयों को बार-बार लोड डिस्पैच सेंटर की ओर से बंद करवाने पर रोष जताते हुए आरोप लगाया है कि सूरतगढ़ थर्मल को जानबूझकर घाटे में लाने के प्रयास हो रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि थर्मल की इकाइयों को बार-बार बंद करवाने से उपकरणों को तो नुकसान पहुंचता है। वहीं एक इकाई को वापस शुरू करने में 40 से 50 लाख रुपये तक का फ्यूल भी जलता है। इससे उत्पादन निगम पर करोड़ों रुपए का अनावश्यक भार पड़ने के साथ पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ता है।

श्रमिक करने लगे हैं पलायनयह भी पता चला है कि सुरतगढ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुचारू रूप से नहीं चलने से यहां काम कर रहे सैंकड़ो मजदूरों का मन भी ऊबने लग है। साथ ही श्रमिकों ने काम की तलाश में पलायन करना शुरू कर दिया है। पहले प्लांट के सुचारु रूप से चलने के कारण यहां मजदूरों को रोजगार मिल रहा था ,परंतु पिछले कुछ समय से हालत खराब होने से पलायन जारी है।

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