चेन्नै
एक प्रचलित कहावत है कि बिल्ली की 9 जिंदगियां होती हैं, लेकिन हाल ही में चर्चा में आने वाले चेन्नै के कुत्ते को महज 6 महीने के जीवनकाल में चौथा जीवनदान मिला है। यह वही कुत्ता है, जिसे चेन्नै के 2 मेडिकल छात्रों ने करीब 2 हफ्ते पहले छत से नीचे फेंक दिया था और फिर भी वह बच गया।
मंगलवार रात को पशु कल्याण कार्यकर्ताओं ने इस कुत्ते को खोजा। जीवनदान मिलने के बाद इसका नाम अब 'भद्रा' रख दिया गया है। तमिल में इस शब्द का मतलब 'सुरक्षित' और संस्कृत में 'भाग्यशाली' होता है।
इस कुत्ते को पहला जीवनदान पिछले साल दिसंबर में आई बाढ़ के दौरान मिला था। पैदा होने के बाद भद्रा के साथ के 2 पिल्ले खाई में गिर कर मर गए थे, लेकिन भद्रा अकेली बच गई। हाल ही में भद्रा को तीसरा जीवनदान तब मिला, जब कुछ आवारा कुत्तों ने उस पर हमला किया, जिसके बाद वह बुरी तरह से घायल हो गई थी। हालांकि, गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी वह किसी तरह बच गई।
भद्रा की जांच करने वाले डॉ. जयप्रकाश ने बताया कि जिस तरह से भद्रा को फेंका गया, उससे इस बात के ज्यादा आसार थे कि वह अपने पैरों के सहारे ही गिरे। चूंकि, वह अभी सिर्फ 6 महीने की है, इसलिए उसका शरीर लचीला है। ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रोथ के दौरान हड्डियों में फॉसफॉरस और कैल्शियम की मात्रा कम रहती है। घास में गिरने की वजह से भद्रा को कम नुकसान पहुंचा। हालांकि, भद्रा को 2 फ्रैक्चर आए हैं।
फिलहाल भद्रा पशु अधिकारों के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता जेनिफर जैकब की देखरेख में है। जब तक भद्रा को कोई स्थाई निवास नहीं मिल जाता, तब तक वह जेनिफर की ही देख-रेख में रहेगी। जेनिफर ने बताया, 'कई लोगों ने हमसे भद्रा को गोद लेने के लिए संपर्क किया लेकिन हम पूरी तरह से जांच के बाद ही भद्रा को किसी को सौंपेंगे।'
पुलिस ने जानकारी दी कि भद्रा को छत से फेंकने वाले चेन्नै के माधा मेडिकल कॉलेज के दोनों छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, उन्हें बुधवार को बेल भी मिल गई। पुलिस के मुताबिक, आरोपी गौतम सुदर्शन और आशीष पॉल को उनके माता-पिता ने पुलिस के सामने पेश किया था।
एक प्रचलित कहावत है कि बिल्ली की 9 जिंदगियां होती हैं, लेकिन हाल ही में चर्चा में आने वाले चेन्नै के कुत्ते को महज 6 महीने के जीवनकाल में चौथा जीवनदान मिला है। यह वही कुत्ता है, जिसे चेन्नै के 2 मेडिकल छात्रों ने करीब 2 हफ्ते पहले छत से नीचे फेंक दिया था और फिर भी वह बच गया।
मंगलवार रात को पशु कल्याण कार्यकर्ताओं ने इस कुत्ते को खोजा। जीवनदान मिलने के बाद इसका नाम अब 'भद्रा' रख दिया गया है। तमिल में इस शब्द का मतलब 'सुरक्षित' और संस्कृत में 'भाग्यशाली' होता है।
इस कुत्ते को पहला जीवनदान पिछले साल दिसंबर में आई बाढ़ के दौरान मिला था। पैदा होने के बाद भद्रा के साथ के 2 पिल्ले खाई में गिर कर मर गए थे, लेकिन भद्रा अकेली बच गई। हाल ही में भद्रा को तीसरा जीवनदान तब मिला, जब कुछ आवारा कुत्तों ने उस पर हमला किया, जिसके बाद वह बुरी तरह से घायल हो गई थी। हालांकि, गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी वह किसी तरह बच गई।
भद्रा की जांच करने वाले डॉ. जयप्रकाश ने बताया कि जिस तरह से भद्रा को फेंका गया, उससे इस बात के ज्यादा आसार थे कि वह अपने पैरों के सहारे ही गिरे। चूंकि, वह अभी सिर्फ 6 महीने की है, इसलिए उसका शरीर लचीला है। ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रोथ के दौरान हड्डियों में फॉसफॉरस और कैल्शियम की मात्रा कम रहती है। घास में गिरने की वजह से भद्रा को कम नुकसान पहुंचा। हालांकि, भद्रा को 2 फ्रैक्चर आए हैं।
फिलहाल भद्रा पशु अधिकारों के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता जेनिफर जैकब की देखरेख में है। जब तक भद्रा को कोई स्थाई निवास नहीं मिल जाता, तब तक वह जेनिफर की ही देख-रेख में रहेगी। जेनिफर ने बताया, 'कई लोगों ने हमसे भद्रा को गोद लेने के लिए संपर्क किया लेकिन हम पूरी तरह से जांच के बाद ही भद्रा को किसी को सौंपेंगे।'
पुलिस ने जानकारी दी कि भद्रा को छत से फेंकने वाले चेन्नै के माधा मेडिकल कॉलेज के दोनों छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, उन्हें बुधवार को बेल भी मिल गई। पुलिस के मुताबिक, आरोपी गौतम सुदर्शन और आशीष पॉल को उनके माता-पिता ने पुलिस के सामने पेश किया था।