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'डोसा किंग' के नाम से मशहूर पी राजगोपाल की चेन्नै के अस्पताल में मौत

उम्रकैद की सजा काट रहे 'डोसा किंग' के नाम से मशहूर पी राजगोपाल की मौत हो गई। चेन्नै के एक प्राइवेट अस्पताल में राजगोपाल ने गुरुवार सुबह आखिरी सांस ली। कुछ दिन पहले ही राजगोपाल ने आत्मसमर्पण किया था।

नवभारतटाइम्स.कॉम 18 Jul 2019, 2:25 pm
चेन्नै
नवभारतटाइम्स.कॉम कुछ दिन पहले ही सरेंडर किया था
कुछ दिन पहले ही सरेंडर किया था

उम्रकैद की सजा काट रहे 'डोसा किंग' के नाम से मशहूर पी राजगोपाल की चेन्नै के एक अस्पताल में मौत हो गई। वह एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती थे जहां गुरुवार सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली। सर्वना भवन के संस्थापक पी राजगोपाल ने 9 जुलाई को ही कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था। इस दौरान वह ऐंबुलेंस से कोर्ट पहुंचे थे। राजगोपाल के ऊपर एक कर्मचारी को अगवा करके उसकी हत्या करने का आरोप था। इसके चलते मद्रास हाई कोर्ट ने उन्हें 10 साल की सजा दी थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी इसे चुनौती भी दी थी लेकिन अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश को उम्रकैद में बदल दिया था।

बताया जा रहा है कि आत्मसमर्पण के बाद 13 जुलाई को उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद उन्हें स्टेनली अस्पताल के जेल वॉर्ड में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उन्हें दोबारा हार्ट अटैक आया और परिवार ने प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करने के लिए कोर्ट से अपील की थी। कोर्ट ने राजगोपाल को प्राइवेट अस्पताल में ट्रांसफर करने की अनुमति दे दी थी।

कर्मचारी 'अन्नाची' कहकर बुलाते थे
दक्षिण भारतीय खाने की खास डिशेज वाला सर्वना भवन रेस्तरां भारत से लेकर लेसिस्टर स्क्वायर और सिंगापुर, सिडनी व स्टॉकहॉम तक फैले हैं। बताते हैं कि राजगोपाल अपने स्टाफ के साथ भी बहुत नम्र व्यवहार करते थे और सबसे कम रैंक वाले कर्मचारी को भी हेल्थ इंश्योरेंस जैसी सुविधाएं देते थे। इसी वजह से कर्मचारी उन्हें 'अन्नाची' (बड़ा भाई) कहकर बुलाते थे।

कर्मचारी की बेटी से शादी करना चाहते थे राजगोपाल

ऐसा कहा जाता है कि साल 2000 में राजगोपाल ने एक ज्योतिष की सलाह ली और अपने कर्मचारी की बेटी से शादी करने का फैसला किया। राजगोपाल की नजर कर्मचारी की बेटी पर कई दिनों से थी। एक स्थानीय पत्रकार डी. सुरेश कुमार कहते हैं कि राजगोपाल कर्मचारी की बेटी के लिए जुनूनी थे। वह युवती पहले से शादीशुदा थी और उसने पहले ही राजगोपाल का प्रस्ताव ठुकरा दिया था लेकिन राजगोपाल को ना सुनने की आदत नहीं थी।

सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया फैसलाराजगोपाल महिला, उसके पति और परिवार पर कई महीनों तक धमकी, मारपीट और जादू-टोने से नियंत्रण करने में असफल रहा। 2001 में एक बार नाकाम कोशिश के बाद राजगोपाल के आदेश पर महिला के पति की हत्या कर दी गई। 2004 में राजगोपाल को दोषी पाया गया और उसे 10 साल की सजा सुनाई गई। सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर उसे हत्या का दोषी पाया गया और शीर्ष कोर्ट ने सजा को उम्रकैद में बदल दिया।

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