भास्कर नाइक, भटकल
जब हौसला हो बुलंद और इरादे हों फौलादी तो उम्र और कद मायने नहीं रखता। कुछ ऐसी ही मिसाल कायम करते हुए कर्नाटक के ग्रामीण इलाके में एक होनहार ने एक साइकल बनाई है, जो पानी पर चल सकती है।
मोदी सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल के नक्शे-कदम पर चलते हुए पुनीत वेंकटेश ने यह कारनामा कर दिखाया। अब पुनीत अपनी यह साइकल राष्ट्रीय स्तर की विज्ञान प्रदर्शनी में पेश करने जा रहे हैं।
पुनीत भटकल के गवर्नमेंट हायर प्राइमरी स्कूल के छात्र हैं। उन्होंने गांव वालों के सामने अपनी साइकल से नदी पार करके भी दिखाया। पुनीत ने यह अनोखी साइकल चार खाली वाटर कैनों को जोड़कर तैयार की है।
पुनीत को यह साइकल भी सरकार की तरफ से दी गई थी। उन्होंने प्रयोग कर इसे पानी पर चलने लायक बना दिया। इसके निर्माण में जो कैन लगाई गई हैं, उन्हें कसकर बंद किया गया है, जिससे पानी अंदर न घुस सके। नियंत्रण बना रहे, इसके लिए उन्होंने लोहे की रॉड को वेल्डिंग कर लगाया है।
पानी को पीछे फेंकने के लिए आगे के पहिए में चैन पेडल व अल्युमिनियम प्लेट फिट की गई है। बताया गया कि इस साइकल से झीलों आदि में जमा हुए कचरे की सफाई में भी प्रयोग किया जा सकता है।
पुनीत ने बातचीत में बताया कि मैं कुछ अलग सा बनाने की सोच रहा था। मेरे माता-पिता, शिक्षकों ने मेरी बहुत मदद की। मैं स्वच्छ भारत अभियान में भी अपना योगदान देना चाहता था।
पुनीत के शिक्षक चंद्रशेखर डी पाडुवानी ने बताया कि इस साइकल को बनाने में करीब 10 हजार रुपये लगे हैं। अगर हमें स्पॉन्सर्स मिल जाते हैं, तो इसे और सरल व बेहतर बनाने का काम किया जा सकता है।
इस खबर को विजय कर्नाटका में पढ़ने के लिए क्लिक करें।
जब हौसला हो बुलंद और इरादे हों फौलादी तो उम्र और कद मायने नहीं रखता। कुछ ऐसी ही मिसाल कायम करते हुए कर्नाटक के ग्रामीण इलाके में एक होनहार ने एक साइकल बनाई है, जो पानी पर चल सकती है।
मोदी सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल के नक्शे-कदम पर चलते हुए पुनीत वेंकटेश ने यह कारनामा कर दिखाया। अब पुनीत अपनी यह साइकल राष्ट्रीय स्तर की विज्ञान प्रदर्शनी में पेश करने जा रहे हैं।
पुनीत भटकल के गवर्नमेंट हायर प्राइमरी स्कूल के छात्र हैं। उन्होंने गांव वालों के सामने अपनी साइकल से नदी पार करके भी दिखाया। पुनीत ने यह अनोखी साइकल चार खाली वाटर कैनों को जोड़कर तैयार की है।
पुनीत को यह साइकल भी सरकार की तरफ से दी गई थी। उन्होंने प्रयोग कर इसे पानी पर चलने लायक बना दिया। इसके निर्माण में जो कैन लगाई गई हैं, उन्हें कसकर बंद किया गया है, जिससे पानी अंदर न घुस सके। नियंत्रण बना रहे, इसके लिए उन्होंने लोहे की रॉड को वेल्डिंग कर लगाया है।
पानी को पीछे फेंकने के लिए आगे के पहिए में चैन पेडल व अल्युमिनियम प्लेट फिट की गई है। बताया गया कि इस साइकल से झीलों आदि में जमा हुए कचरे की सफाई में भी प्रयोग किया जा सकता है।
पुनीत ने बातचीत में बताया कि मैं कुछ अलग सा बनाने की सोच रहा था। मेरे माता-पिता, शिक्षकों ने मेरी बहुत मदद की। मैं स्वच्छ भारत अभियान में भी अपना योगदान देना चाहता था।
पुनीत के शिक्षक चंद्रशेखर डी पाडुवानी ने बताया कि इस साइकल को बनाने में करीब 10 हजार रुपये लगे हैं। अगर हमें स्पॉन्सर्स मिल जाते हैं, तो इसे और सरल व बेहतर बनाने का काम किया जा सकता है।
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