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अन्नाद्रमुक के पूर्व मंत्रियों पर चलेगा केस, तमिलनाडु सरकार ने CBI को दी मंजूरी, गुटखा घोटाले में रहे थे आरोपी

तमिलनाडु में साल 2017 में सामने आए गुटखा घोटाला मामले में दोषियों पर सीबीआई केस चलाएगी। तमिलनाडु सरकार ने सीबीआई को गुटखा घोटाला मामले में तत्कालीन दोषी रहे मंत्रियों पर मुकदमा चलाने के लिये इजाजत दे दी है। आपको बता दें कि इस मामले में अन्नाद्रमुक के मंत्रियों के साथ ही पुलिस अधिकारी भी दोषी पाए गए थे।

Edited byराघवेंद्र सिंह | टाइम्स न्यूज नेटवर्क 24 Jul 2022, 1:55 pm
चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने सीबीआई को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत गुटखा घोटाला मामले में अन्नाद्रमुक के मंत्रियों पर मुकदमा चलाने के लिये मंजूरी दे दी है। दरअसल इस मामले में सीबीआई (CBI) ने राज्य सरकार से मंजूरी मांगी थी। गुटखा घोटाला (Gutkha Scam) मामले में दो तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार (AIADMK government) में रहे दो पूर्व मंत्रियों बी वी रमना और सी विजयभास्कर सहित नौ लोगों पर मुकदमा चलाया जाएगा। इन लोगों पर कर चोरी करने के मामले में सरकार को राजस्व की हानि पहुंचाने का भी आरोप है। सूत्रों के मुताबिक राज्य के गृह विभाग ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर सेवानिवृत्त डीजीपी एस जॉर्ज और टी के राजेंद्रन के खिलाफ भी इसी अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी देने को कहा है।
नवभारतटाइम्स.कॉम central bureau of investigation
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (फाइल फोटो)


जयललिता सरकार के दौरान सामने आया था घोटाला
गुटखा घोटाला जे जयललिता के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान सामने आया था। उस वक्त रमना और विजयभास्कर ने क्रमशः वाणिज्य कर व पंजीकरण, और स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग संभाल रखे थे। एक अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने 19 जुलाई को सीबीआई को आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय सेवारत और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के लिए सक्षम प्राधिकारी है। ऐसे में सीबीआई दो सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए सीधे मंत्रालय से संपर्क कर सकती थी। दरअसल सीबीआई ने राज्य सरकार को इसलिए माध्यम चुना, क्योंकि घोटाले के वक्त दो अधिकारी चेन्नई शहर के पुलिस आयुक्त के रूप में तमिलनाडु में सेवा कर रहे थे।

क्या था गुटखा घोटाला, जानिए कब क्या हुआ ?
साल 2013 में तमिलनाडु सरकार ने गुटखा, तंबाकू और पान मसाले के बनाने, रखने व बेचने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। यह घोटाला 2016 को तब सामने आया, जब करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी के आरोप में तमिलनाडु के एक पान मसाला और गुटखा निर्माता के गोदाम, कार्यालयों और आवासों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की। आयकर विभाग की जांच में मंत्रियों से लेकर आईपीएस अधिकारियों के नाम भी सामने आए। वहीं इसके बाद साल 2017 में तत्कालीन सीएम एडप्पाडी के पलनीस्वामी ने विधानसभा में भी इस बात को रखा और कहा था कि यह सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय के शक के घेरे में है। इस मामले में डीएमके की ओर से एक याचिका भी हाई कोर्ट में दायर की गई थी। गुटखा घोटाला मामले की जांच कर रही सीबीआई ने 40 ठिकानों पर छापेमारी की थी।

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जॉर्ज 2017 में और राजेंद्रन 2019 में सेवानिवृत्त हुए
गुटखा घोटाले को लेकर जिन पुलिस अधिकारियों पर आरोप लगा है उनमें डीजीपी एस जॉर्ज और टी के राजेंद्रन का नाम शामिल है। इनमें से जॉर्ज साल 2017 में और राजेंद्रन 2019 में रिटायर हुए। वहीं घोटाला मामले में शामिल सात अन्य लोगों में वी एस कुरिंजीसेलवन, पूर्व उपायुक्त (प्रवर्तन), वाणिज्यिक कर विभाग, एस गणेशन, मनाली निर्धारण सर्कल के पूर्व उप वाणिज्यिक कर अधिकारी, लक्ष्मी नारायणन, खाद्य सुरक्षा विभाग के पूर्व नामित अधिकारी, पी मुरुगन, पूर्व खाद्य हैं। गुम्मीदीपोंडी ब्लॉक के सुरक्षा अधिकारी, आर मन्नार मन्नान, पुझल रेंज के तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त, वी संपत, रेड हिल्स पुलिस स्टेशन के तत्कालीन पुलिस निरीक्षक, और ए पलानी जो कि चेन्नई निगम के तत्कालीन पार्षद और स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष थे।

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मंजूरी देने से पहले सरकार ने सरकारी वकील से मांगी राय
सरकार ने आईपीसी की धारा 420, 468 और 471 के तहत दंडनीय अपराध के लिए मुरुगन के खिलाफ मुकदमा चलाने की भी मंजूरी दे दी है। यह कदम सीबीआई द्वारा मावा/गुटका के आपूर्तिकर्ताओं से आरोपियों के खिलाफ 13(1)(डी) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की आईपीसी की धारा 120 बी के तहत 7, 11, 12, 13 (20) के साथ पठित अपराध के लिए अवैध परितोषण के संग्रह पर भेजी गई जांच रिपोर्ट का अनुशरण करता है।

राज्य ने अभियोजन की अनुमति देने से पहले मद्रास हाई कोर्ट में सरकारी वकील से कानूनी राय ली थी। लोक अभियोजक ने 14 जुलाई की अपनी कानूनी राय में कहा है कि यह मंजूरी देने के लिए एक उपयुक्त मामला था। क्योंकि रिकॉर्ड पर वे चीजें मौजूद थीं, जिससे रमना और दस अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए एक प्रथम दृष्टया मामले का खुलासा किया।
लेखक के बारे में
राघवेंद्र सिंह
नवभारत टाइम्स डिजिटल में सीनियर प्रोड्यूसर। पत्रकारिता में दैनिक आज, इंडिया न्यूज और ईटीवी जैसी संस्थाओं में काम करने के बाद टाइम्स इंटरनेट तक 10 साल का सफर जो कानपुर से शुरू होकर दिल्ली और हैदराबाद होते हुए उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक पहुंचा है। हर रोज कुछ न कुछ नया सीखने और करने की हसरत... बस यहीं तक।... और पढ़ें

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